जिस लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर अटल जी को रखा गया था, जानिए क्‍या है वो ?

पूर्व प्रधानंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा गया । उनकी हालत बुधवार को बहुत ही ज्‍यादा बिगड़ गई थी । क्‍या आप जानते हैं व्‍यक्ति को किन स्थितियों में लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा जाता है और ये क्‍या होता है ।

New Delhi, Aug 17 : लाइफ सपोर्ट सिस्टम, जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है । जिंदगी को सपोर्ट देने वाला एक तंत्र । जब शरीर के कुछ हिस्से कमजोर पड़कर काम करने की रफतार धीमी कर देते हैं तब उन्‍हें लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम के जरिए कंट्रोल किया जाता है । इस प्रोसेस को इस सिस्‍टम के द्वारा चलाया जाता है । इस सिस्‍टम के सहारे बीमार हुए अंग दोबारा काम करने लगते हैं । ये मरीज को जिंदा रखने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है ।

कब पड़ती है इसकी जरूरत
लाइफ सपोर्ट सिटम की जरूरत तब पड़ती है जब मरीज को सांस लेने में बहुत परेशानी हो या श्‍वसन तंत्र पूरी तरह फेल हो जाए । हृदय, किडनी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम काम करना बंद हो जाए । कई मामलों में ब्रेन और नर्वस सिस्टम भी फेल हो सकता है । ऐसी स्थिति में लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम के जरिए शरीर के बाकी अंग अगर काम करते हैं । धीरे धीरे नर्वस सिस्‍टम खुद से काम करना शुरू कर देता है ।

जब दिल धड़कना बंद कर दे
ये सिस्‍टम तब भी प्रयोग में लाया जाता है जब दिल काम करना बंद कर देता है । लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम के सहारे इसे वापस वापस शुरू करने की कोशिश की जाती है । ऐसा सीपीआर के जरिए भी किया जाता है । सीपीआर के जरिए बॉडी में खून और ऑक्सीजन को  पहुंचाया जाता है, जिससे इनका सर्कुलेशन सही तरह से हो सके । अगर दिल की धड़कन रुक जाए तो इलेक्ट्रिक पंप के जरिए शॉक दिए जाते हैं। इससे धड़कन नियमित हो जाती है ।

लाइफ सपोर्ट देने का तरीका
सबसे पहले मरीज को वेंटीलेटर पर रखा जाता है और उसे ऑक्‍सीजन दी जाती है । ताकि हवा दबाव बनाते हुए फेफड़ों तक पहुंचे, निमोनिया और फेफड़ों के फेल होने पर ऐसा करना जरूरी होता है । फिर लाइफ सपोर्ट से एक ट्यूब को मरीज की नाक के जरिए बॉडी में अंदर डाला जाता है और ट्यूब का दूसरा सिरा इलेक्ट्रिक पंप से जोड़ा जाता है ।

कब हटाते हैं लाइफ सपोर्ट सिस्टम
किसी भी मरीज को अगर लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम पर रखा गया है तो उसे तब ही हटाया जाता है जब उसकी हालत में सुधार हो रहा है और अंग रिकवर कर रहे हों । ऐसा ना होने पर परिजनों की सहमति से इसे हटा दिया जाता है । व्‍यक्ति रिकवर ना कर रहा हो तो आगे ईलाज को दूसरी तरह से जारी रखा जाता है ।