शनि ग्रह की शांति के लिए करें इनमें से कोई भी एक उपाय, 40 दिन में सब ठीक हो जाएगा

मनुष्‍य के जीवन में शुभ-अशुभ के कारक माने जाते हैं नव ग्रह, शनि ग्रह की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है । आज जानिए ऐसे उपायों के बारे में जो आपको शनि के प्रकोप से बचाकर रखेंगे ।

New Delhi, Jan 19 : सूर्य पुत्र शनिदेव मनुष्‍य के कर्मों का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं । व्‍यक्ति के सद्कर्म उन्‍हें पुण्‍य फल देते हैं तो वहीं पाप कर्म मनुष्‍य को दंड का भागी बनाते हैं । शनि न्‍याय के देव कहे गए हैं, उनकी कुदृष्टि से कोई मनुष्‍य बच नहीं सकता । भयंकर माने जाने वाले शनि सिर्फ उन्‍हें ही दंड देते हैं जो बुरे कर्म करते हें, दूसरों को दुख पहुंचाते हैं । पाप कर्म करते हैं । शनि की कृपा प्राप्‍त करने के लिए शास्‍त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, उनमें से कुछ उपाय आज हम आपको बताने जा रहे हैं । इन उपायों का प्रयोग करें और शनि की बुरी नजर से खुद को बचा लीजिए ।

इतने दिनों तक ही करें ये उपाय
आगे बताए जा रहे उपाय, सर्वसिद्ध हैं । व्‍यक्ति इन्‍हें पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करे तो उसे कभी कोई समस्‍या नहीं होती है । शनि समेत  कोई भी ग्रह उस व्‍यक्ति पर बुरी नजर नहीं डाल सकता है । बस ये ध्‍यान रखें कि इन उपायों को नियमित रूप से करें और सिर्फ 40 दिनों तक ही करें । ज्‍यादा से ज्‍यादा 43 दिन, इसमें एक भी दिन ज्‍यादा नहीं और एक भी दिन कम नहीं । बीच में किसी दिन आप उपाय ना कर पाएं तो अगले दिन को पहला दिन मानकर पुन: प्रक्रिया शुरू करें ।

सावधानी के साथ करें उपाय
शनि ग्रह के उपाय करते हुए आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना होगा ।उपाय करने वाले जातक मांस, मदिरा, बीड़ी, सिगरेट, नशा आदि सेshani dev3 दूर रहें । 40 दिनों तक किसी पर स्‍त्री के बारे में विचार ना करें । सद्कर्म की ही ओर मन लगाएं । सरसों के तेल का सेवन ना करें । काले रंग के वस्‍त्रों से परहेज करें, विशेष तौर पर शनिवार को लोहे का कोई सामान ना खरीदें । परिवार के साथ कलह से बचे रहें ।

शनिवार से शुरू करें उपाय
शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा के साथ हनुमान जी को भी प्रसन्‍न करने का दिन है । इस दिन हनुमान जी की पूजा करें, बजरंग बाण का पाठ करें और हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करें । शनिवार को सूरज ढलने के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढा़एं । शनि की दशा कुंडली में बहुत ज्‍यादा खराब हो तो एक अवचूक उपाय भी कर सकते हैं । किसी श्‍मशान घाट या बहती हुए पानी के किनारे पीपल का पेड़ लगाएं ।

शनि मंत्र और सरसों के तेल का उपाय
सवा लीटर सरसों का तेल मिट्टी के बर्तन में भरकर शनि मंदिर में ले जाएं, कुछ तेल निकालकर शनिदेव पर चढ़ाएं ओर बाकी बचा तेल किसी गरीब को दान कर दें । इसके बाद शनि मंत्र का जाप घर जाकर एकांत में करें । शनि मंत्र इस प्रकार है –  ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः या ॐ शनैश्वराय नम: । इन दोनों मंत्रों का कम से कम 5  माला जाप करें । आपको लाभ अवश्‍य होगा ।

इन वस्‍तुओं का दान करें
शनि ग्रह को शांत करना है तो शनि से संबंधित वस्‍तुएं दान करें । शनि से जुड़ी वस्तुएं हैं काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों का तेल,  नीलम रत्‍न, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं और काला कपड़ा आदि । जरूरतमंदों को इन वस्‍तुओं का दान देकर आप पुण्‍य फल की प्रापित कर सकते हैं और शनि दोष से स्‍वयं को मुक्‍त कर सकते हैं । शनिवार के दिन बुजुर्गों, अपने से छोटों और घर या दफ्तर में नौकरों से गलत व्‍यवहार नहीं करना चाहिए ।

छाया दान
शनि को प्रसन्‍न रखना चाहते हैं तो छाया दान करें । इसके लिए किसी बड़े से पात्र में सरसों का तेल डालें उसमें अपनी छाया को देखें और अब इस तेल को गरीबों में बांट दें । छाया दान शनि ग्रह को शांत करने के लिए सबसे उपयुक्‍त उपाय माना जाता है । छाया दान करने से मनुष्‍य अपने ऊपर आने वाले संकटों से मुक्‍त हो जाता है । छाया दान के साथ शनिवार को एक नारियल बहते जल में बहाने से भी लाभ मिलता है ।

कुत्‍ते की सेवा
जिस प्रकार गौसेवा को हिंदू धर्म में श्रेष्‍ठ माना गया है उसी प्रकार शनि देव को प्रसन्‍न करने के लिए कुत्‍ते को रोटी खिलाना, कुत्‍ते को पालना शुभ माना गया है । ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में कुत्‍ते को पाला जाता है उन पर शनि की विशेष कृपा होती है । ऐसे घरों पर शनि अपनी नजर टेढ़ी नहीं करते । घर में यदि पालतू कुत्‍ते की मौत हो जाए तो दूसरा कुत्‍ता पाल लेना चाहिए । अगर घर पर ना पाल सकें तो बाहर घूम रहे कुत्‍तों को खाना – पानी जरूर खिलाएं ।

शनिवार की पूजा में कहें ये मंत्र
शनिवार को पूजा करने से पहले शरीर में सरसों का तेल लगाकर नहाएं । स्‍नान के बाद नीले फूल लेकर पूजा में बैठें और इस मंत्र का उच्‍चारण करें ।
नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।