5 हजार साल पहले ही हो गई थी कलियुग की ये दस भविष्यवाणियां

कलियुग में जिस शख्स के पास जितना धन होगा, वो उतना गुणी माना जाएगा, कानून-न्याय केवल व्यक्ति की शक्ति के आधार पर लागू किया जाएगा।

New Delhi, Oct 07 : हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना जाता है, आये दिन ऐसी चीजें सामने आती है, जो इसकी महानता की गाथा बताती है, श्रीमदभागवत महापुराणा ऐसा ही एक ग्रंथ है, जिसमें कई हैरान करने वाले रहस्य और तथ्य वर्णित है, यहां तक कि कलयुग से जुड़ी कई बातों का भी पूर्वानुमान इस महापुराण में हजारों साल पहले ही बता दिया गया था। हैरानी की बात ये है कि जो भी इस ग्रंथ में लिखा है, वो सच होता नजर आ रहा है। आइये आपको बताते हैं क्या-क्या भविष्यवाणियां की गई थी।

लिव-इन में रहेंगे स्त्री -पुरुष
कलयुग में स्त्री और पुरुष बिना विवाह के एक-दूसरे के साथ रुचि के मुताबिक रहेंगे। व्यापार के सफलता छल पर निर्भर करेगी। पहले के जो ब्राह्मण थे, वो अपने शरीर पर बहुत कुछ धारण नहीं करते थे, हालांकि आज के ब्राह्मण सिर्फ एक धागा पहनकर ब्राह्मण होने का दावा करेंगे।
कम होती जाएगी उम्र
लोग भूख-प्यास और कई तरह की चिंताओं से दुखी रहेंगे, कई बीमारियां उन्हें घेरे रहेगी। इसके साथ ही ये भी भविष्यवाणी की गई है कि कलियुग में मनुष्यों की उम्र घटकर केवल बीस से तीस साल की रह जाएगी।

रिश्वत के बल पर काम
जो इंसान घूस देने या फिर धन खर्च करने में असमर्थ होगा, उसे अदालतों में सही न्याय नहीं मिल पाएगा। वही जो इंसान बेहद चालाक, स्वार्थी होगा, वो इस युग में बेहद विद्वान माना जाएगा।
बिगड़ जाएंगे प्रकृति के नियम
कलियुग में प्रकृति के नियम भी बिगड़ जाएंगे, बारिश नहीं होने से सूखा पड़ेगा, कहीं कड़ाके की सर्दी होगी, तो कहीं भीषण गर्मी पड़ेगी। इस परिस्थितियों से लोग परेशान होंगे।

पैसों का बोलबाला
इस युग में जिस शख्स के पास जितना धन होगा, वो उतना गुणी माना जाएगा, कानून-न्याय केवल व्यक्ति की शक्ति के आधार पर लागू किया जाएगा।
बदल जाएंगे सुंदरता के मायने
लोग दूर के नदी-तालाबों को तो तीर्थ मानेंगे, लेकिन अपने पास रह रहे माता-पिता की निंदा करेंगे, सिर पर बड़े-बड़े बाल रखना सुंदरता मानी जाएगी, सिर्फ पेट भरना ही लोगों को लक्ष्य हो जाएगा।

शादी का महत्व कम होगा
इस युग में जिस व्यक्ति के पास धन नहीं होगा, वो अधर्मी, अपवित्र और बेकार माना जाएगा, विवाद दो लोगों के बीच एक समझौता बन कर रह जाएगा, लोग सिर्फ स्नान कर समझेंगे, कि उनकी अंतरआत्मा साफ और पवित्र हो गई है।
कम होने लगेगी शारीरिक क्षमता
धर्म, सत्यवादिता, सहिष्णुता, स्वच्छता, दया, मनुष्य की याददाश्त, शारीरिक शक्तियां, जीवन की अवधि सभी कुछ दिन ब दिन घटती जाएंगी।

अकाल और परिस्थितियों के चलते हो जाएंगे मजबूर
अकाल की वजह से लोग घर छोड़कर सड़कों और पहाड़ों पर रहने के लिये मजबूर हो जाएंगे, साथ ही पत्ते, जड़, मांस, शहद, जंगली फल और बीड खाने के लिये मजबूर हो जाएंगे।
धर्म-कर्म सिर्फ दिखावे के लिये
धर्म-कर्म के काम केवल लोगों के सामने अच्छा दिखने और दिखावे के लिये किये जाएंगे, पृथ्वी भ्रष्ट लोगों से भर जाएगी और लोग सत्ता हासिल करने के लिये एक-दूसरे को मारेंगे।