बिना किसी सपोर्ट के 250 टन का पत्थर ढलान पर खड़ा है, 1200 साल से है राज

mahabalipuram stone

हमारे देश के कई आश्चर्यों में एक है ये विशाल पत्थर, 250 टन का ये पत्थर बिना किसी सपोर्ट के एक ढलान पर खड़ा है, ना हिलता है ना ही गिरता है।

New Delhi, Mar 07: इसे चमत्कार कहें या फिर कुछ और, जो भी है ये कमाल का है, जो देखता है वो हैरान रह जाता है, तमिलनाडु राज्य में एक शहर है महाबलीपुरम, ये एक मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां हर साल लाखों लोग आते हैं, इस शहर में एक खास जगह है, जहां पर एक पत्थर ढलान पर खड़ा है, अब आप कहेंगे कि इस में क्या खास बात है, तो खास बात ये है कि ये कोई छोटा पत्थर नहीं बल्कि 250 टन का विशाल पत्थर है, जो बिना किसी सपोर्ट के ढलान पर खड़ा है, उस से भी खास बात ये है कि ये पिछले 1200 साल से इसी तरह से ख़ड़ा है। महाबलीपुरम के स्मारकों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है।

पत्थर बना आश्चर्य
इसी महाबलीपुरम में ये पत्थर है,जो एक ढलान पर खड़ा है, वोभी बिना किसी सपोर्ट को, लोग इसे देख कर हैरान होते हैं, उनको समझ नहीं आता कि कैसे ये पत्थर खड़ा है, गिरता क्यों नहीं है। महाबलीपुरम आने वाले लोग इस पत्थर को देखने के लिए जरूर जाते हैं, इस के सामने खड़े हो कर फोटो खिंचवाते हैं।

1200 साल पुराना है ये विशाल पत्थर
मान्यताओं के मुताबिक ये पत्थर पिछले 1200 साल से इसी तरह खड़ा है, इसे श्रीकृष्ण के माखन की गेंद भी कहा जाता है। इस पत्थर को देख कर हैरानी होती है, साथ ही इसके सामने खड़े होने में डर भी लगता है, कहीं ये खिसक गया तो क्या होगा, इसके बाद भी लोग इसे देखने के लिए जाते हैं। इसकी लोकप्रियता का आलम ये है कि इसके नाम पर कई फेसबुक पेज भी चल रहे हैं।

पत्थर की खासियत
अब आपको ये बताते हैं कि ये पत्थर कितना बड़ा है, पत्थर करीब 20 फीट ऊंचा है और लगभग 15 फीट चौड़ा है। ये चमत्कारी पत्थर एक ढलान पर करीब 4 फीट के आधार पर टिका हुआ है, हिलता भी नहीं है और लुढ़कता भी नहीं है। पत्थर का भार करीब 250 टन है। इतना विशाल पत्थर होने के बाद भी ये पत्थर एक ढलान पर सैकड़ों सालों से टिका हुआ है।

श्रीकृष्ण के माखन की गेंद क्यों कहते हैं
बिना किसी सपोर्ट के ख़ड़े इस पत्थर को श्रीकृष्ण के मक्खन की गेंद क्यों कहा जाता है, इसके पीछे पुरानी मान्यता है। जिसके मुताबिक महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में यहां थोड़ा सा माखन गिरा दिया था, ये वही माखन है जो अब पत्थर बन चुका है। इसी वजह से इसे श्रीकृष्ण के माखन की गेंद कहा जाता है।

कैसे खड़ा हुआ ये पत्थर
इस पत्थर को देख कर कई सवाल खड़े होते हैं, ये पत्थर आया कहां से, इसे किसी इंसान ने यहां खड़ा किया है या फिर कुदरत ने इस पत्थर को इस तरह से खड़ा किया है। इन सारे सवालों का जवाब कोई नहीं दे पाता है, ये पत्थर महाबलीपुरम की पहचान बन गया है, जो भी इस शहर में आता है पत्थर के साथ फोटो जरूर लेता है।

कैसे पहुंचे महाबलीपुरम
अगर आप भी इस पत्थर को देखना चाहते हैं तो पहले महाबलीपुरम आना होगा, हवाई जहाज से आने के लिए आपको चेन्नई तक आना होगा, उसके बाद आप प्राइवेट टैक्सी या फिर बस से महाबलीपुरम पहुंच सकते हैं। महाबलिपुरम का निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्गलपट्टू है जो कि करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चेन्नई और दक्षिण भारत के अनेक शहरों से यहां आने के लिए कई रेलगाड़ियां मिल जाती हैं।