यूपी में है एशिया का सबसे बड़ा गांव, जहां हर घर में पैदा होते हैं सोल्जर

Gahmer

गाजीपुर से 40 किमी दूरी पर बसा है एशिया का सबसे बड़ा गांव, इस गांव गहमर में रेलवे स्टेशन भी है, जो इसे पटना और मुगलसराय से जोड़ता है।

New Delhi, Jan 15 : पूर्वांचल के गाजीपुर में गहमर नाम का एक गांव है, जो एशिया का सबसे बड़ा गांव है, इस गांव की पॉपुलेशन करीब 1 लाख 20 हजार से ऊपर है, इस गांव की सबसे बड़ी बात ये है कि यहां हर घर से कोई ना कोई सेना में तैनात है। कहा जाता है कि सन 1530 में कुसुम देव राव ने सकरा डीह नामक स्थान पर इस गांव को बसाया था। आपको बता दें कि गाजीपुर से 40 किमी दूरी पर ये गांव बसा है, गहमर में रेलवे स्टेशन भी है, जो इसे पटना और मुगलसराय से जोड़ता है।

हर घर में फौजी
इस गांव के बारे में कहा जाता है कि इस गांव के करीब 12 हजार लोग फौज में है, जो जवान से लेकर कर्नल तक अलग-अलग पदों पर काम कर रहे हैं, armyइसके साथ ही करीब 15 हजार से ज्यादा इस गांव में भूतपूर्व सैनिक भी हैं, कई परिवार ऐसे भी हैं, जो पीढी दर पीढी इस देश की सेवा कर रहे हैं, जिसके दादा भूत पूर्व सैनिक हैं, तो पोता भी फौज में भर्ती होकर देश की रक्षा कर रहा है।

बिहार-यूपी की सीमा पर है गांव
आपको बता दें कि गमहर गांव बिहार और यूपी की सीमा पर बसा है, वैसे तो ये यूपी में आता है, ये गांव करीब 8 वर्गमील में फैला है और इसकी आबादी करीब 1 लाख 20 हजार है। Gahmer3स्थानीय लोगों के अनुसार उनका गांव 22 पट्टी या टोले में बंटा हुआ है, प्रत्येक पट्टी या टोला किसी ना किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम पर है।

विश्व युद्ध से लेकर करगिल तक में लिया था भाग
प्रथम या फिर द्वितीय विश्व युद्ध हो, या फिर 1965 और 1971 की लड़ाई, या करगिल युद्ध, इन सभी में यहां के फौजियों ने बढ चढ कर हिस्सा लिया था। an-indian-soldier1एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व युद्ध के समय भी अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे, युद्ध करते हुए 21 जवान शहीद भी हो गये थे, उनकी याद में आज भी गांव में एक शिलालेख लगा हुआ है।

होती है सेना की तैयारी
गहमप के भूत पूर्व सैनिकों ने एक पूर्व सैनिक सेवा समिति नाम से संस्था बनाई है, गांव के ही कुछ युवक गंगा तट पर सुबह-शाम सेना की तैयारी करते दिखते हैं, army1यहां के युवकों की फौज में जाने की परंपरा की वजह से ही सेना गहमर में भी भर्ती शिविर लगाया करती है, ताकि इस गांव के ज्यादा से ज्यादा युवा इस देश की रक्षा के लिये फौज में शामिल हो सकें।

1986 के बाद शिविर नहीं
हालांकि साल 1986 के बाद इस गांव में भर्ती के लिये शिविर लगाने की परंपरा को बंद कर दिया गया, लेकिन यहां के लड़कों का रुझान सेना में भर्ती होने के लिये कम नहीं हुआ। indian-army0अभी भी सेना में शामिल होने के लिये यहां के लड़के लखनऊ, रुड़की, सिकंदराबाद जाकर परीक्षा देते हैं, ताकि उन्हें फौज में शामिल होकर इस देश की सेवा का मौका मिले।

कैंटीन की सुविधा
भारतीय सेना ने गहमर गांव के लोगों के लिये सैनिक कैंटीन की भी सुविधा उपलब्ध कराई थी, ताकि अगर कोई फौजी सस्ती कीमत पर कुछ खरीददारी करना चाहें, army11तो वो यहां से ले सकते हैं, वाराणसी आर्मी कैंटीन से सामान हर महीने इस गांव में भेजा जाता था, हालांकि पिछले कुछ सालों से कैंटीन सेवा भी बंद कर दी गई है, जिसकी वजह से फौजियों को सामान खरीदने के लिये वाराणसी जाना पड़ता है।

गांव में है सारी सुविधा
कहने को तो गहमर गांव है, लेकिन इस गांव में भी शहर जैसी सारी सुविधाएं हैं, गहमर में टेलीफोन एक्सचेंज, डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, स्वास्थ्य केन्द्र है। Gahmer2यहां के लोग फौजियों की जिंदगी से इस कदर जुड़े हुए हैं कि चाहे युद्ध हो या फिर कोई प्राकृतिक विपदा, यहां की महिलाएं भी अपने घर के पुरुषों को इसमें जाने से नहीं रोकती है, बल्कि उन्हें और प्रोत्साहित करती है।

कई बार छावनी में तब्दील हो जाता है गांव
गहमर रेलवे स्टेशन पर जितनी भी गाड़ियां रुकती है, उनमें से कुछ ना कुछ फौजी रोजाना यहां उतरते हैं, पर्व-त्योंहारों के साथ-साथ छुट्टियां मनाने के लिये फौजी यहां आते रहते हैं, Gahmer1कई मौकों पर तो लगता है कि जैसे गांव सैन्य छावनी में तब्दील हो गया है, क्योंकि कुछ फौजी छुट्टी बिताने आते हैं, तो कुछ छुट्टी बिता कर जाने वाले रहते हैं।