अस्‍थमा के मरीज ऐसे रखें अपना ख्‍याल

अस्‍थमा की समस्‍या लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं । भारत में इसका एक बड़ा कारण प्रदूषण है । जानिए ये कैसे आपको भी इफेक्‍ट कर सकता है ।

New Delhi, May 03 : अस्‍थमा या दमे की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है । प्रदूषण के कारण सांस से जुड़े दूसरे रोगों के साथ अस्थमा भी बढ़ता ही जा रहा है । यह दो तरीके से रोगी को प्रभावित करता है, एक तो बाह्य रूप से ओर दूसरी भीतरी तौर पर । बाहरी कारण एलर्जी हो सकती हे, धूल – मिट्टी, प्रदूषण आदि हो सकते हैं । भीतरी तौर पर अस्‍थमा सिगरेट का धुआं, पेंट आदि की स्‍मेल या फिर रायानिक पदार्थों से निकलने वाली गैसेज के कारण परेशान करता है । अस्‍थमा सांस की नलियों में पैदा हुए अवरोध के कारण होता है ।

पहचान हो जाए तो इलाज संभव है
असथमा की पहचान होनी बहुत जरूरी है । अगर बहुत जल्‍दी इसके लक्षण समझकर इसे पहचान लिया जाए तो इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है । एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक अस्‍थमा के मरीज को जब इसका अटैक पड़ता है तो उनकी धड़कन तेज हो जाती है और सांस लेने की रफ्तार बढ़ जाती है । वो बहुत बेचैन हो जाता है और खुद को एकदम थका हुआ महसूस करने लगता है । बहुत जरूरी है इस समय उसकी सही देखभाल की जा सके ।

इस वजह से आता है अस्‍थमा अटैक
डॉक्‍टर्स के मुताबिक – जब किसी को अस्थमा का दौरा पड़ता है तो वह गहरी सांस लेने लगता है । जितनी मात्रा में व्यक्ति ऑक्सीजन लेता है, उतनी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड बाहर नहीं निकाल पाता । ऐसे समय में दमा रोगियों को खांसी आ सकती है, सीने में जकड़न महसूस हो सकती है, बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उल्टी भी हो सकती है. अस्थमा के रोगियों को रात के समय, खासकर सोते हुए ज्यादा कठिनाई महसूस होती है.”

ये हैं अस्थमा के लक्षण
अस्‍थमा के लक्षण खांसी और सांस लेने में दिक्‍कत होने से शुरू होते हैं । बलगम वाली या सूखी खांसी रहने से आप इसकी पहचान कर सकते हैं । इसके और लक्षणों में है सांस लेते हुए आवाज आना और घबराहट होना ।  ठंडी हवा में सांस लेने पर हेल्थ प्रॉब्लम होना । जरा-सा चलने पर सांस फूलना । एकसरसाइज के बाद सेहत बिगड़ना । कई बार कुछ चीजों से बार-बार एलर्जी हो रही हो तो भी आपको सतर्क हो जाना चाहिए ।

खजूर से अस्‍थमा का खतरा
अस्‍थमा के मरीज, बाजार में मिलने वाले चमकदार खजूर खाने से बचें । इसे खरीदते हुए साफ रहें । लंबे समय तक फ्रेश बने रहें इसके लिए इस पर सल्‍फाइट की कोटिंग की जाती है । इसे अधिक मात्रा में खाने से अस्‍थमा की प्रॉब्‍लम हो सकती है । सल्‍फाइट शरीर में पहुंचकर खराश उत्‍पन्‍न करता है । धीरे-धीरे ये संक्रमण में बदल जाता है । वो लोग जिन्‍हें अस्‍थमा की प्रॉब्‍लम हो उन्‍हें खजूर नहीं खाना चाहिए ।

अस्‍थमा से बचाता है शरीफा
अगर आपको सांस की बीमारी है, अस्‍थमा की समस्‍या है तो अपनी डायट में शरीफा को शामिल कर लें । इस फल में मौजूद विटामिन बी-6 अस्‍थमा का क्‍योर करने में समर्थ है और इसे खाने से अस्‍थमा के अटैक आने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है । प्रतिदिन एक शरीफा अलग-अलग माध्‍यम से अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं ये बहुत फायदा पहुंचाता है ।

अस्‍थमा में असरदार
दमा के रोगियों के लिए पीपल के तने की छाल के अंदर के हिस्‍से को सुखाकर चूरन तैयार किया जाता है । इस चूरन का नियमित रूप से एक समय सेवन करने से दमा के रोग में राहत मिलती है । इस चूरन को पानी के साथ लेना होता है । इस चूरन का इस्‍तेमाल पुराने से पुराने दमे को भी ठीक कर सकता है ।

ये भी हैं घरेलु उपचार
अदरक में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं जो अस्थमा की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। अदरक की चाय बना कर लहसुन की दो पीसी हुई कलियां मिलाएं। इस चाय सुबह और शाम रोजाना पीएं। अस्थमा से राहत पाने के लिए लहसुन बहुत कारगार उपाय है। इसे इस्तेमाल करने के लिए 30 मि.ली. दूध में लहसुन की 5 कलियां डाल कर उबालें। हर रोज इसका सेवन करें।

अजवाइन ओर लौंग का काढ़ा
सांस लेने में तकलीफ होने पर पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और इसकी भाप लें । इससे सांस लेने में किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होगी। दमा होने पर लौंग का काढ़ा भी काफी फायदेमंद है । इसे बनाने के लिए आधा गिलास पानी में 4-5 लौंग डाल कर 5 से 7 मिनट तक उबालें । फिर इसे छानें, शहद मिलाकर गर्म गर्म पी जाएं ।