दिल्ली जैसे शहरों में रहने वाली महिलाएं सावधान, आपको हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्‍ट कैंसर का एक पॉजिटिव पहलू ये है कि ये जानलेवा नहीं है साथ ही अगर समय रहते इसकी जांच हो गई तो इससे जल्‍दी निजात भी मिल जाती है ।

New Delhi, Jul 06 : स्‍तन कैंसर को लेकर हुई एक हालिया रिसर्च हैरान करने वाली है । इस रिपोर्ट में स्‍तन कैंसर को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं । अब तक ब्रेस्‍ट कैंसर की वजहों में शुमार कारणों में एक बेहद आम वजह भी जुड़ गई है । ये कारण है प्रदूषण । जी हां बढ़ता प्रदूषण अब आपको स्‍तन कैंसर का रोगी भी बना सकता है । किसी महिला को ये बीमारी होगी या नहीं इसका पैमाना अब ये बात तय करेगी कि वो कैसी हवा में सांस ले रही हैं ।

ब्रेस्‍ट कैंसर को लेकर हुई इस रिसर्च के आंकड़ों की मानें तो वो जगहें जहां एयर पॉल्‍यूशन बहुतज्‍यादा है वहां की महिलाओं के ब्रेस्‍ट टिश्‍यू की डेनसिटी ज्‍यादा हो सकती है । ऐसे में उनमें कैंसर को‍शिकाओं की पनपन की संभावना बढ़ जाती है । इसके उलट वो जगहें जहां प्रदूषण स्‍तर कम हैं महिलाओं स्‍तन के ऊतक कम घनत्‍व के होते हैं और इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा भी उन्‍हें कम ही होता है ।

यह रिसर्च अमेरिका की लगभग 3 लाख महिलाओं पर स्‍टडी के बाद तैयार की गई है । रिसर्च के मुताबिक ब्रेस्‍ट का बड़ा साइज टिश्‍यूज की डेनसिटी बढ़ने से बढ़ता है, ये फैट की वजह से भी बड़ा हो सकता है । अगर ब्रेस्‍ट का आकार बढ़ने का कारण सिर्फ वसा है तो ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा नहीं रहता लेकिन ये प्रदूषण के चलते हैं तो इसका पता ब्रेस्‍ट की जांच से पता चलता है । जिसके लिए मैमोग्राफी की जाती है ।

हवा में पीएम 2.5 की एक इकाई बढ़ोतरी से लेडीज में ब्रेस्‍ट टिश्‍यूज बढ़ने की संभावना 4 परसेंट तक बढ़ जाती है । अध्‍यन के दौरान ये भी पाया गया कि जिन महिलाओं के ब्रेस्‍ट हैवी डेनसिटी के थे उनमें टिश्‍यूज का कॉन्‍सनट्रेशन 20 परसेंट तक ज्‍यादा था, ऐसी महिलाओं ने पीएम 2.5 के ज्‍यादा स्‍तर के प्रदूषण का सामना किया था ।  जबकि वो महिलाएं जिनके ब्रेस्‍ट कम डेनसिटी के थे उनमें ये 12 परसेंट कम थे, इन महिलाओं ने प्रदूषित हवा का कम सामना किया था । ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा भारत में भी तेजी से बढ़ा है, ऐसे में अब ज्‍यादा सतर्क रहने की जरूरत है ।