इस मंदिर में भीतर है पाताल तक बनी सुरंग, खुद योगी आदित्यनाथ हैं संरक्षक

आज हम आपको एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं, जहां पाताल तक सुरंग बनी है। बताया जाता है कि इसके संरंक्षक खुद योगी आदित्यनाथ हैं।

New Delhi, Dec 05: आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं,  जिसके लिए कहा जाता है कि इसके गर्भगृह से पाताल तक का रास्ता है। देश के 51 शक्तिपीठों में एक शक्तिपीठ है देवीपाटन मंदिर। ये जगदमाता पाटेश्वरी देवी का मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर के संरंक्षक खुद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं। युगों युगों से ये जगह ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है।

श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है
इस मंदिर में दूरदराज से आए लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। ये मंदिर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले की तुलसीपुर तहसील में सिरिया नदी के तट पर पाटन गांव में स्थित है। यहां देश भर के कोने कोने से भक्त शीश नवाने आते हैं। इस मंदिर में पहले पशु-पक्षियों को भोग चढ़ाया जाता है, उसके बाद ही मंदिर के प्रसाद को बाकी भक्तों के बीच बांटा जाता है।

पशु पक्षियों के लिए अलग व्यवस्था
ऐसा इसलिए क्योंकि कहा गया है कि ईश्वर का वास मनुष्य ही नहीं अपितु पशु-पक्षियों में भी मौजूद है। इस वजह से ये प्रथा यहां सदियों से चली आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह से पाताल तक के लिए अति प्राचीन सुरंग बनी हुई है। इसके साथ ही खास बात ये भी है कि यहां त्रेतायुग से अखंड ज्योति जलती आ रही है।

यहां बेहद खास है अखंड ज्योति
खास बात ये है कि इस अखंड ज्योति को मां दुर्गा का निवास कहा जाता है। इस गर्भगृह में कोई प्रतिमा नहीं है। गर्भगृह के शीर्ष पर कई रत्नजड़ित छतर लगे हैं। इसके साथ ही यहां ताम्रपत्र पर दुर्गा सप्तशती अंकित की गई है। इस मंदिर में साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र के मौके पर विशेष उत्सव होता है। इस वक्त माता के दर्शनार्थियों की विशाल भीड़ आती है।

माता को ये चढ़ाया जाता है
यहां माता को प्रसाद के रूप में चुनरी, चुनरी, नारियल, नथुनी, लावा, मांगटीका, सिन्दूर, बिछिया, चूड़ी, पायल, कपूर, लौंग, धूप, इलाइची, पुष्प, चरणामृत और प्रमुख रुप से रोट का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मां भगवती को भोग लगाने के बाद पशु-पक्षियों को बड़ी श्रद्धा से भोजन कराया जाता है। खास बात ये है कि जैसे ही मंदिर की घंटिया बजती हैं, आस पास से पशु पक्षी यहां खुद आ जाते हैं।

एक और दिलचस्प तथ्य
यहां एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी देवीपाटन मंदिर के मुख्य संरक्षक बताए जाते हैं। योगी वैसे भी गौमाता और अन्य पशु-पक्षियों से बेहद प्यार करते हैं। इस वजह से मंदिर परिसर में गौशाला और पक्षियों के लिए घरौंदे बने हैं। इसके साथ ही यहं अन्य जानवरों के लिए शरणालय भी बनाए गए हैं। भक्त यहां आकर पशु सेवा का पुण्य भी प्राप्त करते हैं।

घोषित होगा पर्यटन स्थल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मंदिर को जल्द ही पर्यटन स्थल घोषित करने का ऐलान किया है। मान्यता है कि यहां विद्यमान सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रही अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है। इतिहास साक्षी है कि सिद्ध रत्ननाथ व गुरु गोरखनाथ को यहीं से सिद्धि यहीं प्राप्त हुई थी। इस वजह से इस मंदिर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण करने के लिए आते हैं।

महापुराण में किया गया उल्लेख
दरअसल देवीपाटन का उल्लेख स्कन्दतालिका, देवी भागवत और महापुराणों में भी किया गया है। यहां खण्डित मां सती का बांया स्कन्द यानी कंधा पाटम्बर समेत आ गिरा था। उसी वक्त से इस पवित्र स्थान का नाम मां पाटेश्वरी देवीपाटन मंदिर पड़ गया है। बताया जाता है कि यहीं से ही त्रेतायुग में मां सीता का पाताल गमन भी हुआ था। उस समय की सुरंग यहां आज भी गर्भगृह में मौजूद है।