ठेले पर पकौड़े बेचने वाले ये शख्स बन गया करोड़पति, ऐसे खड़ा किया 20 करोड़ का कारोबार

चांद बिहारी ने बताया कि खाने को ही घर में नहीं था, तो स्कूल जाने की तो बात ही नहीं थी। दस साल का हुआ, तो घर की जिम्मेदारी में हाथ बंटाने के लिये ठेले पर पकौड़े बेचने का काम शुरु किया।

New Delhi, Jul 16 : आपने अकसर बड़े बुजुर्गो से सुना होगा कि मेहनत का फल मीठा होता है, इस कहावत को चरितार्थ किया है कि बिहार के चांद बिहारी अग्रवाल ने, परिवार के भरण पोषण के लिये कभी सड़क किनारे पकौड़े और फुटपाथ पर साड़ियां बेचने वाला या शख्स आज पटना में गोल्ड ज्वेलरी शॉप के मालिक हैं। जिसका सलाना टर्नओवर करीब बीस करोड़ रुपये का है। हालांकि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में 5 दशक लग गये।

मुश्किल में बीता बचपन
चांद बिहारी अग्रवाल ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि वो अपने जिंदगी की शुरुआती दिनों को कभी नहीं भूल सकते। बचपन में मैंने और मेरे परिवार ने काफी मुश्किलों का सामना किया। पिताजी सट्टा लगाते थे। उन्होने सट्टेबाजी में बहुत पैसे कमाये भी, लेकिन हमेशा भाग्य साथ नहीं देता, एक दिन पिताजी सट्टेबाजी में सारे पैसे हार गये। घर की हालत खराब हो गई, खाने तक के लाले पड़ गये थे।

ठेले पर बेचते थे पकौड़े
चांद बिहारी ने बताया कि खाने को ही घर में नहीं था, तो स्कूल जाने की तो बात ही नहीं थी। दस साल का हुआ, तो घर की जिम्मेदारी में हाथ बंटाने के लिये ठेले पर पकौड़े बेचने का काम शुरु किया। 100 रुपये कमाने के लिये रोजाना 12 से 14 घंटे काम करता था, ताकि घर वालों को रोटी नसीब हो सके।

300 रुपये महीने की नौकरी 
12 साल की उम्र में चांद बिहारी अग्रवाल को जयपुर में एक साड़ी की दुकान में तीन सौ रुपये मासिक वेतन पर नौकरी मिल गई। ये नौकरी उन्हें उनके बड़े भाई ने दिलाई थी। उन्होने बताया कि उस समय के हिसाब से तनख्वाह काफी अच्छी थी, हम जैसे गरीब परिवार के बच्चों के लिये ये काफी था, इससे हमारा गुजारा हो जाता था। कुछ साल उन्होने यहीं पर काम करते हुए निकाला।

डकैती ने कर दिया कंगाल
चांद अग्रवाल ने बड़े भाई की शादी में मिले गिफ्ट से पांच हजार रुपये बचाये, इस पैसे से उन्होने 18 रुपये प्रति साड़ी के हिसाब से कुछ साड़ियां जयपुर से खरीदी और उसे लेकर पटना पहुंच गये। उन्होने फुटपाथ पर साड़ी बेचने का काम शुरु किया। धीरे-धीरे उनका बिजनेस अच्छा चलने लगा, हर महीने 80-90 हजार रुपये तक की बिक्री होने लगी थी। लेकिन तभी उनके दुकान में चोरी हो गई, उन्हीं दिनों उनकी शादी भी हुई थी। दुकान से करीब 4 लाख रुपये का माल चोरी हुई थी। एक बार फिर से वो सड़क पर खड़े हो गये थे।

रत्न ने चमकाई किस्मत
साड़ी का बिजनेस खत्म होने के बाद चांद बिहारी अग्रवाल ने अपने बड़े भाई की मदद से रत्न बेचने का काम शुरु किया। उन्होने घूम-घूम कर रत्न बेचे और करीब 500 दुकानों से संपर्क किया। रत्न बेचकर उन्होने 10 लाख रुपये जमा किये, इसी जमा पूंजी से उन्होने साल 2002 में 350 स्क्वेयर फुट की दुकान में चांद बिहारी अग्रवाल ज्वेलरी हाउस की नींव रखी। अब इस दुकान का सलाना टर्नओवर करीब 20 करोड़ रुपये है।