जो देश में आज तक नहीं हुआ, पीएम मोदी के उस ड्रीम प्रोजक्ट की हुई शुरुआत

पीएम मोदी के उस ड्रीम प्रोजक्ट की आखिरकार शुरुआत हो गई है, जिसके लिए काफी वक्त से इंतजार किया जा रहा था। आइए इस बारे में आपको कुछ खास बातें बताते हैं।

New Delhi, Mar 30: देशभर को इस परियोजना का इंतजार था। माना जा रहा है कि 2022 तक अब ये काम पूरा हो सकेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं चार धाम रेल नेटवर्क की। जल्द ही आपको इस बहुप्रतीक्षित रेल परियोजना का काम पहाड़ों में भी नजर आएगा। इस परियोजना के दूसरे चरण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिल गई है। पीएम मोदी की नजरे इस काम पर टिकी हैं।

कामों में आई तेजी
बताया जा रहा है कि भूमि हस्तांतरण के बाद रेल विकास निगम लिमिटेड ने कार्यों को तेजी देनी शुरू कर दी है। खास बात ये है कि इस परियोजना पर खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़रें टिकी हैं। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल टनल, पुल और स्टेशन के निर्माण का काम जल्द ही धरातल पर दिखने लगेगा। RVNL ने इसके लिए दो चरणों में मंजूरी मांगी थी।

दूसरे फेज का काम शुरू
पहले चरण में दून वन प्रभाग से भूमि हस्तांतरण की अनुमति शामिल थी। दूसरे फेज़ में ऋषिकेश से आगे पौड़ी, टिहरी,रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों से वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति शामिल थी। देहरादून वन प्रभाग में रेल विकास निगम ने काम भी शुरू कर दिया था। इसके साथ ही ऋषिकेश में श्यामपुर बाईपास मार्ग पर रोड अंडर ब्रिज आकार लेने लगा है।

ये है मोदी का ड्रीम प्रोजक्ट
बताया जा रहा है कि निगम को कुल 500.5996 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की गई है। इस स्वीकृति के बाद आगे के कामों के लिए टेंडरिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब जानिए कि आखिर कैसे ये हाईटेक परियोजना आकार लेगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कुल मिलाकर 18 टनल तैयार होंगी। सुरंगों के निर्माण से पहले एप्रोच रोड बनाई जानी हैं। इसके लिए टेंडर भी पूरी हो गई है।

इतनी है रेलमार्ग की लागत
इस रेलमार्ग को तैयार करने में कुल लागत 16216.31 करोड़ रुपये आनी है। इस रेल लाइन की लंबाई कुल मिलाकर 126 किलोमीटर होगी। इस रेल लाइन पर 18 सुरंगें और 16 पुल तैयार होने हैं। रेल मार्ग पर सबसे बड़ी सुरंग करीब सवा 15 किलोमीटर लंबी होगी। इसके अलावा सबसे छोटी सुरंग 220 मीटर लंबी होगी। जो सुरंग 6 किलोमीटर से लंबी होगी, उसमें एक निकासी टनल भी बनाई जाएगी।

18 सुरंग और 16 पुल तैयार होंगे
इस रेल मार्ग पर बनने वाली हर सुरंग की चौड़ाई आठ गुणा दस डाईमीटर की होगी। इसके साथ ही सुरंगों के भीतर लाइट और वेंटिलेशन की भी पूरी व्यवस्था होगी। इस रेल नेटवर्क का सिर्फ 26 किलोमीटर हिस्सा ही बाहर होगा। बाकी 105 किमी का रेलवे ट्रैक सुरेंगों से होकर गुजरेगा। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल मिलाकर 16 रेलवे स्टेशन होंगे।

सिर्फ दो घंटे में सिमटेगा 7 घंटे का सफर
फिलहाल ऋषिकेश से कर्णप्रयाग पहुंचने में करीब 7 घंटे का वक्त लगता है। लेकिन इस रेल लाइन के बनने के बाद ये दूरी सिर्फ ढाई घंटे में ही पूरी होगी। अब दो चरण की मंजूरी मिलने के बाद पीएम मोदी भी इस ड्रीम प्रोजक्ट को लेकर काफी उत्साहित हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2002 से 2024 के बीच ये रेलवे ट्रैक जनता को सौंप दिया जाएगा।