नौकरी में नहीं थी दिलचस्पी, शुरु किया अपना काम और एक साल में रेवेन्यू पहुंचा 54 लाख

22 साल की उम्र में बिना किसी पूर्व अनुभव के बिजनेस करने के बावजूद सिर्फ एक साल में अश्विनी के कैफे का रेवेन्यू 54 लाख रुपये तक पहुंच गया।

New Delhi, Jul 27 : आपने अकसर बड़े-बूढों को कहते सुना होगा, कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, जी हां, अगर आप भी किसी क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, तो जूनून होना चाहिये, फिर ना तो किसी खास कोर्स की जरुरत होती है, और ना ही बेशुमार अनुभव की। चेन्नई की एक लड़की ने युवाओं और महिलाओं के सामने एक मिसाल पेश किया है, उन्होने सिर्फ 22 साल की उम्र में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर नवंबर 2016 में चेन्नई एक कैफे की शुरुआत की, देखते ही देखते उनका बिजनेस लाखों में पहुंच गया।

54 लाख रुपये रेवेन्यू
22 साल की उम्र में बिना किसी पूर्व अनुभव के बिजनेस करने के बावजूद सिर्फ एक साल में अश्विनी के कैफे का रेवेन्यू 54 लाख रुपये तक पहुंच गया। अश्विनी ने ट्रैवल एंड फूड सेक्टर में अपनी रुचि को पॉजिटिव रुप से आगे बढाया और उन्हें सफलता भी मिली। आपको बता दें कि अश्विनी इंजीनियरिंग क्षेत्र से हैं, उन्होने आईटी स्ट्रीम में बीटेक की डिग्री हासिल की है।

प्रणेश ने किया प्रोत्साहित
इस बिजनेस में अश्विनी के पार्टनर प्रणेश ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया। दरअसल क्रिएटिव इंडस्ट्री की बारीकियां सीखने के दौरान उन्हें अश्विनी के अंदर कुछ ऐसी बात दिखी, तो उन्होने इस लड़की को अपना वेंचर शुरु करने का सुझाव दिया। जिसके बाद दोनों ने मिलकर 80 डिग्रीज ईस्ट नाम से एक कैफे की शुरुआत की। दोनों को खाने-पीने का शौक था, वो अपने लिये एक फूड ब्रैंड भी बनाना चाहते थे।

यूनिक नाम
अश्विनी ने बताया कि उनके कैफे का ये यूनिक नाम उनके पार्टनर प्रणेश की पत्नी कृति ने दिया था। उन्होने बताया कि किसी भी यात्रा की शुरुआत एक टाइमजोन से होती है। हमारी शुरुआत चेन्नई से हुई। जिसका लांगीट्यूड 80.1901 डिग्री ईस्ट है, इसी वजह से हमने अपने कैफे का नाम 80 डिग्री ईस्ट रखा। जो कुछ ही समय में काफी पॉपुलर हो गया।

वेजिटेरियन के लिये विकल्प
कैफे खोलने के बाद उन्होने स्टडी के दौरान महसूस किया, कि वेजिट़ेरियन और नॉन-वेजिटेरियर दोनों ही तरह के खानों को परोसने वाले कैफे में अकसर वेजिटेरियन लोगों के लिये कम ही विकल्प होते हैं। अश्विनी ने इसी पर विशेष ध्यान देते हुए अपने कैफे को आगे बढाया। उन्होने एक ऐसा मेन्यू तैयार करने की जुगत की, जिसमें पर्याप्त वैराएटीज और विकल्प हो।

अश्विनी का कैफे
अश्विनी मानती हैं कि काम करते हुए उन्होने ना जाने कितनी गलतियां की, उनसे सबक लिया और आगे बढी। उनके अनुसार उन्होने जितना प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस से सीखा, उतना शायद किसी मैनेजमेंट की पढाई करने के बाद भी नहीं सीख पाती । उन्होने बताया कि कैफे की ग्रोथ पूरी तरह से ऑर्गेनिक और माउथ पब्लिकसिटी है, वो लगातार अपने मेन्यू में बदलाव करती रहती है, जिससे उनके कैफे को लोकप्रियता और ऑडियंस मिलते रहते हैं।