यहां एक साथ नहीं जा सकते भाई-बहन, रखवाली करते हैं 180 फीट का सांप

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इस मीनार का निर्माण कराने वाले मथुरा प्रसाद रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे, उन्हें रावण से इस कदर लगाव हो गया, कि उन्होने उनकी याद में लंका का ही निर्माण करा डाला।

New Delhi, Dec 22 : उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में 210 फीट ऊंची लंका मीनार है, इसके भीतर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है, सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस मीनार के ऊपर सगे भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते। एक लीडिंग वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार इतिहास के एक जानकार ने बताया कि इस मीनार का निर्माण कराने वाले मथुरा प्रसाद रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे, उन्हें रावण से इस कदर लगाव हो गया, कि उन्होने उनकी याद में लंका का ही निर्माण करा डाला।

क्यों नाम पड़ा लंका ?
साल 1875 में मथुरा प्रसाद निगम ने रावण की याद में यहां पर 210 फीट ऊंची एक मीनार का निर्माण कराया था, जिसे उन्होने लंका का नाम दिया था, jalaunइस मीनार के भीतर रावण के पूरे परिवार का चित्रण किया गया है। सीप, उड़द की दाल, शंख और कौड़ियों से बनी इस मीनार को बनाने में करीब 20 साल का समय लगा।

रावण बनते थे मथुरा प्रसाद
इस लंका के निर्माण में तब करीब 1 लाख 75 हजार रुपये खर्च किये गये थे, स्वर्गीय मथुरा प्रसाद ना केवल रामलीला का आयोजन करते थे, jalaun1बल्कि उस रामलीला में वो रावण का किरदार भी निभाते थे, मंदोदरी की भूमिका घसीटीबाई नामक एक मुस्लिम महिला निभाती थी, जो कि काफी चर्चा का विषय हुआ करता था।

लंका के भीतर रावण के परिवार का चित्रण
इस लंका में सौ फीट के कुंभकर्ण और 65 फीट ऊंचे मेघनाथ की प्रतिमाएं लगी है, साथ ही मीनार के सामने भगवान चित्रगुप्त और भगवान शंकर की मूर्ति भी है। Ravanइस मीनार के बाहर भगवान भोले शंकर की मूर्ति लगी है, इस लंका को ऐसे बनाया गया है कि मीनार के अंदर से 24 घंटे भगवान शंकर नजर आते हैं।

अजीम नामक कारीगर ने किया था निर्माण 
मथुरा प्रसाद के वंशज श्रवण कुमार ने बताया कि इस मीनार के निर्माण में कौड़ी, केसर, शीप, उर्द की दाल, गुड़ और चूने का इस्तेमाल किया गया था, jalaun2इसका निर्माण अजीम नाम के कारीगर ने किया था, इस मीनार की लंबाई करीब तीस मीटर हैा

कुतुबमीनार के बाद सबसे ऊंची मीनार
लंका का निर्माण इस तरह कराया गया है कि रावण लंका में बैठ भगवान भोले शंकर के 24 घंटे दर्शन कर सकता है, jalaun3परिसर में करीब 180 फीट लंबे नाग देवता और 95 फीट नागिन गेट पर बैठी है, जो कि मीनार की रखवाली करते हैं। कुतुबमीनार के यही मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनारों में शामिल है।

नागपंचमी में मेले का आयोजन
नागपंचमी के मौके पर इस कंपाउंड में भव्य मेले का आयोजन होता है, साथ ही दंगल भी होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग कुश्ती लड़ने आते हैं,Nag-Panchami-1 इसके साथ ही कुश्ती देखने के लिये भी हजारों की भीड़ इक्ट्ठी होती है। नागपंचमी के मौके पर खास यहां लोग मेला घूमने और नाग-नागिन की पूजा करने के लिये आते हैं।

भाई-बहन का एक साथ जाना है मना
इस मीनार की एक ऐसी मान्यता है कि यहां भाई-बहन एक साथ नहीं जा सकते, दरअसल कहा जाता है कि लंका मीनार की नीचे से ऊपर तक चढाई में सात परिक्रमाएं करनी होती है, jalaun12जो कि भाई-बहन एक साथ नहीं कर सकते, ये फेरे केवल पति-पत्नी द्वारा ही मान्य होते हैं, इसलिये भाई-बहन के यहां एक साथ जाने पर रोक है।

मामा-भांजे का भी जाना निषेध
भाई-बहन के अलावा मामा और भांजे का भी एक साथ यहां जाना निषेध है, इसके लिये बकायदा वहां पर बोर्ड भी लगा हुआ है, ताकि अगर किसी को मालूम ना हो, Jalaun4और वो वहां पर घुस जाए, तो परिक्रमा ना करें, या फिर सीढियां की चढाई ना शुरु कर दें।