देश के सपूत ने पेश की वीरता की अद्भुत मिसाल, राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से नवाजा

देश के सपूत ने वीरता की ऐसी मिसाल पेश की है कि आपके दिल में सम्मान जाग उठेगा। राष्ट्रपति द्वारा उन्हें शौर्य चक्र से नवाज़ा गया है। जानिए वीरता की ये कहानी

New Delhi, Mar 29: भारत की भूमि वीरों की भूमि है। हर बार इस धरती ने ऐसे ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया है, जो शौर्य की एक अविस्मरणीय कहानी से इतिहास रच गए। इन वीरों की वीरता को जितनी बार सलाम किया जाए उतना कम है। ऐसे ही एक वीर की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे राष्ट्रपति द्वारा शौर्य चक्र से नवाजा गया है। देश के सपूत वीरेंद्र की कहानी जानकर आपको गर्व होगा।

भारतीय सेना के जांबाज
नायब सूबेदार वीरेंद्र सिंह फरस्वाण भारतीय सेना के एक जांबाज हैं। 4-स्पेशल पैरा फोर्स में तैनात नायब सूबेदार सुरेंद्र सिंह फरस्वाण को देश के राष्ट्रपति द्वारा अदम्य साहस और शौर्य के लिए शौर्य चक्र से अलंकृत किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में इस वीर को वीरता पदक से सम्मानित किया है

राष्ट्रपति ने दिया शौर्य चक्र
इस समारोह में देश के प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। सेना के उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में जब सुरेंद्र सिंह फरस्वाण का नाम गूंजा, तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा भवन गूंज उठा। नायब सूबेगार सुरेंद्र सिंह फरस्वाण मूलरूप से चमोली जिले के थराली प्रखंड के रहने वाले हैं। वो सोलपट्टी-बूंगा गांव की धरती के वीर सपूत हैं।

ये है सुरेंद्र की कहानी
वर्तमान में सुरेंद्र सिंह फरस्वाण का परिवार दून में रहता है। जैसा कि कहा जाता है कि पहाड़ के लोगों के खून में मातृभूमि की सेवा का जज्बा है। ऐसा ही जज्बा सुरेंद्र के खून में बचपन से था। उनके पिता भी सेना से रिटायर्ड हैं। साल 1993 में सुरेंद्र ने राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज गरूण से 12वीं पास की थी। इसके बाद ही वो सेना में भर्ती हो गए थे।

22 साल से ज्यादा वक्त तक देशसेवा
देश के सेना के लिए सुरेंद्र 22 साल से ज्यादा का वक्त दे चुके हैं।  2016 में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में सेना ने आतंकियों को खत्म करने के लिए एक अभियान चलाया था। इस अभियान के लिए सेना की टुकड़ी में सुरेंद्र सिंह फरस्वाण भी थे। इस सर्च ऑपरेशन की खबर आतंकवादियों को भी लग गई थी। इसके बाद आतंकवादियों ने सेना पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी।

2016 में दिखाया अदम्य साहस
आतंकियों ने भागने की कोशिश की थी। इस बीच नायब सूबेदार सुरेंद्र सिंह फरस्वाण ने एक भी वक्त नहीं गंवाया और ना ही अपनी जान की परवाह की। सुरेंद्र सिंह भारत माता की जय जयकार करते हुए उस चट्टान की तरफ दौड़ पड़े, जिसके पीछे आतंकी छुपे थे। आतंकवादियों ने इसके बाद नायब सूबेदार सुरेंद्र सिंह पर दो ग्रेनेड फेंके, लेकिन सुरेंद्र लगातार आगे बढ़ते गए।

ऐसे बने आंतकियों के काल
सुरेंद्र सिंह उस चट्टान पर चढ़ गए, जहां से आतंकवादी फायरिंग कर रहे थे। चट्टान के पीछे छुपे दो आतंकियों के ऊपर सुरेंद्र सिंह आ गए। एक आंतकवादी को वहीं पर मार गिराया। इसके बाद दूसरे आतंकवादी ने उन पर ग्रेनेड फेंका, तो सुरेंद्र सिंह इस ग्रेनेड से भी खुद को बचाकर आतंकवादी की आंखों से आखें मिलाने लगे। अदम्य साहस और अपनी जान की परवाह ना करते हुए इस सपूत ने उस आतंकवादी को भी वहीं ढेर कर दिया।