इस गांव में 7 दिन पहले मना ली जाती है दिवाली और होली, सालों से चल रही है परंपरा

diwali chattisgarh

हमारे देश में एक गांव ऐसा भी है जहां त्‍यौहार से एक हफ्ते पहले ही उसका जश्‍न मना लिया जाता है । इस गांव का नाम और ऐसा करने की वजह आगे जानें ।

New Delhi, Oct 16 : एक ओर पूरे देश में दिवाली की धूम है । 19 अक्‍टूबर को मनाई जाने वाली दिवाली की रौनक बाजारों में अभी से ही नजर आ रही है । रंग बिरंगी रौशनियों से सभी घर चमक दमक रहे हैं । सभी को बेसब्री से 19 अक्‍टूबर का इंतजार है जब वो दिल खोलकर खुशियां मनाएंगे । लेकिन देश में एक जगह, एक गांव ऐसा भी है जहां ये रौनकर एक हफ्ते पहले ही हो जाती है । यहां दिवाली समेत 4 त्‍यौहार नियत तारीख से एक हफ्ते पहले मना लिए जाते हैं ।

छत्‍तीसगढ़ के गांव में है ये अनोखी परंपरा
हम जानते हैं कि आप उस जगह का नाम जानना चाहते हैं जहां ये अनोखी परंपरा सालों से चली आ रही है । वो जगह है छत्तीसगढ़ के कुरुद ब्लाक का सेमरा गांव । इस छोटे से विलेज में इस अनोखी परंपरा का निर्वहन पिछले कई सालों से होता आ रहा । हर पीढ़ी के लोग इस परंपरा को बढ़ाते आ रहे हैं, कोई भी इसमें दखल नहीं डालता है ।

दिवाली समेत 4 त्‍यौहार एक हफ्ते पहले मनाए जाते हैं
इस गांव में दिवाली ही नहीं बल्कि होली, हरेला और पोला जैसे त्‍यौहार निश्चित तारीख से एक हफ्ते पहले ही मना लिए जाते हैं । पोला छत्‍तीसगढ़ का स्‍थानीय त्‍यौहार है, जिसे बाकी जगह से एक हफ्ते पहले मनाया जाता है । इस परंपरा का निर्वहन यहां सालों से हो रहा है और नई पीढ़ी को भी इसकी शिक्षा शुरू से ही दिया जाता है ।

इनके कहने पर निभाई जाती है ये परंपरा
गांव की मान्‍यतानुसार कई सालों पहले इस गांव के सरपंच के सपने में गांव के देवता सिरदार देव स्‍वयं आए थे । उन्‍होने उनके सपने में गांव की खुशहाली का मंत्र बताते हुए, दिवाली समेत चार त्‍यौहारों को 7 दिन पहले मनाने को कहा था । सरपंच ने सुबह उठकर सभी ग्राम वासियों को इसकी सूचना दी और तब से अब तक गांव में 4 त्‍यौहार एक हफ्ते पहले मनाया जाने लगा ।

सिरदार देव के मुदिर में मनाया जाता है त्‍यौहार
इस गांव में त्‍यौहार को मनाने की भी अनोखी परंपरा है । वर्तमान सरपंच के मुताबिक सेमरा में बने सिरदार देव के मंदिर में ही सभी ग्रामीण इकठ्ठा होते हैं और मिलजुलकर सभी त्‍यौहार मनाते हैं । इस तरह गांव के लोगों को साथ आने और एक साथ त्‍यौहार की खुशी बांटने का मौका मिलता है इसके बाद मंदिर में चढ़ाई गई मिठाई आदि सभी मिलकर खाते हैं ।

1500 की आबादी का है गांव
छत्‍तीसगढ़ के इस रिमोट विलेज में फिलहाल 1500 लोग रहते हैं । रोजमर्रा की चीजों के लिए ये स्‍थानीय फल और अनाज पर आश्रित हैं । गांवdiwali chattisgarh में त्‍यौहारों के समय खासी रौनक रहती है । सभी लोग मिलजुलकर त्‍यौहार की तैयारी करते हैं और गांव को सजाते हैं । इस दौरान गांव में सभी खुशी से रहते हैं । बच्‍चों में त्‍यौहारों को लेकर खास क्रेज नजर आता है ।

7 दिन पहले त्‍यौहार मनाने के पीछे एक कहानी ये भी है
गांव के बड़े बुजुर्ग इस अनोखी परंपरा के पीछे एक कहानी सुनाते हैं । इस कहानी के मुताबिक काफी पहले गांव में दो अलग-अलग जाति के 2diwali chattisgarh दोस्त रहते थे । एक बार दोनों जंगल चले गए लेकिन वहां उन्‍हें जंगली जानवर ने खा लिया । दोनों के शवों को गांव की सीमा पर अलग-अलग दफना दिया गया । गांव के ही एक शख्‍स के सपने में ये दोनों दोस्‍त आए और त्‍यौहारों को उनकी तारीख से एक हफ्ते पहले मनाने का कहा ।

ना मानने पर अनिष्‍ट की दी चेतावनी
ग्रामीण कहते हैं कि इन्‍हीं दोस्‍तों को सिरदार देवाता के रूप में पूजा जाता है । सपने में आए सिरदार देव ने बताए हुए तरीके से त्‍यौहार ना मनाने PIC -6पर अनिष्‍ट की धमकी दे डाली । उन्‍होने सपने में कहा था कि दिवाली अमावस पर नहीं अष्‍टमी या नवमी के दिन मनाओं । तब ही से गांव में सिरदार देवता के कथन का पालन किया जाता है ।

गांव के युवा भी परंपरा को आगे बढ़ाना चाहते हैं
इस साल भी 12 अक्‍टूबर को अष्‍टमी के दिन ही यहां दिवाली का त्‍यौहार धूमधाम से मनाया गया । गांव के युवा जो बाहर काम करते हैं वो भी गांव पहुंचे और अपनी परंपरा का निर्वहन किया । युवाओं का कहना है कि सप्ताहभर पहले त्योहार मनाने की पंरपरा सदियों से चली आ रही है और वो उसे आगे भी कायम रखेंगे । पूर्वजों के भरोसे टूटने नहीं देंगे । हमारे गांव में दिवाली और दूसरे त्‍यौहार सभी साथ मिलकर मनाते हैं।