केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट का सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने समर्थन किया है, कानून बनने के बाद भी अगर कोई अपनी पत्नी को ट्रिपल तलाक कहता है, तो ये गैर जमानती और गंभीर अपराध माना जाएगा।
New Delhi, Dec 15 : मुस्लिम समाज में ट्रिपल तलाक की प्रथा को समाप्त करने और उसे दंडनीय अपराध बनाने को लेकर केन्द्र सरकार ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है, मोदी सरकार के इस ड्राफ्ट का आठ राज्यों ने समर्थन किया है। आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने करीब एक पखवाड़े पहले जुबानी तौर पर, लिखित या फिर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर बैन लगाने और इसे दंडनीय और गैर-जमानती अपराध बनाने से जुड़े प्रस्तावित कानून पर सभी राज्यों से राय मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल अगस्त में सदियों से चली आ रही इस्लाम की इस प्रथा को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था, लेकिन बावजूद इसके ट्रिपल तलाक देने की रिपोर्ट आ ही रही है। कोर्ट ने तब सरकार को निर्देश दिया था कि वो इस पर जल्द ही कानून बनाये, ताकि मुस्लिम समाज की महिलाओं को भी बराबरी का हक मिले, जिसके बाद केन्द्र सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकार से उस पर राय मांगी।
आठ राज्यों का समर्थन
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कानून मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये इस ड्राफ्ट के समर्थन में एमपी, झारखंड समेत आठ राज्यों ने अब तक किया है। उनके अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किया गया ड्राफ्ट सही है। आपको बता दें कि अधिकारियों ने ये भी बताया कि अभी बाकी राज्यों के जबाव का इंतजार किया जा रहा है।
तीन साल की सजा
कानून मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट में अपनी पत्नियों को ट्रिपल तलाक बोलकर तलाक देने की कोशिश करने वाले पुरुषों को तीन साल कैद की सजा और पीड़ित महिला को कोर्ट से गुहार लगाकर उचित मुआवजे के साथ-साथ नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांगने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव है। साथ ही अगर बच्चा महिला के साथ रहता है, तो फिर उसके पालन-पोषण और पढाई के लिये वो मुआवजे की भी मांग कर सकती है।
सबसे पहले यूपी ने किया समर्थन
केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट का सबसे पहले उत्तर प्रदेश ने समर्थन किया है, आपको बता दें कि कानून बनने के बाद भी अगर कोई अपनी पत्नी को तीन तलाक देना चाहता है, तो ये गैर जमानती और गंभीर अपराध माना जाएगा, अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी यूपी में कुछ मामले सामने आये थे। शायद इसी वजह से जब कानून मंत्रालय ने इस पर राज्यों से राय मांगी, तो सबसे पहले यूपी ने इसका समर्थन किया ।
जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगा कानून
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के इसी साल अगस्त में फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक चालू है, अगस्त के बाद से अब तक 67 मामलों की रिपोर्ट हुई है, जिनमें से ज्यादातर मामले यूपी के हैं, हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद ट्रिपल तलाक के मामलों में कमी जरुर आई है। आपको बता दें कि ये कानून बनने के बाद भी जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होगा।
केन्द्र सरकार ने बनाई थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक की शिकायतें मिलने के मद्देनजर मोदी सरकार ने इसका समाधान निकालने का उपाय सुझाने के लिये एक कमेटी का गठन किया था, कमेटी में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा दो राज्य मंत्री को भी शामिल किया गया था। इसके बाद मुस्लिम विमिंज प्रॉटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट नाम का ड्राफ्ट तैयार किया गया।
आज होगा विचार
मोदी सरकार ने कैशलेस इकॉनमी को बढावा देने के लिये नेगोशिएबल इंस्टूमेंट्स एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है, इस एक्ट में आखिरी बार दो साल पहले संशोधन किया गया था, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ट्रिपल तलाक से जुड़े ड्राफ्ट बिल और नेगोशिएहल इंस्टूमेंट्स एक्ट में प्रस्तावित संशोधनों पर आज विचार कर सकती है। कैबिनेट से अनुमति मिलने के बाद इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
कानून बनने के बाद क्या होगा ?
कानून बनने के बाद पीड़ित महिलाओं को अधिकार मिलेगा, जिससे वो मजिस्ट्रेट के सामने जाकर अपने और अपने बच्चों के लिये गुजारा भत्ते की मांग कर सकेंगी। इतना ही नहीं महिला मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी के साथ-साथ उनके लिये गुजारा भत्ता भी ले सकेंगी। कानून के मसौदे के अनुसार अब ट्रिपल तलाक किसी भी रुप में बोलकर, लिखकर या ई-मेल, एसएमएस, व्हाट्सएप्प के जरिये अवैध और अमान्य होगा।