ये थे असली ‘टाइगर’, जासूस जो इस्लाम अपनाकर पाकिस्तानी फौज में बन गये थे मेजर

रविन्द्र कौशिक को पाकिस्तान में अमानत नाम की एक लड़की से प्यार हो गया, जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली।

New Delhi, Aug 15 : देश आज स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है, इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे जासूस के बारे में बताते हैं, जिसकी कहानी जेम्स बॉन्ड से कम नहीं थी, इनके बारे में कई दिलचस्प किस्से हैं, कहा जाता है कि ये भारतीय होकर भी पाकिस्तानी सेना में मेजर बन गये थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले पूर्व रॉ एजेंट रविंद्र कौशिश की। जिन्होने पाकिस्तान में अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिये इस्लाम तक कबूल कर लिया था।

रॉ से जुड़े
साल 1952 में रविंद्र कौशिक का जन्म एक पंजाबी परिवार में हुआ, टीनएज से ही वो थियेटर करते थे, उन्हीं दिनों रॉ के एक अधिकारी की नजर उन पर पड़ी, 23 साल की उम्र में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होने रॉ ज्वाइन कर लिया। साल 1975 में बतौर जासूस उन्हें पाकिस्तान भेजा गया, जहां वो नबी अहमद शेख के नाम से पहुंचे थे। पाक पहुंचने के बाद उन्होने कराची के लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया और फिर डिग्री भी हासिल कर ली।

खतना करवाया
सबसे खास बात ये है कि रविंद्र कौशिक ने अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिये अपना खतना तक करवाया था। ताकि किसी को भी उन पर शक ना हो। इसके बाद वो पाकिस्तान की सेना में शामिल हो गये, जहां वो मेजर रैंक तक पहुंचे थे, हालांकि पाकिस्तान को कभी ये शक नहीं हुआ, कि उनके बीच एक भारतीय जासूस काम कर रहा है।

पाकिस्तानी महिला से शादी
रविन्द्र कौशिक को पाकिस्तान में अमानत नाम की एक लड़की से प्यार हो गया, जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। उनकी एक बेटी भी हुई, उस दौर में पाक की हर चाल पर भारत भारी पड़ रहा था, क्योंकि उसकी सारी योजनाओं के बारे में कौशिक भारतीय सेना को पहले ही जानकारी दे देते थे। 1979 से 1983 तक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारियां सौंपी, जो देश के लिये काफी मददगार साबित हुई, तब भारतीय सेना कौशिक को द ब्लैक टाइगर के नाम से पुकारती थी, कहा जाता है कि उन्हें ये नाम तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था।

ऐसे खुला राज
साल 1983 में रविंद्र कौशिक का राज खुल गया, तब रॉ ने एक और जासूस को कौशिक से मिलने के लिये पाक भेजा था, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हत्थे चढ गया। पाक सेना ने जब उस जासूस से कड़ाई से पूछताछ की, तो ना सिर्फ उसने अपने इरादे जाहिर कर दिये, बल्कि रविंद्र कौशिक की भी पहचान बता दी। हालांकि जब तक पाक फौज के लोग उन तक पहुंचते, तब तक वो वहां से भाग निकले थे।

पकड़े गये कौशिक
एक लीडिग वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार वहां से भागने के बाद कौशिक ने भारत से मदद मांगी, लेकिन सरकार ने उन्हें देश लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, arrestजिसके बाद पाक एजेंसियों ने उन्हें पकड़ लिया और सियालकोट जेल में बंद कर दिया। जहां उन्हें खूब टॉर्चर किया गया, लेकिन उन्होने खुफिया जानकारी नहीं दी। साल 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, फिर बाद में उम्रकैद में तब्दील कर दी गई। साल 2001 में जेल में ही टीबी और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई।