IAS से पहले बनीं थीं IPS, अब इस काम की वजह से सुर्खियों में हैं गरिमा सिंह

Garima Singh

आईएएस गरिमा सिंह ने इस आंगनबाड़ी केन्द्र के हालात ही बदल दिये, उन्होने इस केन्द्र के अंदर के कारपेट, स्पोर्ट्स के सामान, कुर्सी और टेबल तक लगवा दिये।

New Delhi, Feb 02 : आईएएस अधिकारी गरिमा सिंह इन दिनों फिर से चर्चा में हैं, दरअसल झारखंड के हजारीबाग जिले में वो इन दिनों बतौर डिस्ट्रिक्ट सोशल वेलफेयर अधिकारी तैनात हैं, उन्होने यहां की एक आंगनबाड़ी केन्द्र को गोद लेकर अपने बचत के पैसों से उसकी पूरी सूरत ही बदल डाली, आंगनबाडी केन्द्र के दीवारों पर कार्टून, अंग्रेजी और हिंदी कैरेक्टर्स, साथ ही बच्चों को आकर्षित करने वाले पेटिंग भी करवाई।

50 हजार रुपये खर्च किये
आईएएस गरिमा सिंह ने इस आंगनबाड़ी केन्द्र के हालात ही बदल दिये, उन्होने इस केन्द्र के अंदर के कारपेट, स्पोर्ट्स के सामान, कुर्सी और टेबल तक लगवा दिये,Garima Singh6 इन सब पर करीब उनके 50 हजार रुपये खर्च हो गये, इतना ही नहीं उनकी देख-रेख में काम पूरा किया गया है, इसी वजह से ये सब सिर्फ 50 हजार रुपये में हुए, नहीं तो किसी एजेंसी के द्वारा इतना काम करवाया जाता, तो इस पर लाखों रुपये खर्च हो गये होते।

आईएसएस से पहले आईपीएस थीं
मटवारी के आंगनबाड़ी केन्द्र को अपनी कोशिशों से सिर्फ दो महीने में ही एक मॉडल प्ले स्कूल का रुप देने वाली गरिमा सिंह आईएएस अधिकारी से पहले आईपीएस रह चुकी हैं। Garima Singh5उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रहने वाली गरिमा सिंह ने साल 2012 में सिविल सर्विसेज पास किया था, तब वो आईपीएस बनी थी।

लखनऊ की एएसपी
गरिमा सिंह लखनऊ में 2 साल तक अंडर ट्रेनी एएसपी के तौर पर तैनात भी रही, उनकी दूसरी तैनाती झांसी में एसपी सिटी के तौर पर हुई थी, Garima Singh3ड्यूटी के बीच भी समय निकालकर उन्होने आईएएस की तैयारी जारी रखी, उन्हें जानने वाले बताते हैं कि ड्यूटी जाने से पहले वो सुबह में एग्जाम की प्रिपरेशन करती थी, इतना ही नहीं छुट्टी के दिन भी उनका पूरा समय पढाई में ही बीतता था।

2015 में बनी आईएएस
साल 2015 में उन्होने यूपीएससी दुबारा क्रैक कर दिया, इस बार उनका रैंक 55वां था, जिसकी वजह से उनका चयन आईएएस के लिये किया गया। Garima Singh4एक लीडिंग वेबसाइट से बात करते हुए गरिमा ने बताया था कि आईपीएस बनने के बाद ही उन्होने ठान लिया था कि उन्हें आईएएस बनना है, इसके लिये वो जीतोड़ मेहनत कर रही थी।

वर्दी छोड़ते समय बुरा लगा
आईएएस गरिमा ने बताया कि जब मेरा चयन आईएएस के लिये हो गया था, तो मुझे वर्दी छोड़नी थी, लेकिन मुझे बुरा लग रहा था, वर्दी पर मुझे प्राउड है, Garima Singh1एक नौकरी में 3 साल कर कोई भी हो, तो उसे लगाव हो ही जाता है, मैं जब वर्दी को छोड़ नई सेवा में जा रही थी, तो मुझे बहुत बुरा लग रहा था।

क्यों बनना चाहती थी आईएएस ?
इस सवाल के जबाव में उन्होने कहा कि मेरे अनुसार आईएएस के तौर पर आपका दायरा बढ जाता है, लोगों की मदद आप ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं, Garima Singh2आम जनता से सीधे जुड़ने का आपको ज्यादा मौका मिलता है। इसी वजह से मैंने लोगों की सेवा करने के लिये इस पद को पाना चाहा।

डॉक्टर बनना चाहती थीं गरिमा
आपको बता दें कि गरिमा सिंह बलिया के कथौल गांव की रहने वाली हैं, वो एमबीबीएस कर डॉक्टर बनना चाहती थीं, Garima Singh31लेकिन उनके पापा ने उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने के लिये प्रेरित किया, पापा के कहने पर ही उन्होने इसकी तैयारी शुरु की। मालूम हो कि गरिमा के पिता ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं।

दिल्ली से की पढाई
गरिमा सिंह ने अपनी पढाई दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) किया है, वो स्कूल से ही पढाई में काफी होशियार थी, Garima Singh7उनकी पढाई के प्रति इसी ललक और मेहनत को देख उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने के लिये प्रेरित किया था।