यहां पकौड़ों ने बदली तीन पीढियों की जिंदगी, 5 पैसे से शुरु हुआ कारोबार 3 करोड़ के टर्नओवर पर पहुंचा

Pakora

यहां के पकौड़ों की खूशबू और स्वाद के लोग दीवाने हैं, लोग दूर-दूर से यहां पर पकौड़े का स्वाद लेने के लिये आते हैं।

New Delhi, Feb 12 : लाखों लोगों की तरह आजादी के समय 1947 में मान सिंह दुआ पाकिस्तान से हरियाणा पहुंचे, बहादुरगढ में उन्होने चौक पर अंगीठी लगाई, जीविका चलाने के लिये उन्होने पकौड़े बेचने का काम शुरु किया। दो, तीन और पांच पैसे में चार से आठ पकौड़े उन्होने बेचना शुरु किया। धीरे-धीरे उनके पकौड़े का स्वाद और सुगंध पड़ोसी शहरों तक भी पहुंचा, अब उनके बेटे और पोते भी इसी कारोबार को आगे बढा रहे हैं, पकौड़ों ने उनके पूरे परिवार की जिंदगी संवार दी।

पीढियों से चला आ रहा कारोबार
मान सिंह दुआ की तरह ही पंडित मुखराम शर्मा का परिवार भी पीढियों से पकौड़े के कारोबार में है, अब जब देश में पकौड़े पर गर्म सियासत हो रही है,pakora2 तो ऐसे में बहादुरगढ के इन कारोबारियों का कहना है कि पकौड़ों ने हमें समाज में सिर उठाकर जीने लायक बनाया, आपको बता दें कि पकौड़े पर 5 फीसदी जीएसटी देने के बाद यहां पांच हजार रुपये तक की रोज कमाई होती है, इन लोगों के अनुसार इन्होने ना तो व्यापार बदला और ना कभी शर्म महसूस की।

तीन करोड़ का टर्नओवर
बहादुर में कभी पकौड़े की 2 दुकानें हुआ करती थी, लेकिन बढती जनसंख्या के साथ दुकानों की भी संख्या बढकर 18 तक पहुंच गई है,rupee इन दुकानों ने 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है, इतना ही नहीं इस शहर के पकौड़ा कारोबार का टर्नओवर सुन आप भी हैरान रह जाएंगे, एक रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 3 करोड़ का टर्नओवर यहां सलाना होता है।

चौक का नाम पड़ा पकौड़ा चौक
बहादुरगढ़ के मेन चौक का नाम किसी जमाने में लाल चौक हुआ था, लेकिन अब ये पकौड़ा चौक के नाम से फेमस हो चुका है, Pakora4दरअसल यहां के पकौड़ों की खूशबू और स्वाद के लोग दीवाने हैं, लोग दूर-दूर से यहां पर पकौड़े का स्वाद लेने के लिये आते हैं, शायद इसी वजह से इस चौक का नाम पकौड़ा चौक हो गया है।

बंटवारे के बाद बहादुरगढ में खोली दुकान
आजादी के बाद मान सिंह दुआ ने बहादुरगढ के लाल चौक पर पकौड़े बेचने का काम शुरु किया, पहले वो पाकिस्तान के पंजाब में भी पकौड़े बेचने का ही काम करते थे, Bahadurgarhमान सिंह के निधन के बाद उनके बेटे बिल्लू ने दुकान संभाली, फिर उनके बेटे अमित और सचिन ने इस कारोबार को आगे बढाने का काम किया। उनका पूरा परिवार इसी बिजनेस पर आश्रित है।

5 फीसदी जीएसटी
अमित ने बताया कि आज 350 रुपये किलो पकौड़े 5 फीसदी जीएसटी के साथ बिक रहे हैं, आज उनका घर-परिवार सुखी संपन्न है, Pakora3वो दुकान के किराये के रुप में 50 हजार रुपये महीना देते हैं, आप खुद ही सोच सकते हैं, कि अगर आमदनी नहीं होगी, तो इनका सबकुछ कैसे होगा।

सरकारी नौकरी ठुकरा दी
बहादुरगढ में महेंद्र पकौड़े वाले के नाम से पहचाने जाने वाले सुरेश को बीकॉम करने के बाद नौकरी नहीं मिली, Pakora6तो उन्होने 1972 में शहर के मार्केट में 10 रुपये उधार लेकर पकौड़ों की रेहड़ी लगानी शुरु कर दी, पहले ही दिन 26 रुपये के पकौड़े बेच लिये। बाद में उन्हें पूसा एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर में नौकरी लग गई, लेकिन उन्होने नौकरी ठुकरा दी, उन्होने कहा कि वो किसी भी नौकरी वाले से कई गुना ज्यादा कमाते थे। उन्होने पकौड़ी बेचकर ही घर बनाया, दुकान ली, आज उनका एक बेटा मैनेजर है, तो दूसरा प्रोफेसर ।

बड़े राजनेता भी है यहां के पकौड़े की दीवाने
बहादुरगढ के चौक पर पकौड़े खाने के शौकिनों में पूर्व सीएम देवी लाल, बंसी लाल और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा तक शामिल हैं, Pakora5यहां के पकौड़ों का स्वाद सुपरस्टार राजेश खन्ना और महाभारत में भीम का किरदार निभाने वाले प्रवीण कुमार भी ले चुके हैं। पूर्व सीएम हुड्डा तो जब भी बहादुरगढ आते हैं, वो सड़क पर खड़े होकर यहां के पकौड़ों का आनंद लेते हैं।

66 साल से बद्रीनाथ के मशहूर पकौड़े
हरियाणा के हांसी जिले में छाबड़ा चौक के पास लाला बद्रीनाथ की दुकान है, ये दुकान करीब 66 साल पुरानी है, उनकी तीसरी पीढी इस दुकान को संभाल रही है,Pakora1 लेकिन स्थानीय लोग बताते हैं कि उनके पकौड़ों का स्वाद और नाम दोनों बरकरार है, इस दुकान को चलाने वाले रोहित परुथी कहते हैं कि रेसिपी आज भी वो दादा के जमाने वाला ही अपनाते हैं।