क्‍यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी ? क्‍या है गजानन की विशेष पूजा विधि, स्‍थापना का सही मुहूर्त जानिए

गणेश चतुर्थी की धूम बाजारों में साफ देखी जा सकती है, भगवान की स्‍थापना को आतुर भक्‍त वर्ष भर उनका इंतजार करते हैं । आगे जानिए गणेश चतुर्थी से जुड़ी कुछ खास बातें ।

New Delhi, Sep 12 : धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का उत्‍सव 13 सितंबर से शुरू होने वाला है । साल में आने वाले त्‍यौहारों में गणेश उत्‍सव एक प्रमुख तयौहार है । । ये भगवान गणेश का जन्‍मोत्‍सव है । गणेश उत्‍सव पूरे 10 दिन तक चलता है । भक्‍त अपने घर गणपति को लाते हैं और 10 दिनों के बीच में अपनी-अपनी सामर्थ्‍यानुसार गणपति की स्‍थापना करते हैं फिर पूजा-पाठ के साथ विधि पूर्वक उनका विसर्जन कर दिया जाता है भगवान गणेश शिव और पार्वती के बेटे हैं । इनके जन्‍म से जुड़ी कथा आगे जानिए ।

भाद्रपद शुक्‍ल चतुर्थी को हुआ जन्‍म
भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था । हर वर्ष इसी दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। प्रथम पूज्‍य भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देव के रूप में पूजा जाता है। भगवान के जन्‍म के समय को लेकर कहा जाता है कि उनका जन्‍म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था,  इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।

गणेश जन्‍म की कहानी
हिंदू धर्म से जुड़े शास्‍त्रों के अनुसार गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहानियां हैं । इनमें एक सबसे ज्‍यादा चर्चित है । भगवान गणेश को देवी पार्वती ने अपने शरीर से उतारी गई मैल से बनाया था । जब वो नहाने गईं तो गणेश को अपनी रक्षा के लिए बाहर बिठा दिया, ओर उन्‍हें कह दिया किसी को भी अंदर ना आने देना । जब भगवान शिव ने पार्वती के स्‍नागार में जाना चाहा तो गणेश जी ने उन्‍हें मना कर दिया ।

शिव ने काटा सिर
भगवान शिव ने गणेश को समझाने की कोशिश की लेकिन बालमन होने के कारण वो नहीं माने । इस पर शिव को क्रोध आ गया और उन्‍होनेउनका गला काट दिया । जब देवी पार्वती को इस बारे में पता चला तो वो शिव पर कुपित हो गईं । इसके बाद शिव ने एक हाथी के बच्‍चे का सिर काटकर गणेश जी को जीवनदान दिया । गणेश जन्‍म के बारे में एक कहानी ये भी है कि उन्‍हें मां पार्वती ने देवताओं के अनुरोध पर बनाया था, ताकि वो राक्षसों का विनाश कर सकें ।

ऐसे करें गणपति वंदन
गणेश पूजा का पहला विधान है मूर्ति स्‍थापना । इसके बाद गणेश के 16 रूपों की आराधना की जाती है । तीसरे में गणेश की प्रतिमा को स्थानांतरित किया जाता है और कुछ दिनों के बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है । इस समय काल में सुबह और संध्‍या काल में नियम से उनकी पूजा करना, घर में ब्रह्मचर्य का पालन आवश्‍यक है ।

स्‍थापना, विधि-विधान
गणेश जी  की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें, साथ में कलश भी स्थापित करें । गणेश स्‍थापना का शुभारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 08 मिनट से शुरू होगा। उसके बाद दोपहर के 1 बजकर 34 मिनट तक आप घर में गणपति की स्‍थापना कर सकते हैं। लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें । इस मंत्र का उच्चारण करें – ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।। स्‍थापना के दिन दिन जलीय आहार ग्रहण करें या केवल फलाहार करें ।

संध्‍या काल में भी करें पूजा
शाम के समय गणेश जी की यथा शक्ति पूजा-उपासना करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं । गणपति को अपनी उम्र की संख्या के बराबर लड्डुओं का भोग लगाएं, साथ ही उन्हें दूब भी अर्पित करें । फिर अपनी इच्छा के अनुसार गणपति के मंत्रों का जाप करें । चंद्रोदय के समय चंद्रमा को बिना देखे हुए अर्घ्य दें । अंत में प्रसाद बांटें और अन्न-वस्त्र का दान करें ।