ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जो बहुत ही पवित्र मानी जाती हैं, इन वस्तुओं को आपके द्वारा सीधे जमीन पर रखना आपके जीवन को अशुभता से भर देता है ।
New Delhi, Jan 31 : ब्रह्मवैवर्तपुराण, वैष्णव पुराण है । इस पुराण के चार खंड हैं। पहला खंड ब्रह्म खंड, दूसरा प्रकृति खंड , तीसरा गणपति खंड और चौथा श्रीकृष्ण जन्म खंड है । जानकारों के अनुसार इस पुराण में पूजा-पाठ और सुखी जीवन के लिए कुछ खास सूत्र बताए गए हैं। उन्हीं सूत्रों में से आज हम आपको बता रहे हैं उन वस्तुओं के बारे में जो पूजा पाठ के दौरान इस्तेमाल की जाती है । जिन्हें किसी भी प्रकार से सीधे भूमि पर रखना शुभ नहीं माना जाता, ऐसा करने पर आप गंभी आर्थिक तंगी से गुजर सकते हैं ।
दिया
हिंदू धर्म में पूजा के समय दिया का प्रयोग होता ही है, दिया अग्नि का प्रतीक है । इसे लेकर हमेशा सावधानी रखनी चाहिए । पूजा का दिया सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए । इसके नीचे अक्षत अर्थात चावल फैला दिने चाहिए । पूजा स्थल पर कोई लकड़ी का स्थान बनाकर उस पर दिया रखें । ध्यान रहे पूजा में प्रयोग किया जाने वाला दिया खंडित नहीं होना चाहिए । ये अशुभ फफल देता है ।
सुपारी
आप सभी के घर में मंदिर होगा । मंदिर में सुपारी रखने की परंपरा है । लेकिन ध्यान रहे सुपारी को यूं ही ना रखें । पूजा घर में सुपारी हमेशासिक्के के ऊपर रखें । सुपारी को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है, इन्हें सीधे जमीन पर रखना या मंदिर में बिना आसन के रखना शुभ नहीं है । ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता । मंदिर में सुपारी को लाल आसन पर भी रख सकते हैं, इन्हें सिंदूर लगाकर टीका करें ।
शालीग्राम
पूजा में शालीग्राम रखा हो तो किसी रेशमी कपड़े के ऊपर या इसमें लपेटकर रखें । जिस प्रकार शिवलिंग शिव का प्रतीक है उसी प्रकार शालीग्राम भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है । इन्हें ककभी भी जमीन पर ऐसे ही नहीं रखना चाहिए । ऐसा करना शुभ नहीं होता, ये आपको दरिद्रता की ओर ले जाता है । गलती से भी ऐसी गलती करने की भूल ना करें । शालीग्राम को घर के मंदिर में रखना शुभ माना जाता है । आप इन्हें तुलसी जी में भी स्थापित कर सकते हैं
मणि या रत्न
किसी विशेष रत्न या माणिक को आपने मंदिर में रखा है तो उसे सफेद एवं स्वच्छ कपड़ों में रखें । मणि ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उनकी पूजा ध्यान से करें । यदि आपके गहनों में हीरा, पन्ना, मोती, नीलम जैसे रत्नों से बने आभूषण हैं तो उन्हें भी किसी रेशमी कपड़े में लपेटकर ही सेहजकर रखें । रत्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका सम्मान करें । रत्न से बनी हुई किसी भी वस्तु का अनादर ना करें ।
देवी देवताओं की मूर्ति
मंदिर में रखी जाने वाली मूर्तियों का लकड़ी, धातु, सोने, चांदी का स्थान बनाकर उस पर स्थापित करें । मूर्तियों को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए । शास्त्रों में ऐसा करना अशुभ माना गया है । शास्त्रों में लिखा है देवी-देवताओं के अनादर करने वाले व्यक्ति को कभी धन की प्रापित नहीं होती । ऐसा व्यक्ति जीवनभर परिश्रम करता रह जाता है । यदि आप ईश्वर में विश्वास नहीं करते तो भी आपको किसी धर्म, किसी की आस्था को ठेस पहुंचाने का हक नहीं ।
भगवान के वस्त्र
घर के मंदिर में नंदलाला की मूर्ति, दुर्गा माता की मूर्ति और अन्य देवी देवताओं की मूर्ति को कपड़े पहनाने की परंपरा है । कई लोग इसे नियम से करते भी हैं । यदि आप भगवान को वस्त्र पहना रहे हों तो उन्हे जमीन पर ना रखें । वसत्रों को साफ थाली या कपड़े के ऊपर ही रखें । जमीन पर रखे हुए वस्त्र अशुद्ध माने जाते हैं । इन्हें पहनाना भगवान को स्वीकार नहीं होता ।
जनेऊ
धार्मिक अनुष्ठानों में जनेऊ यानी यज्ञोपवीत को ईश्वर को अर्पित किया जाता है, इसे साफ स्थान पर ही रखें । एक बार जनेऊ पहन लिया तोफिर इसके नियमों का पालन करना अति आवश्यक है ।
शंख – यदि आप अपने घर में शंख रखते हैं तो उसे लकड़ी के ऊपर या साफ कपड़े में लपेटकर रखें । शंख इस्तेमाल करने के बाद उसे गंगाजल से धाकर वापस स्थान पर रखें । इसे जमीन पर कभी नहीं रखना चाहिए ।