रेलवे स्टेशन पर पहली बार मिले थे दोनों और फिर बन गये राजनीति में एक नाम ‘अटल-आडवाणी’

अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की दोस्ती कैसे हुई, ये भी बड़ा दिलचस्प है।

New Delhi, Aug 17 : अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी, इसके साथ ही भारतीय राजनीति में ये दोनों एक नाम बन गये अटल-आडवाणी, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी की स्थापना के समय दोनों साथ ही आये थे, उससे पहले से दोनों राजनीति में आ चुके हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर सक्रिय थे, उस दौर में अटल जी पत्रकारिता जगत से जुड़े हुए थे।

अटल तेजी से हो रहे थे लोकप्रिय
अटल बिहारी वाजपेयी शुरुआती दिनों से ही शानदार भाषण देते थे, अपने भाषण कौशल की वजह से वो तेजी से लोकप्रिय हो रहे थे, तो लाल कृष्ण आडवाणी राजस्थान के कोटा में आरएसएस प्रचारक के तौर पर काम कर रहे थे। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय भी अटल जी के भाषण शैली से प्रभावित थे, दोनों चाहते थे कि किसी तरह अटल जी संसद पहुंच जाएं, ताकि उनके भाषणों को पूरे देश की जनता सुने।

मुखर्जी ने कराई थी दोनों की मुलाकात
अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की दोस्ती कैसे हुई, ये भी बड़ा दिलचस्प है। बताया जाता है कि अटल जी एक बार पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ सहयोगी के तौर पर ट्रेन से मुंबई जा रहे थे, उन दिनों श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर मसले पर पूरे देश का दौरा कर रहे थे, आडवाणी कोटा में प्रचारक थे, जब उन्हें पता चला कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस स्टेशन से गुजरने वाले हैं, तो वो मिलने के लिये स्टेशन पहुंच गये, उसी स्टेशन पर मुखर्जी ने पहली बार अटल-आडवाणी की मुलाकात करवाई थी।

भाषण सुन कुंठित हो गया
लाल कृष्ण आडवाणी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब मैंने उनका पहली बार भाषण सुना, तो मुझे लगा कि वो गलत पार्टी में आ गये हैं, इसके साथ ही आडवाणी हमेशा इस बात को स्वीकारते रहे, कि जब वो अटल जी का भाषण सुनते थे, तो हमेशा कुंठित हो जाते थे। हालांकि दोनों की दोस्ती राजनीति ही नहीं बल्कि उससे इतर भी मिसाल थी। मुखर्जी के मिलवाने के कुछ साल बाद दोनों एक नाम अटल-आडवाणी बन गये।

65 साल की दोस्ती टूट गई
दिल्ली के एम्स अस्पताल में जब अटल जी ने आखिरी सांस ली, तो अंतिम दर्शन के लिये आडवाणी जी भी पहुंचे थे। उन्होने कहा कि उनकी 65 साल की दोस्ती टूट गई। अटल जी उन्हें छोड़ अनंत में विलीन हो गये, हालांकि पिछले दस साल से अटल जी जिंदा होकर भी सक्रिय नहीं थे, कई बार Advani को उनकी कमी खलती थी, जिसका उन्होने सार्वजनिक रुप से इजहार भी किया था।