जिंदगी बनाने के चक्कर में धो बैठी जिंदगी से हाथ, मिली दर्दनाक मौत

Punjab

अमृतसर के रईया के गांव पड्डा में दो मोटरसाइकिलों की बीच आमने-सामने की टक्कर हुई, जिसमें 12वीं की छात्रा रमनदीप और 10वीं का पेपर देकर लौट रहे बिक्रम सिंह की मौके पर ही मौत हो गई।

New Delhi, Mar 19 : पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की गलत नीतियों की वजह से दो विद्यार्थियों की जान चली गई। जबकि 3 अन्य अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि अमृतसर के रईया के गांव पड्डा में दो मोटरसाइकिलों की बीच आमने-सामने की टक्कर हुई, जिसमें 12वीं की छात्रा रमनदीप और 10वीं का पेपर देकर लौट रहे बिक्रम सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन घायल हो गये।

परीक्षा देकर लौट रहा था छात्र
मालूम हो कि मृतक छात्र बिक्रम सिंह परीक्षा केंद्र फेरुमन सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पेपर देकर लौट रहा था, तभी ये हादसा हुआ, Punjab1बिक्रम के परिजन बोर्ड पर गलत नीतियों का सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि बोर्ड ने ऐलान किया था कि परीक्षा केन्द्र तीन किमी के दायरे में बनाया जाएगा, लेकिन बिक्रम का परीक्षा केंद्र उसके घर से साढे चार किमी दूर था।

परीक्षा केंद्र तीन किमी से ज्यादा दूर
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने सेंटर बदलने की पॉलिसी नकल रोकने के उद्देश्य से बनाई थी, इसके बावजूद पूरे प्रदेश में नकल के केस सामने आ रहे हैं, PSEB1यूएमसी काटी जा रही है। आपको बता दें कि बोर्ड ने पहली बार परीक्षा केंद्र किलोमीटर के दायरे में शिफ्ट करने के आदेश दिये, जिसे टीचर्स यूनियनों के विरोध पर घटाकर 3 किमी कर दिया गया। इसके बावजूद कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके परीक्षा केंद्रों की दूरी तीन किमी से ज्यादा है, कोट मेहताब स्कूल का केंद्र इन्हीं में से एक है।

ऑटो से जाते बच्चे
कोट मेहताब स्कूल का केंद्र भी इन्हीं में से एक है, भलोजला गांव के बिक्रम, आकाशदीप और इंद्रपाल इसी स्कूल के छात्र थे। तीनों रोजाना ऑटो से स्कूल आते-जाते थे। Punjab21लेकिन परीक्षा केंद्र गांव से 8 किमी दूर फेरुमन में होने की वजह से तीनों मोटरसाइकिल से परीक्षा देने जाते थे। परिवार वालों का कहना है कि अगर परीक्षा केंद्र आस-पास ही होता, तो उनके बच्चे ऑटो से ही पेपर देने जाते, शायद उनकी जान नहीं जाती।

मृतक छात्रा
मृतक छात्रा का नाम रमनदीप कौर था, वो रईया के सरकारी गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा थी, वो गुरु नानकग सीनियर सेकेंडरी स्कूल में परीक्षा देने पहुंची थी। accident2लेकिन एडमिट कार्ड छूट जाने की वजह से वो अपने घर जा रही थी। अगर परीक्षा केन्द्र उसके स्कूल में होता, तो रोल नंबर छूट जाने के बाद भी वो अपने प्रिसिंपल कम कंट्रोलर से लिखवाकर परीक्षा में शामिल हो सकती थखी। लेकिन दूसरे स्कूल में परीक्षा केंद्र होने की वजह से उसे एडमिट कार्ड लाने के लिये अपने गांव ही जाना पड़ा।

परीक्षा केंद्र तक जाने की जिम्मेदारी छात्रों की
सीबीएसई बोर्ड को देखकर पंजाब बोर्ड ने भी परीक्षा केंदर् दूसरे स्कूलों में बनाने का पैटर्न तो अपना लिया, लेकिन परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने की जिम्मेदारी बच्चों की अपनी होती है। Accident1बोर्ड ने उन्हें ना तो बसें उपलब्ध कराई और ना ही किसी किसी दूसरे तरह का इंतजाम किया, ताकि छात्रों को परीक्षा केन्द्र तक पहुंचाया जा सके।

मंत्री बोले- हर स्कूल में नहीं बना सकते सेंटर
पंजाब के शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी ने कहा कि उन्हें दो बच्चों की मौत का दुख और अफसोस है, लेकिन हर स्कूल में परीक्षा केंद्र नहीं बना सकते, education ministerसीबीएसई और आईसीएसई में भी सेंटर दूसरे स्कूलों में बनते हैं। सेंटर बनाने के बाद स्कूलों से पूछा जाता था, जिन्हें परेशानी है, वो सेंटर बदलवा लें। कुछ स्कूलों ने भेजा, तो उनके सेंटर बदले गये। हो सकता है कि इस स्कूल ने लिखकर ना दिया हो, एक-एक स्कूल का तो चेक नहीं कर सकते ।

बोर्ड सेक्रेटरी ने क्या कहा ?
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सचिव हरगुण कौर से जब सवाल पूछा गया, तो उनका पहला रिएक्शन था कि क्या मौत परीक्षा केंद्र दूर होने की वजह से हुआ ? psebजब उन्हें बताया गया कि परीक्षा केंद्र दूर होने की वजह से बच्चे बाइक से जा रहे थे। एक्सीडेंट में दो छात्रों की मौत हो गई, तीन गंभीर रुप से घायल हैं, तो उन्होने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

हादसे का जिम्मेदार शिक्षा विभाग
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के जिला प्रधान अश्वनी अवस्थी ने कहा कि दोनों ही बच्चों की मौत का जिम्मेदार शिक्षा विभाग है, यूनियनों ने पहले ही सेंटर शिफ्ट करने का विरोध किया था। Punjab2स्कूल में विद्यार्थियों के ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं दी गई, बच्चे खुद से परीक्षा केंद्र तक जा रहे थे, अगर यही घटना किसी प्राइवेट स्कूल के साथ होती, तो पंजाब सरकार अब तक नोटिस निकालकर उसकी एफिलिएशन रद्द कर चुकी होती।