पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ खो चुकी कांग्रेस का हाथ अब और कमजोर होता नजर आता है । पार्टी के दिग्गज नेता और 4 बार मेघालय के मुख्यमंत्री रहे लपांग ने नाराज होकर पार्टी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है ।
New Delhi, Sep 14 : मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री डी डी लपांग ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है । वे करीब 40 वर्षों से कांग्रेस के साथ रहे । लपांग 4 बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं । बताया जा रहा है लपांग ने ये कदम कांग्रेस की अनदेखी के कारण उठाया है । वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और जब उनकी शीर्ष स्तर पर एक ना सुनी गई तो उन्होने आखिर में ये कदम उठाना ही सही समझा । लपांग 84 वर्ष के हैं और पार्टी के वयोवृद्ध नेता हैं ।
पूर्वोत्तर में झटका
लपांग का इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है । 2019 के लोकसभा चुनाव और आने वाले कुछ ही महीनो में मिजोरम विधानसभा चुनाव से पहले ये इस्तीफा कांग्रेस के लिए बड़ी समस्या बन सकता है । लपांग पार्टी के पूर्वोत्तर में काफी पुराने नेता था । राजनीति पर मजबूत पकड़ वाले लपांग पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं । अपने इस्तीफे में उन्होने नाराजगी काफी हद तक जाहिर भी की है ।
लपांग का इस्तीफा
84 वर्षीय डी डी लपांग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में साफ कहा है कि वह पार्टी छोड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह पार्टी के वरिष्ठ और वृद्ध लोगों को किनारे लगाने की नीति अपना रहे है। उन्होने लिखा कि उन्हे लगता है कि वरिष्ठ और वृद्ध जनों को पार्टी में अब उपयोगी नहीं समझा जा रहा है। जबकि जनता के लिए काम करने की भावना और ललक मेरे अंदर अब भी ज्वलंत रूप से कायम है इसलिए मैं पार्टी में कुंठित महसूस कर रहा हूं ।
‘खीझ़ पैदा हो रही है’
लपांग अपने त्यागपत्र में लिखते हैं, ”कांग्रेस पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के सहयोग और सेवा की अब पार्टी को जरूरत नहीं है. लेकिन मेरे मन में जनता के लिए काम करने की ललक अभी भी है. पार्टी की सदस्यता मुझमें खीझ पैदा कर रही है.भले ही मेरी उम्र और मेरा स्वास्थ्य की दशा कैसी भी हो मैंने अपने देश, प्रदेश और क्षेत्र के लोगों की सेवा करने की ठान ली है. मैं बहुत भारी हृदय से अपना इस्तीफा दे रहा हूं और मेरे इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया जाए.”
4 बार रहे मुख्यमंत्री
साल 1972 में वह पहली बार राजनीति में उतरे । एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर उन्होने चुनाव लड़ा और विधानसभा के सदस्य बने । इसके बाद उन्होने कांग्रेस का दामन थाम लिया । इसके बाद 1992 में वो कुछ महीनों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री थे । 4 मार्च 2003 को उन्होने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । राज्य में गठबंधन सरकार में असंतोष के कारण उन्होंने 15 जून 2006 को पद से इस्तीफा दे दिया। मार्च 2007 में मुख्यमंत्री के रूप में फिर से पदभार संभाला । 10 मार्च, 2008 को उन्होने एक बार फिर मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली । 13 मई, 2009 को वो एक बार फिर 2 महीने के लिए चौथी बार मुख्यमंत्री बने ।