शशि कपूर की जिंदगी से जुड़ी ये 7 यादगार बातें, 3 साल बड़ी जेनिफर से की शादी

शशि कपूर अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके पीछे कुछ यादें है, जिनके बारे में आपका जानना बेहद जरूरी है। आप भी जानिए ये खास बातें

New Delhi, Dec 05: शशि कपूर अब इस दुनिया में नहीं रहे। लेकिन अपने पीछे वो कई ऐसी यादें छोड़ गए हैं, जिन्हें देशवासी शायद भुला नहीं पाएंगे। उनका जन्म पृथ्वीराज कपूर के घर 18 मार्च, 1938 को हुआ था। 4 दिसंबर, 2017 को उनका न‍िधन हो गया। पृथ्वीराज के चार बच्चों में सबसे छोटे थे शशि, उनकी मां का नाम रामशरणी कपूर था। आइे कुछ बातें जानिए उनकी जिंदगी के बारे में।

बचपन का नाम बलबीर राज कपूर
शशि के बचपन का नाम बलबीर राज कपूर था। उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का गजब शौक था। वो बचपन में स्कूल में नाटकों में हिस्सा लेना चाहते थे। उनकी ये इच्छा वहां पूरी नहीं हो पाई, आखिरकार उनकी ये इच्छा पिता के ‘पृथ्वी थियेटर्स’ में पूरी हुई। 1944 में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर के नाटक ‘शकुंतला’ से ुन्होंने अपना एक्टिंग करियर शुरू किया।

शादी के मामले में अलग रहे शशि
हालांकि शशि शादी के मामलों में सबसे अलग रहे। पृथ्वी थिएटर में काम करने के दौरान वो भारत यात्रा पर आए गोदफ्रे कैंडल के थिएटर ग्रुप ‘शेक्सपियेराना’ में शामिल हो गए। इस ग्रुप के साथ काम करते हुए उन्होंने दुनियाभर की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने गोदफ्रे की बेटी जेनिफर के साथ कई नाटकों में काम किया। दोनों के बीच प्यार लगातार परवान चढ़ने लगाथा।

3 साल बड़ी जेनिफर से की शादी
20 साल की उम्र में ही शशि ने खुद से तीन साल बड़ी जेनिफर से शादी कर ली। कपूर खानदान में इस तरह की ये पहली शादी थी। देश के दिग्गज फिल्मकारों के निर्देशन में उन्होंने जूनून, कलयुग, 36 चौरंगी लेन जैसी फिल्मों में काम किया। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं पाई, लेकिन आलोचकों ने उन्हें काफी सराहा। आज भी ये फिल्में मील का पत्थर मानी जाती हैं।

इंटरनेशनल लेवल पर किया काम
एक और खास बात ये है कि शशि भारत के पहले ऐसे कलाकारों में शुमार थे, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया।  इनमें शेक्सपियर वाला, हाउसहोल्डर, बॉम्बे टॉकीज और हीट एंड डस्ट जैसी फिल्में शामिल हैं। शशि ने हिंदी सिनेमा को अद्भुत योगदान दिया था। इस वजह से उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया।

जुनून के लिए मिला राष्ट्रीय सम्मान
फिल्म ‘जुनून’ के लिए उन्हें बतौर निर्माता नेशनल अवॉर्ड मिला था। ‘न्यू डेल्ही टाइम्स’ फिल्म में जबरदस्त एक्टिंग के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2011 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान मिला। इसके अलावा उनकी फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का सम्मान मिला था। इसके साथ ही  बांबे जर्नलिस्ट एशोसिएशन अवॉर्ड भी उन्हें मिला।

मुहाफिज के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड
फिल्म ‘मुहाफिज’ के लिए शशि को स्पेशल ज्यूरी का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। बॉलीवुड से शशि लगभग संन्यास ले चुके थे। साल 1998 में आई फिल्म ‘जिन्ना’ उनके करियर की आखिरी फिल्म थी। कुल मिलाकर कहें तो शशि कपूर ने हिंदी सिनेमा को अद्भुत योगदान दिया है। इस योगदान के लिए उन्हें फिल्म जगत में हमेशा हमेशा के लिए याद किया जाएगा।