रामायण में बताए गए हैं ये राज, इन 7 बातों का ध्यान रखें पति-पत्नी

रामायण में इंसान की जिंदगी के कई राज बताए गए हैं। इसमें पति-पत्नी के लिए भी कुछ खास बातें बताई गई हैं, जिनका आपको ध्यान देना काफी जरूरी है।

New Delhi, Dec 30: रामायण हिंदुओं के लिए आस्था का एक बड़ा प्रमाण है। इसमें रावण वध के साथ साथ कई ऐसी बताई गई हैं, जिनके बारे में अगर कोई सही ढंग से पढ़े तो सफलता की कई सीढि़यां चढ़ सकता है। सही जिंदगी जीने के भी कई राज इस महाशास्त्र में बताए गए हैं। आज हम आपको पति-पत्नी के बीच कुछ खास बातों के बारे में बता रहे हैं। आप भी जानिए

ये हैं तीन स्तर
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऐसे स्तर हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों ही अधूरे होते हैं। वैज्ञानिक भी ये बातें बातते हैं। लेकिन इसके साथ ही बताया गया है कि दोनों के मिलन से ही ये अधूरापन दूर होता है। मैरिड लाइफ में बारे में कुछ ऐसी बाते हैं, जिनका अगर ध्यान रखेंगे तो हसबैंड और वाइफ दोनों ही जिंदगी भर के लिए खुश रहेंगे।

रामायण से सीखें ये बातें
ये सात बातें रामायण में श्रीराम और माता सीता के जीवन में देखने को मिलती हैं। इनमें सबसे पहली बात है संयम की। संयम यानी वक्त-वक्त पर उठने वाली मानसिक उत्तेजनाओं पर नियंत्रण करना। कामवासना, क्रोध, लोभ, अहंकार और मोह ऐसी उत्तेजनाएं हैं, जो आपको गलत काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

संयम और प्यार से जीएं
रामायण में बताया गया है कि श्रीराम-सीता ने अपना अपना दाम्पत्य बहुत ही संयम और प्यार से जीया। वो दोनों कभी भी मानसिक या शारीरिक रूप से अनियंत्रित नहीं हुए। इसकी सबसे बड़ी वजह है संतुष्टि। जी हां एक दूसरे के साथ रहते हुए वक्त और परिस्थिति के अनुसार जो भी सुख-सुविधा प्राप्त हो, उसी में संतोष करना सफल दांपत्य जीवन का दूसरा राज है।

संतुष्टि की भावना रखें
श्रीराम और सीता एक दूसरे से पूरी तरह से संतुष्ट थे। कभी श्रीराम ने सीता में या सीता ने राम में कोई कमी नहीं देखी। इसके अलावा दाम्पत्य जीवन में संतान का भी बड़ा स्थान होता है। पति और पत्नी के बीच के संबंधों को मधुर बनाने में बच्चों की भूमिका सबसे ज्यादा जरूरी होती है। रामायण में ये ही भूमिका लव और कुश ने निभाई थी।

संतान की बड़ी भूमिका
श्री राम और माता सीता के बीच वनवास को खत्म करने और सीता को पवित्र साबित करने में भी लव और कुश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा संवेदनशीलता भी एक बड़ा पहलू है। पति और पत्नी के रूप में एक दूसरे की भावनाओं का समझना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा उन भावनाओं की कद्र करना भी सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है।

संवेदनाओं का रिश्ता निभाएं
श्री राम और सीता के बीच संवेदनाओं का भी रिश्ता था। कहा जाता है कि दोनों बिना कहे-सुने ही एक दूसरे के मन की बातें समझ जाते थे। इसके अलावा अगला सबसे बड़ा फैक्टर है संकल्प। जी हां पति और पत्नी के रूप अपने धर्म संबंध को अच्छी तरह निभाने के लिए अपने कर्तव्य को संकल्प के साथ पूरा करना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन सदा सुखी रहता है।

मजबूती से साथ दें
वैवाहिक जीवन को सफलता से भरा-पूरा बनाने के लिए पति और पत्नी दोनों को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति समर्पण और त्याग भी जरूरी है। एक-दूसरे की खातिर अपनी कुछ इच्छाओं और आवश्यकताओं को त्याग देना या समझौता कर लेना दाम्पत्य संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिए जरूरी होता है।