प्रमस्तिष्क पक्षाघात (Cerebral Palsy) के प्रति लोगों को किया जागरुक, पढिये, क्या होते हैं इसके लक्षण

प्रमस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी दिवस पर मरीजों को इस बीमारी से बचाव के तरीके बताये ।

New Delhi, Oct 07 : यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी गाजियाबाद प्रमस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी दिवस मनाया गया, हर वर्ष विश्व स्तर पर 6 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है यशोदा हॉस्पिटल एंड सुपर स्पेशैलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी गाजियाबाद के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं वरिष्ठ समाजसेवी डॉ पी एन अरोड़ा जी ने सभी स्त्री रोग विशेषज्ञों से विशेष रूप से आग्रह किया कि वह ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं में सही समय पर उचित जांचों के माध्यम से सेरिब्रल पाल्सी बीमारी की रोकथाम करने में मदद करें।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस हेतु स्त्री रोग विशेषज्ञ डिलीवरी कराने वाली ए.एन.एम., दाइयों, आंगनवाड़ी बहनों को भी जागरूक करें, यशोदा सुपीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की वरिष्ठ पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रजनी फ़रमानिया ने बताया कि आज इस दिवस पर हम गर्भवती महिलाओं को जागरूक कर रहे हैं और सेरिब्रल पाल्सी के संभावित कारणों के बारे में उन्हें अवगत करा रहे हैं, डॉ फ़रमानिया ने बताया कि मुख्य कारणों में गर्भावस्था के दौरान मां को संक्रमण, मां व बच्चे के रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) का न मिलना। मां के गर्भ में बच्चे का अस्वाभाविक अनुवांशिक विकास। नवजात शिशु का पीलिया या अन्य किसी संक्रमण से ग्रस्त होना हैं ।

यशोदा सुपीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ दीपा एवं डॉ प्रीति अग्रवाल ने ओपीडी में आयी गर्भवती महिलाओं को एक पत्रक के माध्यम से जानकारी दे कर जागरूक किया ! यशोदा सुपीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की वरिष्ठ पीडियाट्रिक विशेषज्ञ डॉ विद्या बी घोष ने बताया कि सेरिब्रल पाल्सी बीमारी की शीघ्र पहचान लिए इसके शुरूआती लक्षण को पहचानना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक इसके लक्षणों का सही पहचान नहीं होगा तब तक उपचार एवं रोकथाम हेतु कदम उठाना मुश्किल है। अतः इसके लक्षणों को देखकर शीघ्र पहचान आसानी से की जा सकती है। प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात की शीघ्र एवं प्रारंभिक पहचान हेतु निम्नलिखित विन्दुओं के अनुसार बच्चे का आकलन किया जा सकता है –

1) जन्म के समय देर से रोता है या साँस लेता है।
2) जन्म के समय प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात युक्त शिशु प्रायः शिथिल या निर्जीव जैसा तथा लचीला एवं पतला होता है। यदि शिशु को छाती की तरफ पकड़कर औंधे मुह लटकाया जाय तो शिशु उल्टा यू (U) जैसा झुक जायेगा।
3) दूसरे सामान्य बच्चे की तुलना में विकास धीमा होता है।
4) गर्दन नियंत्रण एवं बैठने में देर करता है।
5) अपने दोनों हाथो को एक साथ नहीं चलता है तथा एक ही हाथ का प्रयोग करता है।
6) शिशु स्तनपान में असमर्थता दिखाता है।
7) गोद में लेते समय या कपड़ा पहनते समय एवं नहाते समय शिशु का शरीर अकड़ जाता है।
8) शिशु का शरीर बहुत लचीला होता है।
9) बच्चे बहुत उदास दिखते हैं तथा सुस्त गति वाले होते हैं।
10) ओठ से लार टपकता है।