लक्ष्‍मण-भरत-शत्रुघ्‍न के अलावा एक बहन के भाई भी थे भगवान राम, बहुत कम लोगों को है इसकी जानकारी  

टीवी सीरियल रामायण एक बार फिर दर्शकों का फेवरेट सीरियल बन गया है । आज आपको रामायण का एक ऐसा हिस्‍सा बताते हैं जो बहुत कम देखा सुना गया है ।

New Delhi, Apr 19 : भगवान राम की संपूर्ण जीवन गाथा है रामायण,इसमें उनके जन्‍म से लेकर उनके जीवन में की गई सभी उपलब्यिों को विस्‍तार से बताया गया है । लेकिन राम के जीवन से जुड़े कुछ हिस्‍से ऐसे भी हैं जो हर जगह नहीं जाने गए हैं । बहुत विचित्र बात है कि  भगवान राम की एक बहन का वर्णन कहीं है और कहीं इसे पूरी तरह से खारिज किया जाता है । भगवान राम की बहन के बारे में जिसने कभी नहीं पढ़ा, उनके लिए यू पूरी जानकारी इस आर्टिकल में हैं । जानिए भगवान श्री राम की बहन शांता के बारे में, जिनका जिक्र एक टीवी सीरियल सिया के राम में किया गया था ।

सबसे ज्‍यादा प्रचलित कथा
एक कथा के अनुसार राजा कौशल्या की एक बहन थी वर्षिणी जिनका विवाह राजा रोमपाद के साथ हुआ था लेकिन उनके यहां कोई संतान नहीं थी।    वहीं राजा दशरथ और कौशल्या की एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता वह बहुत ही गुणवान और हर कला में निपुण थी। कौशल्‍या की बहन ने एक बार बस ये कह दिया कि काश हमारी भी शांता जैसी संतान होती, बस दशरथ ने उन्‍हें शांता को गोद देने का वचन दे दिया । इसके बाद शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं। जिनकी बाद में शादी विभंडक ऋषि के पुत्र ऋंग ऋषि से हुई ।

अकाल के कारण करना पड़ा त्‍याग
एक अन्य लोककथा के अनुसार यह भी माना जाता है कि जब शांता का जन्म हुआ तो अयोध्या में 12 वर्षों तक भारी अकाल पड़ा। राजा को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शांता के कारण ही यह अकाल पड़ा हुआ है ऐसे में राजा दशरथ ने नि:संतान वर्षिणी को अपनी पुत्री शांता दान में दे दिया। कहीं फिर अयोध्या अकालग्रस्त न हो जाये इस डर से शांता को कभी अयोध्या वापस बुलाया भी नहीं गया।

दक्षिण भारत में प्रचलित कथा
दक्षिण भारत में प्रचलित रामायण कथा के अनुसार भगवान श्री राम की एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम शांता था। इनके बारे में कई कहानियां मिलती हैं । जो इस प्रकार हैं । एक कथा के अनुसार रावण को जब ये पता चला कि उसकी मृत्‍यु कौशल्या और दशरथ के यहां जन्मे बालक के हाथों होगी तो वह कौशल्‍या को विवाह से पहले ही मारने की योजना बनाने लगा । रावण के इस कृत्‍य से कौशल्‍या को राजा दशरथ ने बचाया । इसके बाद दोनों का गंधर्व विवाह हुआ और पुत्री के रूप में शांता का जन्‍म हुआ ।

दिव्‍यांग जन्‍मी थीं शांता
राजा दशरथ और कौशल्या का गौत्र एक ही था इसी कारण ऐसा हुआ समाधान निकाला गया कि कन्या के माता-पिता बदल दिये जायें यानि कोई इसे अपनी दत्तक पुत्री बना ले तो इसके स्वस्थ होने की संभावना है ऐसे में अंगदेश के राजा रोमपाद और वर्षिणी ने शांता को अपनी पुत्री स्वीकार कर लिया और वह स्वस्थ हो गई। युवा होने के बाद ऋंग ऋषि से शांता का विवाह करवाया गया।

राम के जन्‍म का कारण बनीं शांता
कहा जाता है कि शांता के जाने के बाद दशरथ के कोई संतान नहीं हुई । जिसके चलते उन्‍होने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया था । ये यज्ञ शांता के पति श्रृंग ऋषि ही थे । पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाने की एक शर्त थी, जो कोई भी पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करता उसके जीवन भर की तपस्या की आहुति इस यज्ञ में होने वाली थी । जिसके लिए कोई तैयार नहीं था । ऐसे में शांता ने अपने पति को राजी कराया और यज्ञ संपन्‍न हुआ । और राजा दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई ।