कभी 35 रुपये रोजाना पर करते थे दिहाड़ी, टीम इंडिया के इस गेंदबाज ने क्रिकेट को अलविदा कहते याद किये पुराने दिन

टीम इंडिया के लिये क्रिकेट खेलना किसी सपने के साकार होने जैसा है, मुनाफ ने कहा कि अगर वो क्रिकेट नहीं खेल रहे होते तो अफ्रीका की किसी कंपनी में मजदूरी कर रहे होते।

New Delhi, Nov 11 : टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है, अपने इस फैसले पर बोलते हुए भरुच एक्सप्रेस ने कहा कि उन्हें इसका कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि उनके साथ खेलने वाले सभी खिलाड़ी अब रिटायर हो चुके हैं, सिर्फ धोनी ही मैदान में बचे हुए हैं। पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा कि सबका टाइम खत्म हो चुका है, मुनाफ ने कहा कि गम तब होता, जब सब खेल रहे होते और मैं रिटायर हो जाता।

कोचिंग में बनाना चाहते हैं करियर
हालांकि तेज गेंदबाज ने साफ कहा है कि वो दुबई में होने वाली टी-10 लीग में खेलेंगे, इसके बाद कोचिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं। मुनाफ पटेल ने कहा कि एक इंसान जो अपना पूरा जीवन क्रिकेट खेलने में गुजार दें, उसके लिये रिटायर होने का फैसला लेना आसान नहीं होता है, कई साल पहले टीम इंडिया के लिये मैच खेला, लेकिन इसके बावजूद मेरा मन अभी भी नहीं मान रहा कि क्रिकेट छोड़ दूं, मुझे क्रिकेट के अलावा और कुछ समझ नहीं आता।

युवा मौके का इंतजार कर रहे हैं
अपने इस निर्णय पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए तेज गेंदबाज ने कहा कि अब उम्र हो चुकी है, फिटनेस हर समय एक जैसी नहीं रहती, युवा गेंदबाज अपने मौके का इंतजार कर रहे हैं, इसके साथ ही उन्होने कहा कि सबसे खास बात ये भी है कि अब कोई खास वजह भी नहीं रह गई थी, कि मैं वापसी का इंतजार करता रहता।

2011 विश्व विजेता टीम का हिस्सा
आपको बता दें कि मुनाफ 2011 विश्वकप विजेता टीम के हिस्सा था, 2011 विश्वकप के दौरान टीम इंडिया के गेंदबाजी कोच एरिक सिमंस ने तो मुनाफ को विश्वकप का एक अज्ञात योद्धा कहा था, उस टूर्नामेंट में वो तीसरे सबसे ज्यादा विकेट हासिल करने वाले भारतीय गेंदबाज थे, पहले नंबर पर जहीर खान और दूसरे नंबर पर युवराज सिंह थे।

35 रुपये दिहाड़ी में करता था काम
टीम इंडिया के लिये क्रिकेट खेलना किसी सपने के साकार होने जैसा है, मुनाफ ने कहा कि अगर वो क्रिकेट नहीं खेल रहे होते तो अफ्रीका की किसी कंपनी में मजदूरी कर रहे होते, वो गुजरात के जिस इलाके से आते हैं, वहां से ज्यादातर लोग काम की तलाश में अफ्रीका जाते हैं। मुनाफ पटेल ने कहा कि शायद मैं टाइल्स की सफाई कर रहा होता, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतने लंबे समय तक भारतीय टीम में खेल सकता हूं, तेज गेंदबाज ने हंसते हुए कहा कि जब मैं युवा था तो टाइल्स की एक फैक्ट्री में काम करता था, वहां डब्बों में टाइल्स पैक करता था, जिसके बदले 35 रुपये रोजाना मजदूरी मिलते थे, दुख ही दुख था, लेकिन झेलने की आदत हो गई थी, 8 घंटे काम करने के बाद जो पैसे मिलते थे, वो काफी नहीं थे। लेकिन हम कर ही क्या सकते थे, घर में पिताजी कमाने वाले अकेले थे, हालांकि उसके बाद जो मैंने हासिल किया, वो सिर्फ क्रिकेट की वजह से किया।