4 साल तक नौकरी से गायब रहा ये IPS, राजनीति की, वापस लौटने पर मिला प्रमोशन

हम आपको एक वायरल खबर बताने वाले हैं, एक IPS अधिकारी नौकरी से 4 साल तक गायब रहता है, वो जब वापस लौटता है तो उसका प्रमोशन हो जाता है।

New Delhi, Feb 07: अगर आप सरकारी नौकरी करते हैं और अचानक गायब हो जाएं तो आपके दफ्तर वाले क्या करेंगे, जाहिर है कि वो आपका इंतजार करेंगे, लेकिन इंतजार भी कितना करंगे। हम आपको ऐसी ही एक खबर बताने वाले हैं, जिस में एक IPS ऑफिसर अपनी नौकरी से गायब हो गया, वो 4 साल तक गायब रहा, जब वापस लौटा तो उसका प्रमोशन हो गया, ये खबर वायरल हो रही है, हैरान करने वाली बात ये है कि 4 साल तक गायब रहने के बाद उसका प्रमोशन हो गया। चलिए इस अधिकारी के बारे में आपको बताते हैं।

उत्तर प्रदेश के IPS अधिकारी
हम जिस अधिकारी की बात कर रहे हैं वो उत्तर प्रदेश के हैं। हाल ही में योगी सरकार ने प्रशासनिक फेरबदल किया, इस में 26 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए। इन्ही में शामिल हैं आईपीएस दावा शेरपा को लेकर राजनीति गरम हो गई है। शेरपा को गोरखपुर जोन का एडीजी बनाया गया है।

नौकरी से गायब होने का कारण
दावा शेरपा के नौकरी से गायब होने का कारण भी कम चर्चित नहीं है, उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के मुताबिक दावा शेरपा नौकरी से गायब हो कर बीजेपी में शामिल हो गए थे, राजनीति की, वापस लौटे तो उनका प्रमोशन हो गया, इस पर राजनीति गर्म हो गई है. विरोधी दल आरोप लगा रहे हैं कि योगी सरकार उन अधिकारियों को चुन रही है जो बीजेपी की विचारधारा के हैं।

2008 में इस्तीफे की पेशकश
शेरपा ने 2008 में विभाग में हंगामा होने पर इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ और ना ही उनको वीआरएस दिया गया। इसके बाद भी वो राजनीति में आ गए, 2012 तक राजनीति में किस्मत आजमाने के बाद जब वो कुछ खास नहीं कर पाए तो वापस नौकरी में लौट आए।

वापस लौटने मिला प्रमोशन
राजनीति छोड़कर वापस नौकरी ज्वाइन करने पर शेरपा को प्रमोशन मिल गया, सरकार ने उनको डीआईजी के रूप में ज्वाइन कराया। अखिलेश यादव की सरकार में प्रमोशन पाकर वो आईजी और फिर एडीजी भी बने। फिलहाल योगी सरकार ने उन्हें पोस्टिंग देते हुए गोरखपुर का एडीजी बनाया है।

दार्जिलिंग के रहने वाले हैं शेरपा
IPS अधिकारी शेरपा दार्जिलिंग के रहने वाले हैं। वो 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, 2008 से लेकर 2012 तक वो नौकरी से अनुपस्थित थे, नौकरी की 20 साल की शर्त पूरी नहीं होने के कारण उनको वीएरएस भी नहीं दिया गया था। नौकरी से गायब रहने के दौरान वो वापस दार्जिलिंग चले गए थे।

गोरखालैंड की राजनीति की
नौकरी से राजनीति में जाने के बाद शेरपा वापस दार्जिलिंग  चले गए थे. वहां पर उन्होंने गोरखालैंड की राजनीति की, वो दार्जिलिंग ने गोरखालैंड के एक बड़े राजनीतिक चेहरे के तौर पर उभरे थे। उन्होंने चार साल तक कोशिश की, लेकिन उसके बाद भी वो कुछ खास नहीं कर पाए। उसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए।

बीजेपी में हुए शामिल
बीजेपी में शामिल होने के बाद शेरपा को राज्य का सचिव बनाया गया, धीरे धीरे राज्य की राजनीति में शेरपा ने अपना कद बढ़ाना शुरू किया, वो 2009 के लोकसभा चुनाव में टिकट की उम्मीद कर रहे थे, उनको पूरी उम्मीद थी कि पार्टी टिकट दे देगी, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला। नाराज हो कर शेरपा ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। शेरपा को राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।