जानिए महामृत्युंजय मंत्र की महिमा, शिवजी को ये मंत्र क्‍यों है सबसे प्रिय ?  

शिवजी के पूजन मंत्रों में से एक सबसे अहम और बहुत ही महत्‍वपूर्ण मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र । इस मंत्र का जाप कब, कैसे और क्‍यों करना चाहिए सब आगे पढ़ें ।

New Delhi, Mar 29 : शिव पूजन में कई प्रकार के मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, कई प्रकार की कार्यसिद्धि के लिए कई प्रकार के मंत्र बताए गए हैं । इन मंत्रों में ईश्‍वरीय शक्ति होती है । मंत्रों के उच्‍चारण मात्र से व्‍यक्ति के रोग, द्वेश दूर हो जाते हैं । हर मंत्र की अपनी ऊर्जा होती है, आपकी समस्‍याओं का समाधान इन मंत्रों में निहित होता है । मंत्रों का उच्‍चारण नियम से, कार्य के अनुसार और सही प्रकार से किया जाए तो ये मौत पर भी विजय दिला सकता है । ऐसा ही मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र, जानिए इस मंत्र की महिमा ।

महामृत्युंजय मंत्र की महिमा
इस मंत्र का प्रयोग व्‍यक्ति को लंबे रोग से भी मुक्‍त कर सकता है । दुर्घटना के शिकार व्‍यक्ति का इलाज चल रहा है और मन आशंकाओं से घिरा हुआ है तो भी इस मंत्र का जाप करना चाहिए । इस मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि व्‍यक्ति को मौत के मुंह से भी बचाकर लाया जाता है । इस मंत्र में शिव को मृत्‍यु पर विजय पाने वाला बताया गया है । ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का हृदय कहा है।

मंत्र के बारे में ये भी जानिए
महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र के समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप बताए गए हैं हैं । शिव के उग्र स्‍वरूप की ओर संकेत करते हुए इसे रुद्र मंत्र भी कहा जाता है । ये शिव की तीन आंखों की ओर इशारा करता है, इसीलिए त्रयम्बकम मंत्र और या मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में भी जाना जाता है ।

ध्‍यान मंत्र
यह मंत्र गायत्री मंत्र के साथ सर्वोच्‍च स्‍थान पर विद्यमान है । चिंतन और मनन, ध्‍यान करने के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले मंत्रों में भी इसका प्रयोग किया जाता है । शास्त्रों में अलग-अलग कार्यों के लिए महामृत्युंजय मंत्र को अलग-अलग संख्याओं में जप का विधान है । इस मंत्र का प्रयोग कर आप समस्‍त दुखों से मुक्‍त हो सकते हैं । आगे जानिए मंत्र का जाप कितनी बार और किस लिए बताया जा रहा है ।

भय मुक्ति
यदि आपको बहुत अधिक डर लगता है, या फिर घर में नकारात्‍मक शक्तियों का वास हो गया है तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए । इस मंत्र का जाप आपके हृदय से डर को बाहर निकालेगा । भय से मुक्ति दिलाएगा । इस मंत्र का जाप भय मुक्ति के लिए कम से कम 1100 बार करें । इतनी संख्‍या में मंत्र का जाप करने से आपको सामर्थ्‍य और शक्ति की प्राप्ति होगी ।

रोग मुक्ति
घर में कोई लंबी बीमारी से पीडि़त है, या अचानक दुर्घटना की वजह से सेहत खराब हो गई हे, इलाज लंबे समय से बस चला ही आ रहा है तो इस मंत्र का जाप करना अति लाभदायी होगा । ऐसी परिसिथति में कम से कम 1000 बार इस मंत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है । इसके लिए आप तीन या 5 दिन तक पाठ रख सकते हैं । रोगों से मुक्ति मिलेगी और आशंका से घिरा हुआ मन शांत होगा ।

इन समस्‍याओं में भी करें मंत्र जाप
पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति की कामना के लिए, अकाल मृत्यु के संकट को टालने के लिए सवा लाख की संख्या में इस मंत्र का जप करनाshivling अनिवार्य है । आइए अब आपको ये मंत्र बताते हैं । मंत्र इस प्रकार है –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥

मंत्र जप के दौरान रखें सावधानी
महामृत्युंजय मंत्र के जपकाल के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक रहना चाहिए । जब मंत्र का जाप करें तो साधक का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो । रूद्राक्ष की माला से ही मंत्र का जाप करना चाहिए । मंत्र की आवाज मुंह से बाहर ना निकालें, इसका उच्‍चारण एकदम शुद्ध रखें । मंत्र के जप के समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए । जप करने के समय या बाद में शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करते रहें  ।