महज 10रुपए से 100 रुपए के स्टाम्प पेपर के जरिए आप अपनी मनपसंद लड़की को एक साल के लिए अपनी बीवी बना सकते हैं । जानिए क्या है पैसे देकर बीवी बनाने वाली इस प्रथा का पूरा सच ।
New Delhi, Oct 17 : देश में इन दिनों फेमिनिज्म का झंडा बुलंद है । महिला सशक्तिकरण का वो दौर चल रहा है जहां देश की नारियां पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और काम में भागीदार बन रही हैं । लेकिन ऐसे दौर में भी आज हम आपको जो बताने वाले हैं ये जानकर आपके होश उड़ने वाले हैं । क्योंकि महानगरों में बैठे लोगों को इस बात का आभास तक नहीं कि देश के गांव-कूचों में महिलाओं की हालत किस कदर बदतर हो चुकी है ।
प्रथा के नाम पर कुप्रथा
महिलाओं को एक साल के लिए बीवी बनाकर किराए पर देना, सुनकर कितना अजीब लगता है ना । लेकिन ये सब इस राज्य में खुलेआम हो रहा है और सरकार मौन है । हर साल ना जाने कितनी लड़कियों को चंद कागज के टुकड़ों के लिए खरीदा और बेचा जाता है लेकिन महिला सशक्तिकरण का ढोल पीटने वाले अपनी आंखे बंद किए बैठे हैं ।
मध्यप्रदेश की ‘धड़ीचा’ प्रथा
देश के बड़े राज्यों में से एक है मध्यप्रदेश, यहां सरकार विकास के रोज नए दावे करती है । लेकिन , बीवी को किराए पर लेने की ये कुप्रथा इसी राज्य में कई वर्षों से चली आ रही है । स्थानीय भाषा में इस प्रथा का नाम ‘धड़ीचा’ है, जिसके तहत लड़कियों को एक साल के लिए कोई भी पुरुष अपने साथ रख सकता है अपनी बीवी बनाकर , उसके एवज में वो लड़की की एक कीमत उसके घरवालों या संबंधित व्यक्ति को देता है ।
15 से 25 हजार में बिक जाती हैं लड़कियां
खरीदार के साथ लड़की का संबंध एक साल के लिए कराया जाता है । इस दौरान वो उसे अपने साथ ले जा सकता है । एक लड़की की कीमत 15 से 25 हजार दी जाती है, अगर पुरुष को लड़की के साथ अधिक समय तक रहना है तो वो उसकी और कीमत देकर अपने साथ ज्यादा दिनों तक रख सकता है । इस खरीद फरोख्त में लड़की की कोई मर्जी नहीं होती ।
ऐसे होता है सौदा
लड़की को बीवी बनाकर एक साल के लिए ले जाने वाला पुरुष कोई गड़बड़ी ना करे, अनुबंध में रहे इसके लिए 10 रुपए से लेकर 100 रुपए के स्टाम्प पेपर पर लिखा पढ़ी होती है । जिसके बाद पैसे लेकर लड़की को उस पुरुष के साथ शादी कराकर भेज दिया जाता है । समय पूरा होने पर पुरुष लड़की को वापस उसी जगह छोड़ जाता है जहां से उसने उसे खरीदा था ।
बार-बार बेची जाती हैं लड़कियां
ऐसा नहीं है कि एक बार शादी के बाद वापस लौटी लड़की फिर से इस दलदल में नहीं जाएगी । लड़की का सौदा एक बार फिर होता है और उसे दोबारा किसी अनजान शख्स के साथ उसकी बीवी बनाकर अगले एक साल के लिए भेज दिया जाता है । जिस्मफरोशी का ये एक ऐसा मामला है जिसे प्रथा के नाम पर नकारा नहीं जा सकता । मासूम लड़कियों को जानवरों की तरह बेचना कहां का न्याय है ।
घटता लिंगानुपात बड़ी वजह
लड़कियों से पैसे देकर शादी करने वाले लोगों में कई ऐसे राज्यों से होते हैं जहां कन्या भूण हत्या के मामले होने के चलते लिंगानुपात बेहद कम रह गया है । ऐसे में वहां के लड़के शादी करने के लिए दूसरी जगह की लड़कियों को लाते हैं । पैसे देकर शादी के ऐसे कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं । दूध-दही के राज्य हरियाणा में भी लिंगानुपात एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है ।
क्या ऐसे होगा महिला सशक्तिकरण ?
नारी सुधार का झंडा बुलंद करने वाले, महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले क्यों नहीं शिवपुरी की इस धड़ीचा प्रथा को धड़ से अलग करने के लिए काम करते । क्यों यहां बेटियों को हर साल किसी गैर शख्स के साथ जाने पर मजबूर होना पड़ता है । बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देनी वाली सरकार क्यों अपनी आंखों के सामने चल रही ऐसी कुप्रथा को देखकर आंख बंद कर लेते हैं ।
महिलाओं को खुद ही करना होगा विरोध
धड़ीचा कुप्रथा की शिकार एक महिला से जब इस बारे में बात की तो उसने जो जानकारी दी वो हैरान करने वाली थी । महिला के मुताबिक इस कुप्रथा को खत्म करने की बात कई सालों से सरकार के सामने की जा रही है लेकिन सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है । जरूरी है कि अब महिलाएं खुद जागें और अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ें । तभी इस पर रोक मुमकिन हो पाएगी ।