इस सफाईकर्मी ने किया विपक्ष का पत्‍ता गोल, बीजेपी को दिलवाई जीत, गरीबों की करता है जमकर मदद

गणेश चंद्र चौहान एक सफाईकर्मी हैं, जिन्होंने धनघाटा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। इस सीट पर कांग्रेस ने शांति देवी तो आम आदमी पार्टी ने संतोष को चुनावी मैदान में उतारा था।

New Delhi, Mar 14: उत्‍तर प्रदेश चुनाव में इस बार कुछ ऐसे चेहरे भी थे जो लॉकडाउन के दौरान जनसेवा में जुटे रहे । बीजेपी ने उन पर विश्‍वास दिखाया और जनता ने उन्‍हें वोट देकर सिर आंखों पर बैठाया । उत्‍तर प्रदेश के संतकबीर नगर जिले में धनघाटा सीट पर एक ऐसे ही सफाई कर्मचारी ने जीत हासिल की है, ये शख्‍स लॉकडाउन के दौरान गरीबों को खाना बांटा करता था । बीजेपी के टिकट पर उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ने वाले गणेश चंद्र चौहान ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार अलगू प्रसाद को 10,553 वोटों के अंतर से हरा दिया है ।

बीजेपी के टिकट पर लड़ा चुनाव
गणेश चंद्र चौहान एक सफाई कर्मचारी हैं, जिन्होंने धनघाटा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। इस सीट पर कांग्रेस ने शांति देवी तो आम आदमी पार्टी ने संतोष को चुनावी मैदान में उतारा था। जीत के बाद गणेश चंद्र चौहान ने समाज के सबसे छोटे लोगों के लिए भी पीएम नरेंद्र मोदी के सम्मान का जिक्र करते हुए कहा, ‘जिस तरह से प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मियों को सम्मान दिया है और चुनाव टिकट दिया है, हर छोटे कर्मचारी को यह महसूस करना चाहिए कि वे ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है.

पीएम ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में सफाई कर्मचारियों को सम्मानित किया था, पीएम मोदी ने उनके पैर धोए और संदेश दिया कि सफाई कर्मचारी नीच नहीं हो सकते. अगर वे समाज की गंदगी साफ कर रहे हैं, तो यह दर्शाता है कि वे निश्चित रूप से महान हैं.’

लोगों के मददगार हैं गणेश
कोरोना महामारी के दौरान गणेश चंद्र चौहान ने अपने क्षेत्र में लोगों की काफी मदद की थी । उन्होंने रिक्शा चालकों के लिए खाने की व्यवस्था की । गणेश ने इस सेवा भाव को लेकर कहा, “मैं केवल लोगों की सेवा करना चाहता हूं. मैं अपनी गाड़ी में ‘पूड़ी-सब्जी’ रखता था और कोविड महामारी के दौरान रिक्शा चालकों को खाना खिलाता था, क्योंकि उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं था. संत कबीर नगर में बिहार के कई लोग रहते हैं. जब मुझे टिकट दिया गया तो लोग मुझसे मिलने आए, वे भावुक हो गए. जिस दिन मैं धनघाट विधानसभा से जीता, लोग एक-दूसरे को गले लगा रहे थे. रिक्शा चालक खुश हो रहे थे और सभी को बता रहे थे कि मैंने उन्हें तीन महीने तक लॉकडाउन के दौरान खिलाया, जब किसी ने उनकी परवाह नहीं की.”