कंगाल को मालामाल बना सकते हैं पूजा से जुड़े ये 10 नियम, शुभ कार्यों में विशेष ध्यान रखें

भगवान के पास अपनी गुहार लगाने का, अपनी प्रार्थनाओं को पहुंचाने का एक तरीका है पूजा, इस पूजा में कोई कमी ना रह जाए इसके लिए आपको कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए .

New Delhi, Nov 09 : हमारे धर्म ग्रंथों, शास्त्रों में कई ऐसी बातें बताई गयी है जो ईश्वर के और करीब जाने में, उन तक हमारी बात पहुंचाने में मदद करती हैं . इन्ही में से एक तरीका बताया गया है पूजा . प्रतिदिन सुबह स्नान आदि करने के बाद हिन्दू परिवारों में पूजा करने की परंपरा है. भगवान को भोग लगाना, उनसे आशीर्वाद लेना ये हिन्दू परिवारों के दिन की शुरुआत का तरीका है .शास्त्रों में पूजा से जुड़े कुछ विशेष नियम बताये गए हैं. आप भी जानिए और लाभ उठाइये.

पूजा में कभी भी इस्तेमाल होने वाली चीज़ें 
शास्त्रों में कुछ ऐसी विशेष चीज़ों का वर्णन है जो कभी बासी नहीं मानी जातीं. इन चीज़ों का इस्तेमाल आप पूजा में कभी भी कर सकतें हैं . ये चार चीज़ें हैं तुलसी, गंगाजल, बिल्वपत्र और कमल का पुष्प . आप इन्हें कभी भी पूजा में शामिल कर सकते हैं . ये सभी वस्तुएं पवित्र मानी जाती हैं साथ ही पूजा में इनका विशेष स्थान होता है. भगवान विष्णु को तो आप सिर्फ तुलसी दाल से ही प्रसन्न कर सकते हैं.

सर्वप्रथम करें पंचदेवों की आराधना
किसी भी तरह की पूजा करने से पहले पंचदेवों का ध्यान करना ज़रूरी बताया गया है . शास्त्रों में सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और हरी विष्णु को पांच देव कहा गया है. इन देवों का ध्यान कर ही कोई भी पूजा शुरू करनी चाहिए. शुभ कार्यों में पांच देवों का ध्यान ना करने से व्यवधान उत्पन्न हो सकते है. भगवान को धन्यवाद कहने का ये एक तरीका है. इसे कभी भी भूलें नहीं.

ध्यान देने योग्य बातें
शास्त्रों में कुछ बातें ऐसी बताई गई हैं जिनका पालन ज़रूर करना चाहिए. विशेष तौर पर तब जब बात भगवान को कुछ समर्पित करने की हो . भगवान शिव की आराधना के समय उन्हें केतकी के फूल अर्पित नहीं करने चाहिए. सूर्य की आराधना के समय अगस्त्य के पुष्प और गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए. पूजा में इनका प्रयोग वर्जित माना गया है. इस नियम का पालन ज़रूर करना चाहिए .

बिना नहाये की हुई पूजा स्वीकार नहीं होती
शास्त्रों में कहा गया है, जो लोग बिना नहाये भगवान को भोग लगते हैं, या पुष्प तोड़कर उन्हें अर्पित करते हैं उनकी पूजा भगवान स्वीकार नहीं करते. मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति कि पूजा देवता ग्रहण ही नहीं करते और उसे पूजा का कोई फल प्राप्त नहीं होता . ऐसा करना पाप की श्रेणी में आता है. ईश्वर को नहा-धोकर स्वच्छ होकर ही कुछ भी अर्पित करना चाहिए .

दीपक स्वयं से कभी ना बुझाएं
हिन्दू धर्म में दीपक की बड़ी महत्ता है. अन्धकार को दूर कर प्रकाश लाने वाले दीपक के बारे में नियम ये है कि इसे कभी भी स्वयं से नहीं बुझाना चाहिए. जलते हुए दीपक से कभी अगरबत्ती या धूपबत्ती नहीं जलानी चाहिए. शुद्ध घी का दीपक पूजा में अपनी दायीं ओर और तेल का दीपक अपनी बायीं ओर प्रज्वलित करें .अपनी सामर्थ्य के अनुसार दीपक जलाएं. तेल या घी नहीं प्रभु आपकी श्रद्धा से प्रसन्न होते हैं.

इन बातों का भी रखें ख्याल
पूजा करते हुए ध्यान रहें कि आपके पैरों में चप्पल, जूते आदि ना रह जाएं. घर के मंदिर में पूजा करते हुए भी चमड़े की बेल्ट और पर्स को अलग निकल कर रख दें . पूजा के समय इन चीज़ों का प्रयोग वर्जित माना जाता है . आपने ये बात कई बड़े मंदिरों में नोटिस की होगी कि गेट में घुसते ही आपसे ये चीज़ें उतरवा ली जाती हैं. अपने घर के मंदिर में भी इन बातों का ख्याल रखें. छोटी-छोटी बातें ही आपको ईश्वर की कृपा का पत्र बनाती हैं.

प्रसन्न मन से करें पूजा- अर्चना
आपकी पूजा के दौरान कोई आपके निकट आ जाएं और आप उस पर चिल्ला पड़ें तो आपके पूजा करने का क्या फायदा. आपका मन शांत नहीं होगा तो आप ईश्वर में ध्यान कैसे रमा पाएंगे. शांत मन और भाव से की गयी पूजा ही फलदायी होती है. पूजा करते समय किसी को डांटे फटकारे नहीं. खुद पर काबू रखें और प्रसन्न मन से ईश भक्ति में लग जाएं.

भगवान शिव की पूजा में रखें विशेष ध्यान
अगर आप भोलेनाथ को खुश करना चाहते हैं तो उनकी पूजा में इस बात का ध्यान ज़रून रखें कि आप उन्हें गलती से भी हल्दी ना चढ़ाएं. इसके अलावा भोलेनाथ का अभिषेक शंख में जल भरकर कभी ना करें. इन दोनों का ही सम्बन्ध विष्णु भगवान से है . भोलेनाथ की पूजा में इन दोनों ही चीज़ों का इस्तेमाल वर्जित है . भोले का बेल पत्र और धतूरे अर्पित करें. पानी से अभिषेक करें और इच्छित वर की प्राप्ति करें.