दिन के इस समय की गई प्रार्थना खाली नहीं जाती, इस प्रकार कीजिए

जीवन में सुख हो या दुख व्‍यक्ति ईश्‍वर को याद जरूर करता है । ईश्‍वर को याद करना, उनकी प्रार्थना करने के समान है । आप उन्‍हें कभी भी याद कर सकते हैं, लेकिन एक समय बेहद शुभ है ।

New Delhi, Jan 26 : भगवान हैं या नहीं, ये लोगों की आस्‍था से जुड़ा विषय है । ईश्‍वर के अस्तित्‍व को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं, लेकिन एक बात तो तय है भगवान एक ऐसी ऊर्जा हैं जो व्‍यकित की नकारात्‍मकता का दमन करते हैं और उनमें सकारात्‍मकता का संचार करते हैं । ईश्‍वर के पास व्‍यकित कब जाता है जब उसे जीवन में अंधकार नजर आता है, अपनी परेशानियों का हल मांगने वो ईश्‍वर की चौखट पर पहुंचता है । ये जानते हुए भी कि ईश्‍वर ना दिखाई देंगे और ना ही उसे आश्‍वस्‍त करेंगे । लेकिन उसका विश्‍वास है जो उसे ईश्‍वर पर भरोसा दिलाता है ।

अलग-अलग धर्म और मान्‍यताएं
पूरी दुनिया में कई धर्म है, हर धर्म के अनुसार सबके अपने भगवान हैं । उन्‍हें पूजने के भी अपने तरीके हैं । कोई धूप अगरबत्‍ती जलाता है तो कोई दिया जलाता है । कोई मंदिर की घंटी बजाता है तो कोई चर्च जाता है । कोई भगवान को फूल चढ़ाता है तो कोई बलि देता है । हर धर्म में ईश्‍वर को प्रसन्‍न करने का अपना एक तरीका हे, ईश्‍वर को खुश करने के साथ ही प्रार्थना के जरिए उन से आशीर्वाद प्राप्‍त करने के भी कई उपाय हैं ।

प्रार्थना क्‍या है
प्रार्थना ईश्‍वर की कृपा पाने का एक माध्‍यम है, जो आप भगवान के सामने करते हैं । हाथ जोड़कर, आंखें बंदकर उस परम शक्ति के समक्ष नतमस्‍तक होकर आपका ईश्‍वर में विश्‍वास ही तो हे जो आपको आंख खोलने पर आत्‍मविश्‍वास से भर देता है । ईश्‍वर के सामने हाथ जोड़ने भर से ही आपको ये अनुभूति हो जाती है कि आपके साथ कुछ तो पॉजिटिव होने वाला है । और आपका यही आत्‍मविश्‍वास आपका ईश्‍वर में विश्‍वास पुख्‍ता करता है ।

प्रार्थना का स्‍वीकार होना
कई बार ऐसा होता होगा जब आपको ईश्‍वर के पास प्रार्थना करने का कोई फायदा नहीं लगता होगा । आप ऐसा समझते होंगे कि ईश्‍वर तक आपकी कोई प्रार्थना नहीं पहुंच रही है । आपकी परेशानियां कम नहीं हो रही हैं । ऐसा क्‍यों होता हे, कयों ईश्‍वर आपकी प्रार्थना को अस्‍वीकार कर देते हैं । क्‍या आपकी भक्ति में कोई कमी रह गई है या पूजा के तरीके में कोई परेशानी है या फिर प्रार्थना का समय, क्‍या ये भी महत्‍व रखता है ।

प्रार्थना के नियम
प्रार्थना के कुछ नियम हैं, जिनका यदि आप पालन नहीं करते तो हो सकता है आपकी प्रार्थना स्‍वीकार ना हो । प्रार्थना का पहला नियम है आपका शुद्ध होना, इसका नहाने से कोई संबंध नहीं है । मन और तन से शुद्ध होना आवश्‍यक है । मन में बैर-भाव रखकर आप प्रार्थना का फल नहीं प्राप्‍त कर सकते । स्‍वच्‍छ और निर्मल मन के साथ प्रार्थना करने बैठें ।

इस समय करें प्रार्थना
सूर्योदय के दो घंटे बाद तक और सूर्यास्‍त के बाद का समय पूजा की दृष्टि से सबसे उत्‍तम माना गया है । इस समय में ईश्‍वर आपकी प्रार्थना को सुनते हैं । ये समय बहुत ही शुभ माना जाता है । भगवान की प्रार्थना करने बैठें तो सुगंधित धूप, अगरबत्‍ती, प्रकाश का प्रयोग अवश्‍य करें । ईश्‍वर को अपनी ओर से भोग भी चढ़ाएं । इस प्रकार से की गई आपकी प्रार्थना अवश्‍य स्‍वीकार होती हैं ।

धन्‍यवाद जरूर दें
ईश्‍वर को प्रतिदिन धन्‍यवाद करना ना भूलें । उस परमपिता परमेश्‍वर को इस बात का धन्‍यवाद अवश्‍य करें कि उन्‍होने आपको इस धरती परमनुष्‍य योनि में भेजा है और सद्कर्मों की ओर प्ररित किया है । जब भी लगे कि आपकी प्रार्थना स्‍वीकार कर ली गई है फज्ञैरन ईश्‍वर को धन्‍यवाद देना ना भूलें । छोटी-छोटी बातों का ध्‍यान रखकर आप ईश्‍वर से मिलने वाली सकारातमक ऊर्जा का प्राप्‍त कर सकते हैं ।

स्वार्थ-रहित प्रार्थना
ईश्‍वर से प्रार्थना कुछ प्राप्ति करने के लिए ही ना करें । हमेशा अपने लिए ईश्‍वर से मांगते रहना आपके स्‍वार्थी स्‍वभाव को दर्शता है । ईश्‍वर सेSurya Namaskar प्रार्थना करें तो सभी के कल्‍याण का आशीष मांगे । अपने ही परिवार नहीं दुनिया के प्रत्‍येक परिवार की सलामती की दुआ मांगे । खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचें और ईश्‍वर को उनकी बनाई इस सृष्टि के लिए धन्‍यवाद करें ।