दूसरों के खेतों में मजदूरी करने वाले इस शख्‍स ने कायम की मिसाल, आज सब्‍जी के कारोबार से कमाते हैं करोड़ों  

ऐसी प्रेरणा देने वाली कहानियां देश के हर कोने में मौजूद है, जरूरत है उन्‍हें आपके सामने लाने की । आज जानिए अशोक चंद्राकर के बारे में, जिनकी मेहनत और लगन उनकी सफलता की कहानी आप कहती है ।

New Delhi, May 25 : बचपन में मां-बाप को खेत में अकेले मेहनत करता देख, उस बच्‍चे के मन में भी उनकी मदद करने का ख्‍याल आया । पढ़ाई छोड़ मां-बाप के साथ ही खेती में लग गया । खूब मेहनत की, सब्‍जी की खेती में इतने मन से काम किया कि आज अगल-बगल के गांवों के लोग भी उस बच्‍चे की मिसाल देते हैं और उसे अथक परिश्रम की कहानियां सुनाई जाती है । छत्‍तीसगढ़ के दुर्ग जिले के इस सब्‍जीवाले की कहानी आगे पढ़ें ।

12 साल की उम्र से बेची सब्‍जी
अभावों में गुजरती जिंदगी के बावजूद अशोक के माता-पिता ने उन्‍हें स्‍कूल में पढ़ने भेजा । सोचा कि बेटा उनकी तरह दूसरों की खेती में मजदूरी ना करे, पढ़ लिखकर अपने पांवों पर खड़ा हो जाए । लेकिन किस्‍मत को तो कुछ और ही मंजूर था । अशोक का मन पढ़ाई से ज्‍यादा माता-पिता का हाथ बंटाने में लगता था । पढ़ाई में कमजोर होने के कारण चौथी कक्षा में फेल हो गया और पढ़ाई छोछ़कर सब्‍जी बेचनी शुरू कर दी । घर-घर जाकर सब्‍जी बेचने का काम शुरू कर दिया  ।

नानी की जमीन पर शुरू किया सब्‍जी उगाना
अपनी जमीन ना होने के कारण अशोक के माता-पिता दूसरों की जमीन पर खेती किया करते थे । अशोक ने 14 साल की उम्र में अपनी नानी से जमीन का एक टुकड़ा बटाई पर लिया । कहा सब्‍जी की खेती करूंगा । मेहनत लगन से सब्‍जी की खेती शुरू की । सब्‍जियों की खूब देखभाल से फसल उगाते और फिर उन्‍हें आस-पास के गांवों में बेच आते । सब्‍जी बेचकर धीरे-धीरे अशोक को मुनाफा भी होने लगा, धीरे – धीरे कर एक खेत भी ले लिया और जमीन उधार पर लेकर अपनी खेती का दायरा भी बढ़ाते गए ।

काम बढ़ा तो और लोगों को भी जोड़ा
कुछ अपने खेत तो कुछ दूसरों के खेत को बंटाई पर लेकर अशोक अब बड़े क्षेत्र में सब्‍जी उगा रहे थे । इसके लिए ज्‍यादा लोगों की जरूरत भी होने लगी । धीरे-धीरे कर उन्‍होने अपने खेत पर काम करने के लिए और लोगों को रखना शुरू किया । कभी दूसरों के खेत में काम करने वाले अशोक अब कई लोगों के घर के चूल्‍हे जलने का करण बन गए । कईयों को रोजगार मिल गया ।

100 एकड़ जमीन के मालिक
आज की बात करें तो अशोक के पास 100 एकड़ अपनी जमीन है । सिरसा और तर्रा के अलावा उनकी आस पास के इलाकों नगपुरा, सुरगी,मतवारी, देवादा, जंजगीरी में करीब 800 एकड़ बटाई की जमीन भी है । यानी कुल मिलाकर अशोक 900 एकड़ की जमीन पर सब्‍जी की खेती करते हैं । उनके खेतों से 700 लोगों को रोजगार मिलता है । अशोक कभी घर-घर जाकर सब्‍जी बेचा करते थे, आज उनकी सब्जियां आधुनिक तरीकों से घर-घर पहुंच रही है ।

देश के कई हिस्‍सों में सप्‍लाई
छत्‍तीसीगढ़ के दुर्ग जिले के सिरसा गांव से निकलकर अशोक चंद्राकर की सब्जियां प्रदेश के ही नहीं देश के भी अलग-अलग हिस्‍सो में पहुंचती है । छोट से व्‍यवसाय के जरिए अशोक आज सालाना 10 करोड़ रूपए की सब्‍जी का कारोबार करते हैं । देश के सफल किसानों में से एक अशोक आज सबको यही बताते हैं कि मेहनत की कभी हा नहीं होती । शॉर्टकट छोड़कर इंसान को लगन से काम में जुटना चाहिए । जीवन में प्‍लान बनाकर चलें, सफलता के लिए इंतजार करना होगा लेकिन ये इंतजार बहुत लंबा नहीं होगा ।