सास बहू की आपने अब तक नेगेटिव खबरें ही सुनी होंगी । आज जानिए एक ऐसी दिलचस्प खबर जो इस रिश्ते को वाकई मा-बेटी से भी बढ़कर बना रही है ।
New Delhi, Jul 24 : सास ने बहू को जलाकर मार डाला, बेटे को कहकर बहू की पिटाई करवाई, बेटी होने पर सास ने घर से निकाला, नवविाहिता की सास ने उसे और दहेज को लाने को कहा । ऐसी ना जाने कितनी खबरें लगातार आती रहती हैं । सास-बहू के रिश्ते पर सवाल उठाती इन खबरों पर आज एक खबर तमाचे की तरह आई है । जिसने साबित कर दिया है कि सास भी एक मां ही होती है जो वक्त पड़ने पर बहू को बेटी से भी ज्यादा प्यार दे सकती है ।
सूरत की सास-बहू की है कहानी
शहर के आई माता इलाके में एक सास ने अपनी किडनी देकर बहू की जान बचाई । जानकारी के अनुसार कपड़ा व्यापारी नंदकिशोर की पत्नी आशा की दोनों किडनियां फेल हो चुकी थी । उनकी बचने की उम्मीद बहुत कम थी । आशा का 13 साल का एक बेटा भी है । जब कहीं से भी किडनी की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई तो नंदकिशोर की 65 वर्षी मां सामने आईं और बहू को एक किडनी देने का फैसला सुनाया ।
बहू नहीं बेटी को बचाया है
आशा की 65 वर्षीय सास शांति देवी ने अपनी एक किडनी देकर अपनी बहू की जान बचा लीं । हालांकि उनकी नजर में ये कोई बड़ी बात नहीं है । उनके मुताबिक – मैंने बहू नहीं, अपनी बेटी को बचाया है । उनके बेट नंदकिशोर भी मां के इस कदम से बेहद खुश है । उन्होने कहा कि उनकी मां ने देवी की तरह काम किया है । ये सभी सासों के लिए प्रेरणादायक है ।
13 जून को हुआ था किडनी ट्रांसप्लांट
अाशा देवी की दोनों किडनियां फेल हो चुकी थीं । जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी । 13 जून को अहमदाबाद के अपोलो अस्पताल में उनका ऑपरेशन हुआ । शांति देवी भी ऑपरेशन के करीब 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहीं । हालांकि अब वो एकदम स्वसथ हैं और उनकी बहू आशा भी अब स्वस्थ । अपोलो के डॉक्टर के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट के 410 मामलों में ये पहला है जब किसी सास ने अपनी बहू की इस तरह जान बचाई हो ।
किडनी में हो गया था इनफेक्शन
सूरत के व्यापारी नंदकिशोर और आशा की शादी 2001 में हुई थी । शादी के 5 साल बाद ही आशा को पता चला कि उनकी एक किडनी खराब है । इलाज भी करवाया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । 4 महीने पहले ही पता चला कि दूसरी किडनी में भी इनफेक्शन हो गया है और अब किडनी ट्रांसप्लांट के बिना काम नहीं चलने वाला ।
ऐसी सास हो तो फिर क्या बात है
अपनी बहू को किडनी दिए जाने पर शांति देवी ने यही कहा – बहू का दर्द मुझसे नहीं देखा गया। मैं बहू को बेटी समझती हूं। मैंने तो अपना जीवन जी लिया, लेकिन आशा को अपने 13 साल के बच्चे को पालना है। वहीं सास के इस कदम पर बहू ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी सास किडनी देकर मुझे नया जीवन देंगी। ऐसी सास सबको मिले ।