रखते हैं शनिवार का व्रत, जानें ये जरूरी बात, सब संकट टल जाएंगे

ग्रहों में एक ग्रह है शनि, जिसकी दशा और दिशा दोनों का ही मनुष्‍य के जीवन में विशेष असर पड़ता है । शनि देव के व्रत को किस तरह करें, सब कुछ आगे बताया जा रहा है ।

New Delhi, Jul 05 : आपकी कुंडली में शनि दोष या फिर शनि ग्रह से जुड़ी कोई भी परेशानी होने पर शनिवार का व्रत करना उत्‍तम माना जाता है । शनि ग्रह अशांत हों तो व्रत, पूजन के साथ मंत्रों का उच्‍चारण भी लाभकारी होता है । शनिवार के दिन शनि देव के लिए किए जाने वाले व्रत और पूजन को आप किस प्रकार संपूर्ण कर सकते हैं, क्‍या है इस व्रत की संपूर्ण विधि और इस दिन आपको क्‍या करना चाहिए आइए जानते हैं ।

सबसे पहले जानते हैं व्रत के दिन की पूरी दिनचर्या क्‍या होनी चाहिए । शनिवार को व्रत रख रहे हैं तो  ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्‍नान आदि करके साफ कपड़े पहनें । सबसे पहले पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं । व्रत के लिए लोहे से बनी शनि देव की मूर्ति जरूर लें, इसे पंचामृत से स्नान कराएं । इसके बाद शनि की मूर्ति को आप कमल के पुष्‍प पर स्थापित करें । इसके बाद मूर्ति पर काले तिल, सफेद फूल, धूप-अगरबत्‍ती, काला वस्त्र और सरसों के तेल से पूजा करें ।

शनि देव की आराधना के समय उनके 10 नामों का उच्‍चारण भी करें । ये नाम हैं – कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर । जब पूजन हो जाए तो पीपल के पेड़ के तने पर सूत के धागे को बांधते हुए 7 बार परिक्रमा करें । इतना करने के बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ें -शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

अब एक प्रश्‍न ये भी है कि शनि देव का ये व्रत कितने दिन तक रखा जाए । तो हम आपको बता दें, कम से कम 7 शनिवार तक ये व्रत रखने का संकल्‍प करें और शनि देव के मंत्र का व्रत वाले दिन 108 बार जप करें । जब व्रत का उद्यापन करें तो जौ और काले तिल के साथ हवन सामग्री बनाएं और हवन करें । व्रत के अंतिम दिन अपनी सामर्थ्‍यानुसार ब्राहम्‍णों को भोज कराएं । कुछ लोहे की वस्‍तुएं दान में अवश्‍य दें ।