शनिदेव को प्रसन्‍न रखने के छोटे और सरल उपाय, जरूर आजमाएं

शनिदेव के प्रकोप से किसे डर नहीं लगता, लेकिन शनि देव से डरने की नहीं उन्‍हें मनाने और पूजने की जरूरत है । शनि न्‍याय के देव हैं और वो कभी किसी का बुरा नहीं करते ।

New Delhi, Dec 15 : मनुष्‍य के पाप कर्म और उसे मृत्‍यु के नर्क की यातना देते हैं लेकिन शनिदेव ये नर्क उस व्‍यक्ति के जीवन में तब से ही लाना शुरू कर देते हैं जब वो जीवित होता है । जीवन में समय-समय पर आने वाली कठिनाईयां आपके पाप कर्म या ग्रहों की दशा का ही परिणाम हैं । शनिदेव कब किस बात पर कुपित हो जाएं इसके बारे में नहीं कहा जा सकता, क्‍योंकि उनकी दृष्टि में अन्‍याय का कोई भी एक काम आपको पाप का भागी बनाता है । जानें कुछ ऐसे ही छोटे किंतु सरल उपाय, जिन्‍हें अपनाकर आप शनिदेव को प्रसन्‍न कर सकते हैं ।

सरसों का तेल
सरसों के तेल से शनिदेव का पूजन करने से उनकी कुदृष्टि से बचा जा सकता है । शनिदेव को प्रत्‍येक शनिवार सरसों का तेल चढ़ाएं । लेकिन ये भी ध्‍यान रखें कि आप शनि शिला पर पूरी बोतल ना उड़ेलें बल्कि थोड़ा सा चढ़ाकर बाकी का तेल गरीबों को दान कर दें । शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष दूर होते हैं । लोहे की कील पर सरसों का तेल डालकर पीपल को चढ़ाएं, लाभ होगा ।

तेल चढ़ाते समय इन मंत्रों का जाप करें
शनिदेव को तेल अर्पित करते हुए निमनलिखित मंत्रों का जाप करने की सलाह दी जाती है । मंत्र उच्‍चारण का ध्‍यान रखें । मंत्र –shani dev
नमस्ते कोणसंस्थाय पिडगलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते।।
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।
नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते। प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च।।

इन मंत्रों का भी कर सकते हैं उच्‍चारण
शनि बीज मंत्र के अतिरिक्‍त शनि देव के कुछ और मंत्र जिनका प्रयोग आप शनि पूजा के दौरान करेंगे तो आपको अत्‍यधिक लाभ और शनि देव की विशेष कृपा प्राप्‍त होगी । ये मंत्र इस प्रकार है –
वैदिक शनि मंत्र – ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
पौराणिक शनि मंत्र – ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
तांत्रिक शनि मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः

43 दिन तक करें ये उपाय
शनिदेव के दोष से पीडि़त हैं परेशान हैं तो उन्‍हें प्रसन्‍न करने के लिए बताया गया उपाय करें । सूर्योदय के समय किसी भी शनिमंदिर जाकर सरसों के तेल से शनि मूर्ति का अभिषेंक करें । ये उपाय लगार 43 दिनों तक करें । रविवार का दिन छोड़कर आप ये दिन 43 दिनों तक लगातार करते रहें । शनि देव को प्रसन्न करने के लिए इस उपाय का आरंभ शनिवार के ही दिन करें ।

दशरथ स्तोत्र का पाठ
प्रत्येक शनिवार, 11 बार महाराजा दशरथ द्वारा लिखे गए दशरथ स्तोत्र का पाठ करें । आपको बता दें, प्राचीन कथाओं के अनुसार शनि महाराज ने स्वयं श्रीराम के पिता महाराज दशरथ को ये वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति उनके द्वारा लिखे गए स्तोत्र का पाठ करेगा, उसे शनि दशा के दौरान कष्ट नहीं भोगना पड़ेगा । दशरथ स्‍तोत्र का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या कष्‍टकारी नहीं होती ।

शनिवार का उपवास
आपके ग्रह, नक्षत्र की दशा बहुत खराब चल रही हो तो शनिवार का व्रत रखना उत्‍तम रहेगा । शनि के व्रत का संकल्‍प लेकर शनिवार को शनि मंदिर जाएं । शनि शिला को तेल आदि अर्पण करें । काली गाय या भैंस को उड़द, तेल, तिल और ब्रह्माण को काला कंबल, कपड़ा या लोहा दान करें । इन उपायों का प्रयोग कर आप शनिदोष से निश्चिंत रहे सकते हैं ।

राम-नाम जपना
शनिदेव के दोष से परेशान हैं तो एक साधारण सा उपाय करें, काली उड़द और कोयले की एक छोटी पोटली बनाएं । इस पोटली में एक रूपए का सिक्‍का रखें, अब इस पोटली को उस व्‍यक्ति के सिर से उबारें जिस पर शनि दोष लगा हो और इसे मछलियों वाले तालाब में प्रवाहित कर दें । हनुमान मंदिर जाकर 108 बार राम का नाम जपें । शनि दोष का प्रभाव कम होगा ।

पीपल पर लपेटें कच्चा सूत
शनिवार को कच्‍चा सूत खरीदें, शनिदेव की पूजा अर्चना कर इस सूत को पीपल के वृक्ष पर सात बार लपेटें । सूत लपेटने के समय शनि मंत्र का जाप करते रहें । मंत्र ना पता हो तो जय शनि देव का उच्‍चारण करें ।  सूत लपेटने के बाद, पीपल के वृक्ष की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं । साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए इस उपाय का प्रयोग शनिवार को जरूर करें ।