भारत के वो मंदिर जहां पुरुषों के जाने पर है प्रतिबंध

सुनने में थोड़ी अटपटी है लेकिन भारत में ऐसे भी मंदिर है जहां पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध है । जानें कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में जिनके नियम आपको हैरान कर देंगें ।

New Delhi, Dec  04 : भारत, विविधताओं में एकता का देश । अलग-अलग संस्‍कृतियों का देश । धर्म का संगम, प्राचीन मान्‍यताओं को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने वाला देश । भारत में असंख्‍य मंदिर हैं, इन मंदिरों के अपने नियम अपनी मान्‍यताएं हैं । कहीं महिलाओं का प्रवेश बैन है तो कहीं कुंवारी कन्‍याएं नहीं जा सकतीं । लेकिन क्‍या आपने कभी उन मंदिरों के बारे में सुना है जहां पुरुष नहीं जा सकते । जी हां ठीक सुना आपने, वो मंदिर जहां पुरुषों का प्रवेश बैन है ।

भगवान ब्रह्मा का मंदिर, पुष्‍कर
पूरे विश्‍व में भगवान ब्रह्मा का एक ही मंदिर है और वो पुष्‍कर राजस्‍थान में है । इस मंदिर के मुख्‍य प्रांगण में किसी भी विवाहित पुरुष के आने पर प्रतिबंध हे । कथा के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा को यज्ञ की शुरुआत करनी थी । यज्ञ बिना पत्‍नी के नहीं हो सकता था, देवी सावित्री के आने में देर हो रही थी, वो अपनी दूसरी सखियों और देवियों को यज्ञ में आमंतित्रत करने गई थीं ।

ब्रह्मा को ऐसे मिला श्राप
यज्ञ का समय निकलता जा रहा था और देवी सावित्री के आने में भी वक्‍त लग रहा था । देरी के चलते ब्रह्मा ने गायत्री नाम की स्‍त्री से विवाह कर यज्ञ में साथ बैठा लिया । देवी सावित्री जब वहां पहुंची तो गायित्री को देख क्रोधित हो गईं । उन्‍होने ही श्राप दिया कि ब्रह्मा के देवताओं में श्रेष्‍ठ होने के बाद भी उनकी पूजा कभी नहीं होगी । इसी कारण से मंदिर के मुख्‍य प्रांगण में विवाहित पुरुषों के आने पर भी प्रतिबंध है ।

सावित्री देवी मंदिर
पुष्‍कर में ही स्थित है सावित्री देवी मंदिर । पुष्‍कर में ब्रह्मा विराजे तो उनसे कुछ दूर देवी सावित्री के मंदिर की भी स्‍थापना हुई । देवी सावित्री का मंदिर, ब्रह्मा मंदिर के पास ही एक पहाड़ की ऊंचाई पर स्थित है । इस मंदिर में पुरषों के आने पर प्रतिबंध है । मंदिर के प्रांगण में आने वाले पुरुष सावित्री देवी के श्राप का शिकार होते हैं और उनके जीवन में दुर्भाय की शुरुआत हो जाती है ।

अत्तुक्कल भगवती मंदिर
केरल के तिरुवतंतपुरम में स्थित है श्री अत्तुक्कल भगवती मंदिर । इस मंदिर में पोंगल पर्व पर बड़ा अनुष्‍ठान होता है, जिसे सिर्फ और सिर्फ महिलाएं ही पूरा करती है । इस मंदिर में होने वाले इस अनुष्‍ठान का रिकॉर्ड गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है । इस उत्‍सव में देश भर से आई महिलाएं शामिल होती है । इस विशेष त्‍यौहार पर पुरुषों के मुंदिर में आने की मनाही होती है । मंदिर के अलग अलग हिस्‍सों में इस दिन मीठा पकवान बनाया जाता है ।

चाक्कुलातुकावु मंदिर
केरल के अल्लापुज़ाह जिले के चाक्कुलातुकावु मंदिर में भी हर वर्ष पोंगल का त्‍यौहार धूमधाम से मनाया जाता है । यहां भी सिर्फ औरते ही इस अनुष्‍ठान को पूरा करती है । पुरुष इस अनुष्‍ठान का हिस्‍सा नहीं होते हैं । हजारों महिलाएं पूरे विश्‍वास और आस्‍था के साथ इस पर्व पर यहां इकठ्ठी होती हैं और देवी दुर्गा को प्रसन्‍न करती हैं । पुरुषों के प्रवेश बैन की परंपरा यहां प्राचीन समय से चली आ रही है ।

संतोषी माता का व्रत
संतोषी माता के किसी भी मंदिर में शुक्रवार को पुरुषों के प्रवेश की मनाही होती है । इस दिन पुरुषों को संतोषी माता के मंदिर नहीं जाना चाहिए । संतोषी माता का व्रत केवल कुंवारी कन्‍याएं या महिलाएं ही रख सकती हैं । इसे पुरुष नहीं कर सकते । ये व्रत शुक्रवार को रखा जाता है और इस दिन खट्टे फलों को खाने की मनाही होती है । महिलाएं घर में भी इस दिन कुछ खट्टा नहीं पकाती हैं ।

भगाती मां टेंपल
मां भगवती दुर्गा का ये मंदिर कन्‍याकुमारी में सिथत है । मान्‍यता हे कि इस मंदिर में माता पार्वती ने शिव को पतिरूप में पाने के लिए उपासना की थी लेकिन उनकी तपस्‍या को नारद जी ने बीच में ही भंग कर दिया । माता पार्वती कुपित हो गई और तब से इस मंदिर में पुरुषों के प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया गया है । अविवाहित पुरुष मंदिर के मुख्‍य प्रांगण की जगह सभी जगह जा सकते हैं लेकिन विवाहितों को इसकी भी अनुमति नहीं ।