भोलेनाथ की आराधना में ना करें ये वाली गलती, जिंदगी भर का नुकसान हो जाएगा

अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो आपको उनकी पूजा में निषेध वस्‍तुओं की जानकारी जरूर होनी चाहिए । गलत चीजों का प्रयोग आपकी पूजा के फल्‍ को कम कर सकता है ।

New Delhi, Nov 26 : सोमवार का दिन शिव भक्ति के नाम है । कई लोग सोमवार को शिवजी का व्रत रखते हैं, इस दिन भोलेनाथ की पूजा अर्चना आराधना करते हैं । शिव को प्रसन्न करने के लिए सुबह सवेरे मंदिर जाते हैं और शिवलिंग का अभिषेक भी करते हैं । लेकिन कई बार इतना करने के बावजूद भी पूजा अधूरी रह जाती है, या आपको पूजा का फल नहीं मिलता । घर में कोई ना कोई बीमार बना ही रहता है । ऐसा क्‍यों होता है, क्या ईश्‍वर आपकी सच्‍ची भक्ति से प्रसन्‍न नहीं होते या फिर आपसे उनकी पूजा के दौरान कोई गलती हो गई है । आगे जानें वो बातें जो भगवान शिव की पूजा के दौरान बिलकुल नहीं की जानी चाहिए ।

शंख से जलाभिषेक
शास्‍त्रों में कहा गया है भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित है । कभी भी शिवलिंग पर शंख से जलाभिषेक नहीं करना चाहिए । भगवान भोलेनाथ इस बात से कुपित हो सकते हैं और आपको उनके प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है । दरअसल भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था, इसी वजह से उनकी आराधना में शंख का इसतेमाल नहीं किया जाता ।

भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित
शिव पुराण की एक कथा के अनुसार भरवान शिव ने एक बार असुर जालंधर को मार गिराया था । जबकि जालंधर को वर प्राप्‍त था कि जब तक उसकी स्‍त्री की पवित्रता कोई भंग नहीं करता तब तक उसे कोई हरा नहीं सकता, ऐसे में भगवान विष्‍णु ने शिव की मदद की और तुलसी की पवित्रता भंग की । नाराज तुलसी ने अपने पति के वध के बाद शिव का बहिष्‍कार कर दिया ।

त‌िल या तिल से बनी कोई वस्तु वर्जित है
तिल के बारे में कथा प्रचलित है कि ये विष्‍णु के कान के मैल से उत्‍पन्‍न हुआ है, इसलिए ये एक अशुद्ध वस्‍तु है । भगवान शिव को कभी भी तिल या तिल से बना हुआ कोई भी सामान अर्पित नहीं करना चाहिए । अगर आपने गलती से भी ऐसा कर दिया तो आपको शिव के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है । तिल से बनी कोई भी वस्‍तु भोलेनाथ को कभी भी प्रिय नहीं हो सकती ।

टूटे हुए चावल
आपने पूजा में अर्पित किए जाने वाले अक्षत के बारे में तो सुना ही होगा । अक्षत यानी बिना टूटा हुआ, और इस शब्‍द का प्रयोग पूजा में चावल के लिए किया जाता है । किसी भी पूजा में अूटे हुए चावलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । ये आयु का प्रतीक हैं, भगवान भोलेनाथ को चावल अर्पित करते हुए इस बात का ध्‍यान रखें । टूटा हुआ चावल अधूरा और अशुद्ध माना जाता है ।

कुमकुम, हल्‍दी का प्रयोग वर्जित
शिवलिंग पर कुमकुम का प्रयोग और हल्‍दी का प्रयोग करना पूरी तरह वर्जित हे । ये दोनों ही सुहाग और सौभाग्‍य के प्रतीक हैं । शादी जैसे संसकारों में हल्‍दी लगना सौभाग्‍य प्राप्ति का शगुन माना जाता है । वैरागी होने के कारण हल्‍दी शिव को नहीं चढ़ाई जाती । हल्‍दी का संबंध भगवान विष्‍णु से माना जाता है । उनकी पूजा में इसे इस्‍तेमाल क सकते हैं लेकिन भोलेनाथ की पूजा में नहीं ।

नारियल
भगवान भोलेनाथ को नारियल नहीं चढ़ाया जाता । ना ही नारियल का पानी अर्पित किया जाता है । सबसे शुभ और स्‍वच्‍छ फल कहे जाने वाले नारियल के साथ शिव का क्‍या बैर हो सकता है । अगर आप ये सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें नारियल मां लक्ष्‍मी का प्रतीक है, इसकी स्‍थापना मां लक्ष्‍मी के रूप में की जाती है , मां लक्ष्‍मी श्री विष्‍णु की पत्‍नी है । इसीलिए भोले की आराधना में इसका कोई इस्तेमाल नहीं ।

कुंवारी कन्‍याएं ना छुएं ‘शिवलिंग’
वो लड़कियां जो 16 सोमवार के व्रत रखती हैं, नियमित रूप से जल से शिवलिंग का अभिषेक जरूर करें । लेकिन उन्‍हें शिवलिंग को छूने सेshivling milk मना किया जाता है । शिवलिंग की पूजा केवल पुरुषों द्वारा किए जाने की परंपरा है । शिवलिंग स्‍त्री-पुरुष में बैलेंस का प्रतीक है, लिंगम् और योनी का प्रतीक । इसलिए कुंवारी लड़कियों को इसे छूने से मना किया जाता है ।

कुंवारी कन्‍याओं को शिवलिंग के करीब जाने की भी मनाही
शास्‍त्र में कहा गया है कि लड़कियों को शिवलिंग के करीब भी नहीं जाना चाहिए । भोलेनाथ की ये अवस्‍था गंभीर तपस्‍या में लीन अवस्‍था है, shivratriयदि कोई कुंवारी स्‍त्री उनके पास जाएगी तो इससे उनके तप में बाधा आ सकती है । इसलिए कन्‍याओं को शिवलिंग से दूर ही रहने को कहा जाता है ।