राफेल के रण में मोदी सरकार की सबसे बड़ी जीत, फ्रांस की ओर से जारी बयान ने कर दी पूरे विपक्षी खेमे की बोलती बंद

राफेल विमान सौदे पर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा, इस बीच फ्रांस की ओर से आया बयान विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेर सकता है । हांलाकि कांग्रेस ने इसे भी सरकार की साजिश बताया है ।

New Delhi, Nov 14 : दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने एक इंटरव्‍यू में राफेल से जुड़ी जानकारी देते हुए साफ कहा कि भारत सरकार ने फायदे का सौदा किया है । ट्रैपियर ने विपक्ष की ओर से मोदी सरकार पर उठाए जा रहे सवालों को गैर वाजिब बताया, उन्‍होने राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वो झूठ नहीं मिलते हैं । दसॉल्‍ट की ओर से आया ये बयान राफेल पर मचे संग्राम को कुछ हद तक शांत करने की ओर बड़ा रोल निभा सकता है । हालांकि कांग्रेस इसे भी मोदी सरकार की ओर से प्‍लान्‍ड किया हुआ इंटरव्‍यू बता रही है ।

18 के दाम में 36 का सौदा
दसॉल्‍ट के सीईओ के मुताबिक 18 तैयार विमानों की जितनी कीमत है, उसी दाम में 36 विमानों का सौदा किया गया । उन्‍होने कहा कि दाम दोगुने होने चाहिए थे, लेकिन यह दो सरकारों के बीच हुआ करार था और कीमतें उन्होंने तय की थीं । इसलिए फ्रांस को भी 9% कम दाम पर सौदा करना पड़ा। ट्रैपियर ने रिलायंस के चुनाव को लेकर भी अपना पक्ष साफ किया ।

रिलायंस को दसॉल्‍ट ने खुद चुना
सीईओ ने इस इंटरव्‍यू में साफ किया कि रिलायंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने का फैसला भी उनकी कंपनी का था । सिर्फ रिलायंस ही नहीं इसके अलावा 30 और कंपनियां उनके साथ जुड़ी हुई हैं । वहीं कांग्रेस के आरोपों पर ट्रैपियर ने साफ कहा कि –  मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले कहा था, वही आज भी कह रहा हूं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। भारतीय वायुसेना इस सौदे से खुश है।

सौदे में क्‍यों हुआ बदलाव
जब दसॉल्‍ट के सीईओ से ये प्रश्‍न किया गया कि इस सौदे में बदलाव क्‍यों कि गया तो उन्‍होने कहा कि भारत के साथ पहले पहले 126 विमानों का सौदा होना था लेकिन इसमें देरी हो रही थी । भारत को अपनी जरूरतों के हिसाब से तत्काल 36 विमान चाहिए थे, इसलिए साल 2015 में फिर सौदा तय हुआ और पुरानी डील में बदलाव करना पड़ा । 30 कंपनियों के साथ समझौता किया जा चुका है, जो पूरे करार का 40% होगा । रिलायंस इस 40% में से 10 फीसदी का साझेदार है।

आरोप – प्रत्‍यारोप जारी हैं
वहीं कांग्रेस ने दसॉल्ट सीईओ के दावे को मनगढ़ंत और झूठ करार दिया है । पार्टी नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक बार फिर कहा है कि कि देश सौदे में मनगढ़त नहीं, बल्कि निष्पक्ष जांच चाहता है । ये सब सरकार घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है ।  वहीं सुरजेवाला का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दसॉल्ट के सीईओ ने साफ किया है कि रिलायंस और 30 अन्य कंपनियों के साथ करार में हमारी सरकार की कोई भूमिका नहीं है । कांग्रेस सिर्फ झूठ का प्रचार कर रही है ।