गरीब बच्चों को एकदम फ्री में पढ़ाता है यह कोचिंग सेंटर, 40 से 45 बच्‍चों का हर साल बनता है बैच, इस बार रिकॉर्ड रहा रिजल्‍ट

सुपर 30 के बारे में आप सभी ने सुना होगा । लेकिन देश में इसके अलावा भी कई कोचिंग इंस्टिट्यूट हैं जिनमें बच्‍चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है । ऐसा ही एक कोचिंग इंस्टिट्यूट सूरत में है ।

New Delhi, Aug 01 : बिहार के आनंद कुमार को कौन नहीं जानता । उनके सुपर 30 बैच की दुनिया भर में पहचान है । वो आम बच्‍चों को इस बैच के लिए चुनते हैं और उन्‍हें आईआईटी जैसी कड़ी परीक्षा के लिए तैयार करते हैं । आर्थिक रूप से पिछड़े बच्‍चे उनकी प्राथमिकता में शामिल होते हैं । लेकिन क्‍या देश में सिर्फ आनंद कुमार ही ऐसा काम कर रहे हैं । नहीं, ऐसे और भी कई हैं जो योग्‍य शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं ।

सूरत के रवि छावछारिया
आम छात्रों से हर साल करीब 25 हजार रुपए तक की फीस लेने वाले सीए रवि छावछारिया अपना कोचिंग इंसिटट्यूट चलाते हैं । यहां आने वाले बच्‍चे रवि सर की बहुत ही इज्‍जत करते हैं । रवि एक योग्‍य शिक्षक ही नहीं एक अच्‍छे इंसान भी है । तभी तो वो गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को फ्री में पढ़ाते हैं ।

34 में से 24 बच्‍चों को मिली सफलता
रवि ने इस साल 34 स्टूडेंट को फ्री में कोचिंग दी । इनमें से 24 स्टूडेंट ने सीए इंटरमीडिएट की परीक्षा में सफलता हासिल की है । इनमें से कई स्टूडेंट सूरत के बाहर के हैं, जिन्हें छावछारिया ने फ्री में रहने और खाने की व्यवस्था भी कराई । छावछरिया ऐसे स्टूडेंट की मदद करते हैं जिनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं होते

सीए की डिमांड जयादा
सूरत व्‍यापारियों का शहर माना जाता है । यहां शहर में सीए बनने के लिए स्टूडेंट का रुझान ज्यादा है । जिसका सीधा लाभ कोचिंग संचालक उठाते हैं । महंगी फीस के कारण गरीब परिवारों के मेधावी बच्‍चे पीछे रह जाते हैं । ऐसे में रवि जैसे कोचिंग इंसिटट्यूट के मालिक इन बच्‍चें के लिए भगवान से कम नहीं । वो ऐसे परिवारों की मदद करते हैं और उनके बच्‍चों को पढ़ाकर अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करते हैं ।

कामगरों के बच्‍चों की करते हैं मदद
सीए की कोचिंग चलाने वाले रवि छावछरिया आर्थिक पूर पर से कमजोर माता-पिता के लिए ममद का वो हाथ है जो उनके बच्‍चों को बेहतर भविष्‍य की ओर ले जाते हैं । जिन स्टूडेंट ने फ्री कोचिंग पढ़कर सीए इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है, उनमें से कई के पिता ऑटो ड्राइवर, हीरा कारीगर, सेल्समैन हैं। इनमें से दो के पिता गुजर चुके हैं।

ऐसे चुनते हैं छात्र
रवि के अनुसार फ्री कोचिंग पढ़ाने के लिए कुछ बच्चों का सिलेक्शन किया जाता है । सबसे पहले स्टूडेंट की 12वीं में मिले मार्क्स देखे जाते हैं। उसके बाद में उनका इंटरव्यू लिया जाता है । परिवार की आय भी देखी जाती है । छात्रों के चुनाव को आधार सिर्फ मार्क नहीं होते, उसकी लगन, सीए बनने की चाहत और प्रतिभा का अनुमान लगाकर निःशुल्क कोचिंग में पढ़ाने का डिसीजन लिया जाता है। इस साल नवंबर के बैच में रवि 50 बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने की तैयारी में हैं ।