ये बीमारी नशे की लत से ज्यादा खतरनाक है, अकेलापन तलाशने वाले सावधान !

क्या आप जानते हैं कि इंसान का अकेलापन नशे की लत से ज्यादा खतरनाक है। हाल ही में एक रिसर्च के दौरान इस बात का खुलासा किया गया है। आप भी जानिए इसकी खास बातें।

New Delhi, Mar 26: अगर आप सोचते हैं कि धुआं उड़ाने की लत बेहद खतरनाक होती है और इससे इंसान की जान कभी भी जा सकती है। लेकिन इससे भी खतरनाक आपका अकेलापन कहा गया  है। अकेले रहना आपकी जान के लिए बेहद नुकसानदेह हो सकता है। हाल ही में एक रिसर्च हुई है। इस रिसर्च में इस बात की जानकारी दी गई है।

रिसर्च में बताई गई बड़ी बातें
रिसर्च में एक बात सामने आई है कि अकेलेपन के शिकार लोग ही सबसे पहले ड्रग एडिक्ट बनते हैं। हालात यहां तक पहुंच जाते हैं कि वो आत्महत्या करने से भी नहीं घबराते। हालांकि कहा ये भी जाता है कि इंसान को एक दिन में 10 मिनट के लिए अकेले बैठकर चिंतन करना चाहिए, जिस कि योग और ध्यान की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन कई बार ये खतरनाक साबित हो सकता है।

अकेले में रहना छोड़ दीजिए
अकेलेपन पर ना तो कभी कोई चर्चा होती है और ना ही इसके नफा नुकसान के बारे में कभी कोई बात छिड़ती है। लेकिन एक बात सच है कि अगर आप अकेलेपन के शिकार हैं तो इससे बड़ी लत और कोई नहीं है। अकेले रहने से आपके दिमाग में पॉजिटिव बातें कम और नेगेटिव विचार ज्यादा आते हैं। इस तरह से हालात अवसाद जैसी भयानक स्थिति तक पहुंच जाते हैं।

शोधकर्ताओं ने बताई बड़ी बातें
ब़ड़े शोधकर्ता कहते हैं कि अकेले रहने की वजह से लोगों की आयु और प्रोडक्टिविटी पर भी असर डालती है। शोधकर्ताओं ने एक और बड़ी बात कही है कि भले ही कोई दफ्तर कर्मचारियों से फुल हो, लेकिन ये भी सच है कि एक दफ्तचर में आधे से ज्यादा कर्मचारी और ज्यादा सीईओ खुद को अकेला महसूस करते हैं। यानी करीबी दोस्तों की तादाद लगातार घटती जा रही है।

इस हाल में अकेले रहे तो खतरा
अगर आप दिन में 5 घंटे से ज्यादा अकेले रहने की कोशिश करते हैं, या फिर आपको अकेले रहना ही पसंद है, तो जान लीजिए की दिमाग में नई सोच का पैदा होना बंद हो सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि इससे पहले इंसान इतना अकेला कभी नहीं था, जितना अब है। भले ही आप भीड़भाड़ वाले शहरों में रहते हों, भले ही आपके फोन में हजारों कॉ़न्टेक्ट्स क्यों ना हों। खतरनाक है अकेले रहना।

थोड़ा सा आराम कर लीजिए
शोध में कहा गया है कि इंसान पैसे और सफलता के पीछे कुछ ऐसे भाग रहा है कि अपने ही दोस्तों से नफरत करने लगा है। इसके साथ ही करीबियों की संख्या लगातारद कम हो रही है। पहले लोग इसलिए लंबी उम्र जीते थे क्योंकि उनके दोस्त ज्यादा होते थे और स्मार्टफोन और नई टेक्नोलॉजी से काफी दूर रहकर दोस्तों के साथ जमकर वक्त बिताते थे।

सोशल रहना सीखिए
कई सालों में हमारे दिमाग में सोशल कनेक्शन की जरूरत पैठ बना चुकी है। अकेलापन जब इंसान को ग्रसित करता है तो सुरक्षा की भावना की कमी होती है। इस तरह से अवसाद हो जाता है। इससे कॉर्टिसॉल हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर में सूजन आ जाती है। इससे दिल की परेशानियां, डिप्रेशन और मोटापा जैसी बीमारियां भी होने लगती हैं।