शुरू हो गया है अगहन मास, जानें इस महीने से जुड़ी 8 ध्‍यान देने योग्‍य बातें

इस महीने को श्रीकृष्‍ण का रूप कहा गया है, अगहन के महीने में श्रीकृष्‍ण की पूजा और कुछा बातों का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए ।

New Delhi, Nov 10 : हिंदू कैलंडर के अनुसार नौवें महीने को मार्गशीर्ष कहा जाता है । ये महीना अगहन का महीना भी कहलाता है । मार्गशीर्ष भगवान श्री कृष्‍ण के कई नामों में से एक है, इसीलिए इस महीने को श्रीकृष्‍ण का रूप भी माना गया है । सतयुग में इस महीने की पहली तारीख से ही साल की शुरुआत मानी जाती थी । अंग्रेजी कैलंडर के अनुसार ये महीना नवबंर से दिसंबर के बीच ही आता है । इस बार इस महीने की शुरुआत नवंबर के पहले हफ्ते से हो चुकी है । आगे जानिए इस ममहीने से जुड़ी कुछ खास बातें ।

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें
अगहन मास में स्‍नान का बहुत महत्‍व है । शास्‍त्रों के अनुसार श्रद्धालु अगर इस मास में 3 दिन तक लगातार किसी नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करे तो उसे इच्छित फल की प्राप्ति होती है । लगातार 3 दिन तक बिना रोक-टोक के स्‍नान का पुण्‍य फल प्राप्‍त होता है । लेकिन यदि आप ऐसी जगह नहीं रहते हैं जो नदियों के समीप है तो आप सुबह घर पर ही स्‍नान कर सकते हैं । इस पानी में गंगाजल मिला लें और स्‍नान के बाद दीपक जलाएं ।

शंख पूजा का विशेष महत्‍व
इस महीने को श्रीकृष्‍ण का प्रिय महीना कहा गया है । इस महीने में शंख की पूजा विशेष रूप से फल्‍दायी होती है । अगहन मास में शंख की पूजा इस मंत्र से करनी चाहिए –
त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृत: करे। निर्मित: सर्वदेवैश्च पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते।
तव नादेन जीमूता वित्रसन्ति सुरासुरा:। शशांकायुतदीप्ताभ पाञ्चजन्य नमोऽस्तु ते॥
जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं का पूजन होता है उसी प्रकार इस मास में सामान्‍य शंख की पूजा भी पंचजन्य शंख की पूजा के समान ही फल देती है।

पवित्र धर्म ग्रंथों के पाठ
मार्गशीर्ष यानी अगहन मास में 3 धर्म ग्रंथों के पावन पाठ की बहुत महिमा है। इनमें पहला है  विष्णुसहस्त्रनाम, दूसरा है श्रीमदभगवत गीता और तीसरा है गजेन्द्रमोक्ष । इन तीनों का दिन में 2 से 3 बार पाठ करने वाला वैकुंठ पद प्राप्‍त करता है । शास्‍त्रानुसार इस मास में पवित्र ग्रंथ गीता को देखने भर से ही पुण्‍य की प्राप्ति होती है । घर में अगर गीता रखी हो तो प्रतिदिन इसे एक बार प्रणाम अवश्‍य करें ।

गुरु की सेवा
इस मास में अपने गुरु, इष्‍ट जन और बड़े बुजुर्गों की सेवा का विशेष फल प्राप्‍त होता है । शास्‍त्रों में कहा गया है जो भी व्‍यक्ति मार्गशीर्ष के मास में अपने गुरुओं का आदर करता है उसे पृथ्‍वी पर किसी तरह के कष्‍टों का सामना नहीं करना पड़ता । इस मास में अपने गुरु या  इष्ट को ॐ दामोदराय नमः कहते हुए प्रणाम करने से जीवन की सभी समस्‍याओं का क्षय होता है ।

चंद्र पूजन का विशेष महत्‍व
अगहन की पूर्णिमा का शास्‍त्रों में विशेष महत्‍व है । इइस दिन चन्द्रमा की पूजा अवश्‍य की जानी चाहिए । मान्‍यता है कि इस दिन चन्द्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था । इस दिन माता, बहन, पुत्री और परिवार की दूसरी स्त्रियों को वस्‍त्र देना चाहिए । उनसे आशीर्वाद लेकर दान पुण्‍य करना चाहिए । ऐसा करने वाला व्‍यक्ति कभी धन के अभाव में नहीं जीता । उस पर मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा बरसती है ।

अन्‍न का दान सबसे श्रेष्‍ठ
अगहन मास में धन के दान से अधिक अन्‍न दान की परंपरा है । घर में धन-धान्‍य, सुख-वैभव बना रहे इसके लिए जरूरतमंदों को अन्‍न का दान करना चाहिए । ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आप प्रसन्‍न भाव से जीवन का आनंद ले पाते हैं । अगर आप चाहें तो आप दानोत्‍सव का आयोजन कर सकते हैं जिसमें आपके परिवार के लोग भी शामिल होकर इसके पुण्‍य फल को प्राप्‍त कर सकते हैं ।

व्रत, उपवास का विशेष महत्‍व
स्कंदपुराण में कहा गया है,  भगवान श्रीकृष्‍ण की विशेष कृपा प्राप्‍त करने के लिए ये मास सबसे उपयुक्‍त है । इस मास में आप कृष्‍ण की कृपा पाने के कई तरीके अपना सकते हैं । इस मास में व्रत-पूजन का विशेष महत्‍व है । इस महीने की द्वादशी यानी 12वीं तारीख को व्रत शुरू  पूरे वर्ष हर महीने द्वादशी को व्रत रखने वाला मोक्ष की प्राप्ति करने वाला हो जाता है ।

अगहन में आती है दत्‍तात्रेय जयंती
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को दत्त जयंती मनाई जाती है । इस वर्ष 3 दिसंबर 2017 को ये मनाई जाएगी । मान्यता अनुसार इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था । धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है । दत्तात्रेय में ईश्वर एवं गुरु दोनों रूप समाहित हैं जिस कारण इन्हें श्री गुरुदेवदत्त भी कहा जाता है ।