भागती दौड़ती इस जिंदगी में अगर आपके पास अपनों के पास जाने का वक्त भी नहीं है तो ये खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए । जिंदादिली की मिसाल इस चायवाले ने अपनी छोटी सी कमाई में बीवी को 17 देशों की सैर करा दी है ।
New Delhi, Jul 23 : भारत में चाय का चलन बरसों से है । कॉफी आज भी फैशनेबल और ऊंचे दर्जे के लोगों की पसंद मानी जाती है । भारत के चौक-चौराहों पर चाय की दुकान का मिलना आम बात है । हर दफ्तर तक पहुंचने वाली चाय की प्यालियां लोगों को कुछ पल साथ बिताने का मौका देती है । लेकिन जरा एक बार सोचिए, क्या एक चाय की दुकान से इतनी कमाई हो सकती है कि वो कोई बीवी समेत दुनिया के चक्कर लगा आए । अगर आपको लगता है कि ऐसा संभव नही है तो जरा इनसे मिलिए । बेहद कम कमाई के बाद भी 17 देश घूम आया ये शख्स कोच्चि से है ।
वर्ल्ड टूर का सपना
कोच्चि के रहने वाले 68 साल के विजयन श्री बालाजी कॉफी हाउस नाम की एक एक छोटी सी दुकान चलाते हैं । अपनी 67 साल की बीवी मोहना के साथ वो इस दुकान को पिछले 43 सालों से चला रहे हैं । दुकान छोटी है लेकिन विजयन के सपने बहुत बड़े हैं । घर-परिवार की जिम्मेदारी के वाबजूद विजयन अपना सपना पूरा करने में जुटे हुए है ।
इन देशों की कर चुके हैं सैर
छोटी सी दुकान में चाय पिलाकर लोगों के साथ अचछा बर्ताव करने वाले विजयन आस-पास के लोगों के बीच काफी जाने जाते हैं । वो अपनी वाइफ मोहना के साथ दुनिया घूमने का अपना सपना पूरा कर रहे हैं । विजयन अबतक ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, इजिप्ट, यूएई समेत 17 देशों का सफर कर चुके हैं । उनकी कमाई का जरिए चाय की दुकान के अलावा कोई दूसरा नहीं ।
ऐसे करते हैं पैसे इकठ्ठा
अपने देश – दुनिया देखने के सपने को पूरा करने के लिए विजयन रोज बचत करते हैं । ऐसा नहीं है कि उनके पास उनका कोई पुश्तैनी खजाना है । इसी छोटी सी दुकान से होने वाली कमाई के जरिए ही वे अपना वर्ल्ड टूर का सपना पूरा कर रहे हैं । इसके लिए उन्होंने बैंक से लोन लेना शुरू कर दिया । पहले वो खुद से कुछ रकम जोड़ते हैं और फिर उसके आधार पर बैंक से लोन लेते हैं ।
रोजान करते हैं बचत
विजयन और उनकी पत्नी मोहना रोजाना 300 रुपए सेविंग करते हैं । ऐसा वो करीब दो से तीन साल तक करते हैं । फिर बाकी पैसा लोन के रूप में लेते हैं और घूमने जाते हें । वापस आकर कुछ सालों तक फिर उस लोन को चुकाते हैं । दोबारा बचत करते हैं और फिर अगले सफर की तैयारी में जुट जाते हैं । अपने इस शौक को पूरा करने के लिए विजय बहुत ही सावधानी से खर्च करते हैं ।
बचपन से था शैक
विजयन का कहना है कि उन्हें घूमने का शौक बचपन से था । उनके पिता उन्हे देश में अगल-अलग जगह ले जाया करते थे । पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई । तब पूरा ध्यान परिवार पर लगा दिया । लेकिन 1988 के बाद वक्त बदला और मैंने एक बार फिर बचपन के शौक को पूरा करने के लिए काम करना शुरू किया । पत्नी ने भी उनके इस सपने में साथ दिया । विजयन का पसंददीदसा देश स्विट्जरलैंड है ।