क्‍यों लगाया जाता है भगवान को 56 भोग, श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी पर जानिए ये बड़ा रहस्‍य

देश में आज और कल श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है । इस दिन भगवान को 56 भोग लगाने का विधान है, क्‍या आप जानते है भोग में सिफ 56 वस्‍तुएं ही क्यों रखी जाती हैं ।

New Delhi, Sep 02 : श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की धूम पूरे देश में है । भगवान कृष्‍ण के मंदिरों को दीवाली की तरह सजाया गया है । मंदिरों में जगमग देखते ही बन रही है । हो भी क्‍यों ना भगवान के जन्‍मोत्‍सव का पर्व है, भक्‍त अपने भगवान के जन्‍म का उत्‍सव मनाने में पीछे कैसे रह सकते हैं । पालन हार हरि विष्‍णु के आठवें अवतार श्री कृष्‍ण को भोग के रूप में 56 भेग का प्रसाद अर्पित्‍ किया जाता है । क्‍या आप जानते हैं ऐसा क्‍यों है । भोग में 56 वस्‍तुओं को ही क्‍यों शामिल किया जाता है ।

56 भोग के पीछे ये है कथा
56 भोग का भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्द्धन पर्वत से पुराना संबंध है । आपको ये जानकर हैरानी हो कि इस भोग में पापड़ से लेकर इलाइची तक शामिल होते हैं ।  कथाओं में ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को मां यशोदा दिन में 8 बार भोजन कराती थीं । जिससे उनकी सेहत हमेशा ठीक रहती थी । वो इन 8 समय के भोजन में तरह-तरह के पकवान बनाती थीं ।

इंद्र के प्रकोप से श्रीकृष्ण गए थे गोवर्द्धन पर्वत
कथानुसार एक बार इंद्र के प्रकोप से पूरे ब्रज धाम को बचाने श्रीकृष्ण गोवर्द्धन पर्वत पर चले गए थे । गोवर्द्धन पर्वत पर श्रीकृष्‍ण करीब 7 दिनों तक रहे थे । उन्‍होने इतने दिन तक कोई भोजन ग्रहण नहीं किया था । भयंकर बारिश और तूफान के कारण वो 7 दिन वहीं रहे । 8वें दिन जब बारिश रुकी तब कृष्‍ण घर आए और ब्रज वासियों को भी बाहर निकाला ।

मां यशोदा ने बनाए 56 भोग
इस बीच मां यशोदा ने श्रीकृष्ण के सात दिनों के आठ पहर के खाने को 56 भोग लगाकर पूरा किया।  एक मान्‍यता ये भी है कि श्रीकृष्ण के लिए गोपियों ने भी पूजा की थी और उन्हें अगले जन्मों में अपना बनाने की इच्छा जताई थी । जब उनकी मुराद पूरी हो गई तब गोपियों ने भी श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाकर खिलाया ।

दूध और इसे बने उत्‍पादों से बनता है 56 भोग
श्रीमद् भागवत के अनुसार गोपियों ने एक महीने तक सुबह नहाने के बाद मां कात्यायनी की पूजा भी की थी । आज भी ब्रज के मंदिरों में दूध, दही और घी से ही अधिकांश भोजन को बनाया जाता है । श्रीकृष्‍ण के भोग में प्‍याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं किया जाता ।

56 भोग में ये व्यंजन होते हैं शामिल
इसमें चावल, दाल, चटनी, कढ़ी, दही शाक की कढ़ी, सिखरन, आंवले का शरबत, बाटी, मुरब्बा, त्रिकोण, बड़ा, मठरी, फेनी, पूरी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, चंद्रकला, रायता, थूली, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौंफ, बिलसारू, लड्डू, साग, अचार, मोठ, खीर, दही, घी, मक्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, सिरा, स्सी, मोहनभोग, सुपारी, इलाइची, फल, तांबूल, नमक से बना व्यंजन, मिर्च, मीठा शामिल है ।