‘भूली भटियारी महल’ में आज भी होती है अजीबोगरीब घटनाएं, शाम होने के बाद यहां जाना मना है

शायद आपने ‘भूली भटियारी महल’ ये नाम सुना तक नहीं होगा , हम आपको बताते हैं ये जगह कहां है और यहां के रहस्‍य ।

New Delhi, Dec 13 : भारत में कई हॉन्‍टेड प्‍लेस हैं, यानी ऐसी जगहें जो भुतहा हैं, डरावनी हैं । वो जगहें जहां पैरानॉर्मल एक्टिविटीज महसूस की गई हैं । राजस्‍थान के किले तो इन चीजों के लिए मशहूर हैं ही । भानगढ़ के किले के किस्‍से भी आपने खूब सुने होंगे । लेकिन दिल्‍ली में हॉन्‍टेड प्‍लेस के बारे में कितना जानते हैं । मालचा महल, संजय वन के अलावा क्‍या आपने कभी किसी भुतहा महल के बारे में सुना है । क्‍या आपने कभी दिल्‍ली के ‘भूली भटियारी महल’ के बारे में सुना है । शायद नहीं, जानें इस हॉन्‍टेड महल के बारे में सब कुछ ।

दिल्‍ली के करोल बाग में है ‘भूली भटियारी महल’
भीड़-भाड़ और शोर शराबे वाले करोल बाग में ये भूतिया महल कहां से आ गया । भई हमने तो कभी नहीं देखा, यही सोच रहे होंगे आप । दरअसल ये महल दिल्‍ली के करोल बाग में ही है । बस भीड़ – भाड़ से दूर, दक्षिण की ओर बढ़ते एक वीराने में बना है ये ‘भूली भटियारी महल’ । करोल बाग स्थित बग्गा लिंक के बैक साइड से होती हुई एक सुनसान रोड इस वीरान जंगल तक जाती है ।

सूर्यास्‍त के बाद लग जाते हैं बैरिकेड्स
देश की दूसरी भुतहा जगहों की तरह यहां भी सूर्यास्‍त के बाद जाने की मनाही है । गेट के पास लगे एक नोटिस में साफ लिखा है कि इस महल में सूर्यास्‍त के बाद जाना मना है । कहा जाता है यहां किसी रानी की आत्‍मा भटकती है । जो सूर्यास्‍त के बाद लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है । इस महल की ओर आने वाली रोड्स पर सूर्यास्‍त से पहले ही बैरिकेड्स लगा दिए जाते हैं ।

सुरक्षा के लिए कोई गार्ड नहीं
‘भूली भटियारी महल’ की सुरक्षा में ना तो कोई गार्ड तैनात है और ना ही यहां सुरक्षा की कोई दूसरी व्‍यवस्‍था है । कहा जाता है कि यहां कोई भी गार्ड एक रात से ज्‍यादा रुक ही नहीं पाता । उसे अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगती हैं । सन्‍नाटे में भी शोर नजर आता है । भुतिया महल में दिल्‍ली पर्यटन विभाग की ओर से गार्ड आदि के लिए रहने की जगह, टॉयलेट आदि बनवाए तो गए लेकिन वो सब बस वीरान ही पड़े हैं ।

किसने बनवाया ‘भूली भटियारी महल’ ?
भूली भटियारी महल एक शिकारी विश्राम गृह की तरह बनवाया गया था । 14वीं शताब्‍दी में फिरोज शाह तुगलक ने इसे बनावाया था, ये कुछ – कुछ मालचा महल जैसा ही नजर आता है । एक बड़ा सा मुख्‍य दरवाजा और फिर वहां से होते हुए अंदर की इमारत । यहां कमरे बने हुए हैं, जब शिकार के लिए राजा इन जंगलों में आते होंगे तो रात बिताने के लिए वो इसी महल में अपनी पूरे समूह के साथ रहते होंगे ।

‘भूली भटियारी’ : इस नाम के पीछे की वजह
इस नाम के पीछे दो कहानियां प्रचलित हैं । तुगलक के शासन काल में इस जगह को क्‍या नाम दिया गया, इसका कोई उल्‍लेख नहीं । लेकिनतुगलक वंश के बाद ये जगह एक सूफी संत का निवास स्‍थान बनी । इन सूफी साहब का नाम था ‘बू अली बख्यितयारी’ । ये नाम बोलने में इतना कठिन था कि लोगों ने उसे कुछ ‘भूली भटियारी’ कहना शुरू कर दिया । और इसी नाम से महल का नाम ‘भूली भटियारी महल’ पड़ गया ।

नाम के पीछे ये है दूसरी कहानी
वहीं दसूरी कहानी है ये भटियारिन की । भटियारिन यानी राजस्‍थान के आदिवासी कबीलों की एक महिला जो अपना रास्‍ता भूल गई । उसे ही ये जगह मिली और वो यहीं की हो गई । इस महिला के बाद इस जगह को ‘भूली भटियारी’ कहा जाने लगा । ये नाम स्‍थानीय लोगों में प्रचलित हुअा और आज भी इसी नाम से ये जगह जानी जाती है ।

भुतहा है कि नहीं ?
‘भूली भटियारी महल’ में भूत है कि नहीं ये स्‍पष्‍ट रूप से नहीं कहा जा सकता । सरकार की तरफ से यहां बोड र्लगाकर लोगों को चेतावनी दी गई है कि यहां शाम के बाद प्रवेश ना करें । लेकिन कई लोग रोमांच के चलते महल में जाने का अनुभव कर चुके हैं । कुछ ने यहां अजीबोगरीब होने वाली चीजों को अनुभव भी किया है, लेकिन कई लोग ऐसे भी थे जो बिना किसी अनुभव के ही रात बिताने में कामयाब रहे ।