पिता करते थे कुली का काम, बेटे ने 25 हजार से शुरु किया बिजनेस और खड़ी कर दी 100 करोड़ की कंपनी

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छठीं क्लास में फेल होने के बाद मुस्तफा के पिता ने उन्हें कुली बनने को कहा था, हालांकि गणित में वो होशियार थे, इसलिये उनके शिक्षक ने उन्हें पढाई जारी रखने को कहा।

New Delhi, May 29 : अगर किसी साधारण कुली का बेटा सिर्फ 42 साल की उम्र में 100 करोड़ रुपये की कंपनी बना ले, वो भी बिना किसी बड़ी पूंजी या काली कमाई के। जी हां, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। केरल के वायनाड जिले के पीसी मुस्तफा की कहानी युवाओं के लिये किसी प्रेरणा से कम नहीं है। मुस्तफा ने सिर्फ 25 हजार रुपये से बिजनेस शुरु किया था, आज वो 100 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। पीसी मुस्तफा उन करोड़ों युवाओं के लिये प्रेरणा हैं, जिनके सपने संसाधनों की कमी के कारण अक्सर टूट जाते हैं।

अभाव में बीता बचपन
कमजोर पृष्ठभूमि और संसाधनों की कमी पीसी मुस्तफा ने अपने बचपन में देखा, उनका बचपन मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित रहा। Mustafa2वो पढाई में भी ज्यादा होशियार नहीं थे, जिसकी वजह से छठीं क्लास में फेल हो गये। लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारी। वो लगातार पढते रहे, उन्होने पहले कालीकट के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की। फिर एमबीए करने आईआईएम बेंगलुरु पहुंचे।

कुछ साल नौकरी के बाद बिजनेस करने की ठानी
आईआईएम बेंगलुरु से पासआउट होने के बाद पीसी मुस्तफा ने आंत्रप्रेन्योर बनने की ठानी, ताकि गांव से विलांग करने वाले कमजोर बैकग्राउंड के लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। Dosaइसके लिये उन्होने बिजनेस भी वैसा ही चुना। आज मुस्तफा की कंपनी आईडी फ्रेस के इडली और डोसा भारत के कई शहरों समेत दुबई तक पहुंच रहे हैं।

मां-पिता थे काफी कम पढे लिखे
मुस्तफा के पिता सिर्फ चौथी तक पढे हैं, वो कॉफी प्लांटेशन में कुली का काम करते थे। हालांकि जब मुस्तफा नौकरी करने लगे, Mustafa4तो उन्होने पिता को काम छोड़ आराम करने की सलाह दी। जबकि उनकी मां फातिमा कभी स्कूल भी नहीं गई। पीसी मुस्तफा ने खुद स्वीकार किया, कि शुरुआती दिनों में पढाई में उनकी दिलचस्पी नहीं थी, 4 किमी दूर उन्हें पैदल स्कूल जाना पड़ता था, फिर स्कूल से आने के बाद पिता के साथ काम में उनकी मदद करते थे।

पिता ने कुली बनने को कहा था
छठीं क्लास में फेल होने के बाद मुस्तफा के पिता ने उन्हें कुली बनने को कहा था, हालांकि गणित में वो होशियार थे,Mustafa1 इसलिये उनके शिक्षक ने उन्हें पढाई जारी रखने को कहा, फेल होने की वजह से उनकी सभी दोस्त और साथी अगली क्लास में चले गये। बाद में टीचर की पढाई और प्रेरणा से वो सातवीं क्लास में टॉप किये। इसके बाद वो दसवीं में भी टॉप आये।

मुफ्त में खाना और रहना
कोझीकोड में गरीबों के कोटे से उन्हें दसवीं के बाद खाना और रहना मुफ्त में मिल गया, चूंकि उनके पिता के पास उन्हें पढाने के लिये ज्यादा पैसे नहीं थे, Mustafa3इसलिये जैसे-तैसे कर उन्होने पढाई जारी रखी। गांव से होने की वजह से उनकी अंग्रेजी भी कमजोर थी, हालांकि दोस्तों की मदद से उन्होने उसे भी ठीक कर लिया। इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें आयरलैंड में मोटोरोला कंपनी में नौकरी मिली, फिर उन्होने दुबई मे भी काम किया।

आईआईएम से एमबीए किया
मुस्तफा साल 2003 में भारत लौटे, उस समय उनके पास 15 लाख रुपये थे, उन्होने आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए किया और नौकरी करने के बजाय 25 हजार रुपये से इडली और डोसे का बिजनेस शुरु किया। उन्होने अपनी कंपनी का नाम आईडी फ्रेश रखा। dosa1आज उनकी कंपनी का रेवेन्यू करीब 100 करोड़ रुपये हैं, वो अपनी कंपनी में सिर्फ गांवों के युवाओं को ही रोजगार देते हैं, मेहनत करने वाला शख्स उनकी कंपनी में 40 हजार रुपये तक कमा लेता है, पीसी मुस्तफा की योजना अगले 5-6 साल में कंपनी को एक हजार करोड़ रुपये तक ले जाने की है।