आ रही है पौष की ‘पुत्रदा एकादशी’, निसंतान एक बार इस उपाय को जरूर करें, कृपा होगी

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का अपना अलग महत्‍व है, इस व्रत का पालन करने से व्‍यक्ति को ईश्‍वर की कृपा प्राप्‍त होती है । जानिए पुत्रदा एकादशी का महत्‍व ।

New Delhi, Dec 18 : एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण माना गया है । इस व्रत का पालन करने वाले व्‍यक्ति दृढ़ होते हैं, मन की चंचलता समाप्‍त होती है । व्रत करने वालों को आर्थिक समस्‍याएं नहीं सतातीं, ना ही इन्‍हें सेहत से जुड़ी प्रॉब्‍लम्‍स हाती हैं । पौष मास की एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से जानी जाती है । इस दिन संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपति जरूर व्रत रखें । इस दिन संतना प्राप्ति की इच्‍छा रखने वाले जोड़े को प्रभु कृपा प्राप्‍त होती है और मनोरथ सफल हो जाता है ।

संतान से जुड़ी समस्‍याएं भी दूर होती हैं
पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति तो होती ही है लेकिन यदि आप संतान से जुड़ी समस्‍याओं से गुजर रहे हैं तो आप इस व्रत का पालन कर इन समस्‍याओं का भी निवारण कर सकते हैं । संतान की पढ़ाई, उसके आचार-व्‍यवहार या फिर रोजगार से जुड़ी कोई भी समस्‍या हो इसका निवारण आपको पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने पर जरूर मिल जाएं ।

29 दिसंबर को है पुत्रदा एकादशी
दिसंबर मास की 29 तारीखे को एकादशी का व्रत आ रहा है । इस दिन व्रत का संकल्‍प करने वाले और पूरे दिन नियम से उसका पालन करने वाले पर प्रभु की विशेष कृपा होती है । यदि आप कई वर्षों से निसंतान हैं तो ये व्रत आपको निश्चित रूप से समस्‍त चिंताओं से दूर कर देगा । पुत्रदा एकादशी पर व्रत करने वाले को संतान प्राप्ति का अमोघ वरदान प्राप्‍त होता है ।

व्रत रखने के नियम
पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से पहले इसके नियम जरूर जान लें । इस व्रत को दो प्रकार से रखा जाता है । पहला है निर्जल व्रत, दूसरा है फलाहारी । निर्जल व्रत वो ही रखें जो पूरी तरह से सेहतमंद हों, दूसरे लोग फलाहारी या जलीय व्रत ही रखें । एकादशी का व्रत संतान की कामना के लिए कर रहे हैं तो भगवान श्रीकृष्‍ण की उपासना करें । नारायण का ये स्‍वरूप आपके सभी मनोरथ पूर्ण करेगा ।

निसंतान दंपति ये करें
संतान ना होने की पीड़ा एक दंपति के लिए नासूर की तरह होती है । अपने इस अकेलेपन को दूर करने के लिए नारायण की उपासना आपको मदद करेगी । एकादशी के व्रत का पालन दंपति संयुक्‍त रूप से करें । सुबह सवेरे नहा-धोकर श्री कृष्‍ण की पूजा करें । प्रभु को पीले फल, पीले फूल, तुलसी और पंचामृत चढ़ाएं । इसे बाद संतना गोपाल मंत्र का जाप करें ।

संतान गोपाल मन्त्र
संतान गोपाल मंत्र का जाप 108 बार करने से संतान की प्राप्ति अवश्‍य होती है । विशेष तौर पर जब ये उपाय पुत्रदा एकादशी पर किया जाए तो व्रत सौ फीसदी सफल रहता है । मंत्र इस प्रकार है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।। इस मंत्र का जाप करने के बाद दंपति प्रसाद ग्रहण करें और मनोरथ की कामना एक बार फिर करें ।

मेडिकल वजहों से संतान ना हो पा रही हो
अगर शारीरिक रूप से पति या पत्‍नी में कोई समस्‍या हो तो भी चिंता ना करें । एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत का भोग लगाकर साथ में एक तुलसी माला चढ़ाएं । इसके बाद बताए गए मंत्र का 108 बार जाप करें । मंत्र है – “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” । इसके बाद पति-पत्‍नी पंचामृत का प्रसाद ग्रहण करें । पुत्रदा एकादशी पर इस उपाय को करने के बाद तुलसी की माला को पत्नी के गले में पहनाएं ।

विवाह को अभी 5 साल नहीं हुए है तो ये उपाय करें
पुत्रदा एकादशी पर दंपति एक साथ प्रभु श्रीकृष्ण को पीले रंग के फूल चढाएं । इसके साथ पीले चन्दन की लकड़ी भी चढ़ाएं । चंदन की लकड़ी पर हल्‍दी का तिलक करें, ये तिलक स्‍वयं के मस्‍तक पर भी लगाएं । इसके बाद “विष्णु सहस्त्रनाम” का एक बार पाठ करें । उच्‍चारण का ध्‍यान रखें, इसके बाद चंदन की लकड़ी के दो बराबर टुकड़े कर पति-पत्‍नी पीले धागे की मदद से इसे धारण कर लें ।

विवाह को 5 वर्ष से ज्यादा हो गए हों तो ये उपाय करें
यदि विवाह को 5 वर्ष से भी अधिक का समय हो गया हो और संतान प्राप्ति नहीं हुई हो तो परेशान ना हो । पुत्रदा एकादशी पर श्रीकृष्‍ण या नारायण की आशीर्वाद मुद्रा में चित्र की स्‍थापना करें । प्रभु को पीले रंग का भोजन अर्पित करें । उनके समक्ष गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें । अब पति और पत्‍नी सोने या पीतल का छल्‍ला अपनी तर्जनी उंगली में पहलें । पीला भोग जो आपने भगवान को अर्पित किया है वो स्‍वयं भी ग्रहण करें ।