क्‍यों की जाती है भगवान गणेश की पूजा ? कौन सी बातें उन्‍हें कर देती हैं नाराज ?

प्रथम पूज्‍य भगवान श्री गणेश की पूजा से जुड़ी कुछ बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए । ये भी जानें कि आखिर आपको गणेश जी की पूजा में क्‍या गलती नहीं करनी चाहिए ।

New Delhi, Nov 20 : रिद्धि, सिद्धि, समृद्धि और बुद्धि के देवता माने जाते हें भगवान गणपति । 33 करोड़ देवी देवताओं में इन्‍हें प्रथम पूजा जाता है । इन्‍हें अच्‍छे भाग्‍य का देवता कहा जाता है । ये मनुष्‍य के हर कष्‍ट को हर लेते हैं और छोटी से छोटी पूजा में ही भक्‍तों से प्रसन्‍न हो जाते हैं । उनकी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है । भगवान गणेश तीन रूपों से मिलकर बने हैं भगवान,  मनुष्‍य और जानवर, इसलिए ये विशेष हैं । गणेश पूजन से जुड़ी कुछ विशेष बातें ये रहीं ।

प्रथम पूज्‍य क्‍यों हैं गणेश भगवान
भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम की जाती है । इसके पीछे कई रोचक तत्‍य हें । हिंदू धर्म के अनुसार समस्‍त देवताओं ने मिलकर गणेश भगवान को प्रथम पूज्‍य का सममान दिया हे । कहा जाता है कि, गणपति की पूजा करने से मनुष्‍य असफलताओं का सामना नहीं करता उसे हर कार्य में सफलता ही प्राप्‍त होती है । सफलता के रास्‍ते में आने वाली हर बाधा को दूर करती है गणेश पूजा । इसलिए इनका ध्‍यान सबसे पहले करने को कहा गया है ।

रिद्धि-सिद्धि हैं गणेश जी की पत्नियां
भगवान गणेश जी की एक पत्‍नी रिद्धि हें तो दूसरी सिद्धि । उनकी आराधना से जहां बुद्धि की प्रापित होती है तो वहीं परिवार में सुख शांति का वास होता है । गणपति की पत्‍नी सिद्धि, आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती हैं । वहीं गणेश जी की दूसरी पत्‍नी बुद्धि को दर्शाती हैं । भगवान गणेश की पूजा करने वाला कभी दुखी नहीं होता । उन्‍हें गणेश हर प्रकार से संपन्‍नता प्रदान करते हें ।

स्‍वार्थ का नाश करते हैं गणेश
गणपति का ध्‍यान करने वाले घमंड, स्‍वार्थ और अभिमान से दूर रहते हैं । प्रभु भक्ति में लीन ऐसे व्‍यक्तियों को गणेश जी की विशेष कृपा होती हैं । मन व्‍यथित हो, परेशान हो तो गणेश जी की शरण में चले आएं । गणेश जी मनुष्‍य के अंदर बैठे अहंकार रूपी दानव का भक्षण कर व्‍यक्ति को इससे मुक्‍त करते हैं । उनके लिए हर एक मानव एक समान है ।

मूषक को अपना वाहन बनाया
इस पूरी सृष्टि में कई एक से बड़े एक जीव हैं लेकिन भगवान गणेश ने एक मूषक को ही अपना वाहन चुना । उनका वाहन इस बात का संदेश देता है कि किसी भी व्‍यक्ति, प्राणी को छोटा नहीं समझना चाहिए । अगर एक मूषक को भगवान अपना वाहन बना सकते हैं और उसे अपने चरणों में स्‍थान दे सकते हैं तो कोई भी व्‍यक्ति कुछ भी कर सकता है । सभी को एक समान समझने की देर है बस ।

गणेश पूजा का विशेष मंत्र
गणपति की आराधना करने के लिए आपको कोई बड़े तामणाम की आवश्‍यकता नहीं है । बस एक मंत्र से ही आप उनकी भक्ति कर सकते हैं । मंत्र इस प्रकार है – वक्रतुण्‍ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
दूसरा मंत्र – गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलसार भक्षितम् । उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥
मंत्रों के उच्‍चारण के साथ ही गणेश जी की आरती भी जरूर पढ़ें । गणेश जी की आरती घी के दिए से करें तो वो बहुत प्रसन्‍न होते हैं ।

बुध ग्रह मजबूत होता है
बुध ग्रह कमजोर चल रहा तो आप गणेश पूजन मंत्र के साथ गणेश जी का ध्‍यान कर हरी मूंग दाल का दान करें । बुधवार के दिन हरे रंग के वस्‍त्र पहनें और मंदिर में जाकर गरीबों को अन्‍न दान करें । आपकी कुंडली में चल रहे दोष खत्‍म हो जाएंगे । गणेश जी को बुधवार के दिन सिंदूर का दान करें । जिस तरह पवनपुत्र को सिंदूर बहुत पसंद है उसी तरह गणपति भी सिंदूर से प्रसन्‍न हो जाते हैं और आपकी समस्‍त परेशानियों को हर लेते हैं ।

तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए
गणेश जी की पूजा में तुलसी दल अर्पित नहीं किया जाता । ठीक उसी प्रकार जैसे भगवान शिव की आराधना भी तुलसी के पत्‍तों से नहीं की जा सकती । तुलसी का प्रयोग भगवान विष्‍णु की आरोधना में किया जाता है । गणेश जी को सभी रंग के पुष्‍प चढ़ाए जाते हैं, कोई विशेष प्रकार का फूल या रंग उन्‍हें प्रिय नहीं है । उनकी पूजा में दूर्वा जरूर चढ़ानी चाहिए ।